Read Entire MagazineAugust 2016

Cover - Illustration by Joel Gill
कवर - प्रियम्वद की कहानी रहमत का फरिश्ता पर जोएल गिल का चित्र। प्रियम्वद की कहानियों में किरदार की बुनावट किसी शिल्पी की सी बारीकी लिए होती है। हर शब्द, वाक्य, अनुच्छेद के साथ किरदार रेशा-रेशा बुना जाता है। उनके किरदार हमारे बीच ही रहते हैं। हर रोज़ हम उनसे मिलते हैं बावजूद इसके वो नज़रअन्दाज़ रहते हैं। चकमक के कुछ अंक पहले छपी कहानी मुन्नाभाई बुनाईवाले हो या कब्रिस्तान में कब्रों के नीचे सोए हुए लोगों की याद हो, उनका जीवन हमारा अनुभव बनकर ही रहता है। सत्यनारायण भी एक ऐसा किरदार है जो परिवार के बच्चों के लिए दूध गरम करते वक्त उन्हें हर रात कहानियाँ सुनाता है। कहानियों के बीच बच्चे हुँकारा लगाते हैं। उसकी हर कहानी एक ही तरह शुरू होता है - एक था बौड़म, वो चला ससुराल। देर रात तक कहानी चलती रहती। और फिर वो कहता, “अब सो जाओ। सुबह रहमत के फरिश्ते आते हैं। जल्दी उठ जाना।” बच्चे उसकी कहानियाँ सुनते हुए बड़े हुए हैं। एक दिन अचानक वो अपने गाँव चला जाता है। और फिर नहीं लौटता। उन्हीं बच्चों में से एक बड़ा होकर लेखक बनता है। करीब चालीस साल बाद। एक दिन जब बहुत बारिश हो रही होती है। एक आदमी पन्नी ओढ़े आता है। बड़े संकोच से एक कुर्सी पर बैठ जाता है। फिर धीरे-से पूछता है, “रहमत के फरिश्ते कभी मिले क्या?”

Kavita Card - Poetry Card advertisement
कविता कार्ड - चकमक ने पिछले सौ सालों की बेहतरीन कविताओं को लोगों के बीच लाने की एक कोशिश की है। इसी के तहत 12-12 कार्ड के चार गुच्छे तैयार हुए हैं। इस पहल को बेहद सराहा जा रहा है। कक्षा में, घर-परिवार में कभी भी, कहीं भी इसे पढ़ा जा सकता है, उपहार में दिया जा सकता है। चाहो को इसके पीछे चिट्ठी लिखकर दोस्त को, नाना-नानी को भेज सकते हो।

Shakh par jab dhoop aayi - Lines of a song penned by Gulzar, Illustration by Atanu Roy
शाख पर जब धूप आई - कक्षा में कविता अकसर एक रिवाज़ की तरह ही आती है। कितना अच्छा होता कि ये हवा-पानी की तरह आती और हर कोने - आन्तरे में फैल जाती। अच्छी कविता जुबान पर चढ़कर अन्दर तक घूम आती है। एक अच्छा गाना एक अच्छा कविता ही तो होता है। जैसे एक फिल्मी गाने का यह टुकड़ा -

शाख पर जब धूप आई हाथ छूने के लिए,
छाँव झम-से नीचे कूदी हँस के बोली आइए,

यहाँ सुबह से खेला करती है शाम
हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम...

आप को भी किन्हीं गानों की ऐसी कल्पनाशील पंक्तियाँ सूझती हैं तो हमें ज़रूर बताइए। हमारी कोशिश रहेगी की चकमक के हर अंक में हम अपने पाठकों को ऐसी कविताएँ सनाएँ।

Agar Magar - An interactive column with Gulzar Sahab, in which children’s ask questions to him, Illustrations by Atanu Roy
अगर मगर / बच्चों के सवाल - गुलज़ार के जवाब
गुलज़ार से बच्चों के सवालों का यह कॉलम अब अपनी ज़मीन खुद बना रहा है। जैसे यह सवाल- मृत्यु के बाद का जीवन हम क्यों नहीं जान पाते हैं? इस पर गुलज़ार का जवाब - आँखें बन्द कर देते हैं ना इसलिए।
आप भी अपने आसपास के बच्चों के सवाल हमें भेज सकते हैं। ये सवाल हिन्दी, अँग्रेज़ी किसी भी भाषा में हो सकते हैं।

Kissa Charkhi Nawab ka - A “Kissa” of a Charkhi Nawab by Himanshu Bajpai, Illustrations by Priya Kurian
किस्सा चर्खी नवाब का - एक नवाब थे। नवाब जैसे नवाब। उनकी एक आदत थी कि वे लम्बी-लम्बी हाँकते थे। इधर वो हाँकना शुरू करते, उधर लोग चर्खी लपेटने का इशारा करने लगते। सो उनका नाम ही पड़ गया चर्खी नवाब। उनकी इन गप्पों से परेशान उनकी बीवी ने जब उनसे यह आदत छोड़ने को कहा तो नवाब फट-से तैयार हो गए। और आदत छुड़वाने जंगल चले गए। पर अगली ही सुबह वे फिर आँगन में बैठे थे। एक और किस्से के साथ। वैसे ऐसे चर्खी नवाब आपको अपने आसापास भी बिखरे नज़र आ जाएँगे। हमसे ज़रूर मिलवाइएगा। साथ में प्रिया कुरियन के खूबसूरत चित्र पर भी गौर फरमाइएगा।

Aamma Ki Eid - A beautiful story on Eid, Illustrations by Taposhi Ghoshal
अम्मा की ईद - इस कहानी की अम्मा हमारे हज़ारों-लाखों घरों में मिल जाएँगी। हमारे लिए खाना बनाती, कपड़े सीती, खुशियाँ, सुकून बुनती, उम्मीद की रोशनी जलाए रखती। हम- सब कुछ ठीक है- के माहौल में आराम की साँसें लेते रहते। इस बात से अन्जान की कब उन साँसों में अम्मा की साँसें मिल गर्इं। अम्मा की साँसें कम होने लगी हमें इस बात का भी अहसास न होता। एक बेहद मार्मिक कहानी।

Pyare Bhai Ramsahay - A story by Swayam Prakash, Illustrations by Prashant Soni
प्यारे भाई राम सहाय - क्या कोई एक सही या एक गलत हो सकता है? शायद नहीं। और कई बार तो एक वक्त का सही बाद में गलत साबित होता है। तो क्या कीजेए! पता नहीं। जीवन में कुछ चीज़ों के बारे में तो फिर भी योजना बनाई जा सकती है पर किसी में कोई गुण हो तो उसकी तारीफ करने में क्या गलत। उसे और मौके मिलें अपने हुनर के प्रदर्शन के लिए... इसमें क्या गलत। रामसहाय इसे सोच रहें हैं। सरवन जो गाना अच्छा गाता था उसे मौके मिले। खूब मौके मिले। शोहरत, पैसा सब मिला। साथ में मिली शराब पीने की आदत भी। और छोटी-सी उम्र में वो चल बसा। अब रामसहाय सोच रहे हैं...गलती कहाँ हुई।

Vanya ki Chitthiyan - A letter by Vanya to her father, Illustration by Soumya Shukla
वन्या की चिट्ठियाँ - 11-12 साल की उम्र में वन्या उत्तराखण्ड में अपना छोटा-सा गाँव छोड़कर एक बड़े स्कूल में गई। वहाँ वो हॉस्टल में रही। उसे एक अलग माहौल में खुद को ढालने और अलग-अलग मिज़ाज के बच्चों से तालमेल बैठाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। गाँव के हिन्दी माध्यम स्कूल के बाद इस अँग्रेज़ी माध्यम स्कूल में अपनी ज़मीन बनाना बहुत मुश्किल था। वो कोशिश करती। जब कामयाब होती तो घर में पहुँची चिट्ठी खुशनुमा होती, जब कोशिश कमज़ोर पड़ जाती तो चिट्ठी उदासी से भर जाती। पर दूर घर में बैठे दो लोग उसकी चिट्ठी का बेसब्राी से इन्तज़ार कर रहे होते। वन्या माँ को हिन्दी में और पापा को अँग्रेज़ी में लिखती है। आप यह भी देखें कि भाषा के अलावा इन दोनों चिट्ठियों में और क्या फर्क हैं। एक बेहद संवेदनशील दिल में झाँकने की खिड़की है यह चिट्ठी।

The King and the Little Man - A book excerpt from K.G. Subramanyam’s book “The King and the Little Man”
किंग एण्ड द लिटिल मैन -  के जी सुब्रामण्यम इस देश के जाना-माने चित्रकार हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई कमाल के काम किए। कला पर बच्चों-बड़ों को लेक्चर दिए। अपने अनुभव बाँटे। सवाल उठाए। कला के प्रति लोगों में उत्सकता जगाई। अपनी पैनी जीवन दृष्टि को लोगों से साझा किया। बच्चों के लिए उन्होंने कई बेहद खूबसूरत किताबें बनार्इं। इन किताबों में अधिकाँशतया वे किरदार वही रखते थे जो अकसर बच्चों को पसन्द आते हैं जैसे कौआ, बिल्ली, राजा-रानी पर उनकी कहानी परम्परागत कहानी से बहुत अलग, बहुत पावरफुल होती थी। उसमें आज होता था। प्यास लगने पर मटके में पत्थर डालकर पानी पीने का किस्सा बहुत पुराना हो चुका है। आज स्ट्रॉ के ज़माने में कौए के सामने कई विकल्प हैं। वे यह कहते दिखते हैं, पर शायद कहीं भीतर यह सवाल भी उठा रहे हैं कि यूँ प्लास्टिक, कूड़ा-कचरा फैला कर हम अपनी पृथ्वि के साथ क्या कर रहे हैं? किंग एण्ड द लिटिल मैन एक राजा-रानी और एक आम व्यक्ति की कहानी है। राजा-रानी की शानोशौकत आकर्षित करती है। वहाँ चमक-धमक है। वहाँ भरा पेट हैं। वहाँ सुख-सुविधाएँ हैं। आम आदमी के पास इनमें से बहुत कुछ नहीं है। पर उसके पास देखने के लिए पहाड़ हैं, नदियाँ हैं, चिड़िया है, बादल-तारे-चाँद है। राजा इस से डरा हुआ है। क्योंकि वो जानता है कि अगर जनता को पता चल गया कि इनमें कितना सुख है तो राजा की चमक फीकी पड़ जाएगी। वो भरसक कोशिश करता है लोगों का ध्यान उनकी ओर न जाए। वो तेज़ आवाज़ में बोलता है। अपनी तस्वीरें हर तरफ चस्पां कर देता है, दिन में कई-कई बार कपड़े बदलता है, दूसरे देशों तक में अपनी आवाज़ पहुँचा देता है...लोग बहके रहें इसका पूरा इन्तज़ाम करता है। और वही होता भी है।...एक आम आदमी अपनी छोटी-सी कोशिश करता है लोगों का ध्यान वहाँ से हटाने की। पर नहीं...। फिर एक दिन बिजली चली जाती है। और सब कुछ थम जाता है। तब लोगों का ध्यान जाता है चाँद पर, चिड़िया की आवाज़ पर...

Paheliyan - Three Puzzles
पहेलियाँ - दिमाग पर ज़ोर लगाइए…

Pooriyon Ki Gathari (Part-3) - A long story by Krishan Kumar, Illustrations by Jagdish Joshi
पूड़ियों की गठरी (भाग- 3) - पूड़ियों की गठरी की यह तीसरी किस्त है। स्कूल की एक बरसों से खराब पड़ी बस है। स्कूल की प्रिंसिपल कहती हैं कि निवाड़ी में होनेवाली खेल प्रतियोगिता में लड़कियाँ इसी बस में बैठकर जाएँगी। सब अचरज में हैं। ऐसा कैसे हो सकता है? पर वो ठीक होने लगती है। एक्सिल, गियर प्लेट, क्लच प्लेट, ब्रेक, टायर-ट्यूब सब ठीक होने लगते हैं। शिक्षा के विभिन्न आयामों में गहरी पैंठ रखनेवाले कृष्णकुमार की यह कहानी मन में एक हिम्मत, एक उम्मीद बाँधे रखती है। मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए...। जगदीश जोशी के जीवन्त चित्र बरबस ध्यान खींच लेते हैं।

Bhasha ka PNG - An article on language by Ramakant Agnihotri, Illustration by Dilip Chinchalkar
भाषा की पीएनजी - भाषा की दिलचस्प दुनिया श्रंख्ला का यह दूसरा लेख है। इसे लिखा है जाने-माने भाषाविद रमाकान्त अग्निहोत्री ने। इस कड़ी में वे भाषा में पुरुष यानी पर्सन, वचन यानी नम्बर और लिंग यानी जेंडर पर बात कर रहे हैं।

Ichak Dana Beechak Dana - Kishore Panwar explaining an interesting things about a song , Illustration by Nilesh Gehlot
ईचक दाना बीचक दाना - ईचक दाना बीचक दाना दाने ऊपर दाना ईचक दाना। छज्जे ऊपर लड़की नाचे लड़का है दीवाना ईचक दाना... यूँ तो आप इस गाने को हजारों बार सुन चुके होंगे। पर जिस नज़र से किशोर पँवार ने इसे देखा और सुना है वो आपको कायल बना देगी। ईचक औऱ बीचक दो शब्द जिन्हें हम सिर्फ ध्वनि समझते थे उनका भी अर्थ है। और छज्जा जिसपर लड़कियाँ नाच रही हैं वो भी आनार में ही है, और लड़कियाँ भी। बहुत खूब। शैलेन्द्र के इस गीत पर आपको नए सिरे से प्यार आ जाएगा  इस लेख को पढ़ने के बाद। दिखिएगा... पढ़िएगा।

Darzi cheentiyan- An article on Tailor Ants by Vinitha Vishwanathan
दर्ज़ी चींटियाँ - कोई कपड़ा भी एक हाथ से सिया नहीं जा सकता तो पत्तों को जोड़कर ये छोटी चींटियाँ कैसे अपना घर बना लेती हैं। और घर भी ऐसा जिसमें पानी नहीं घुस सकता। कमाल है ना! तुमने भी देखा होगा कि पेड़ों की पत्तियों को जोड़-जोड़कर बना इनका घर। जानना चाहोगे कैसे बनता है यह। तो पढ़ो यह दिलचस्प लेख।

Mathapachhi - Brain teasers
माथापच्ची - सोच-सवालों का पन्ना।

Chashma Naya hai - A memoir by Laxmi, a fifth class student, Illustration by Nilesh Gehlot
चश्मा नया है - पहले कुछ घटता है फिर वो याद बनती है। कुछ घटी चीज़ें भुला दी जाती हैं पर जो याद रहती हैं, वही याद बनती हैं। इस कॉलम में कुछ ऐसी ही यादें हैं जिनमें ज़िन्दगी डबडबाती है और फिर बह जाती है। लक्ष्मी अपनी माँ को देखती। वो उन्हें काजल, लिपस्टिक, पाउडर लगाकर थोड़ा और बदलते देखती। उसके मन भी आता बदलकर देखना कैसा होता होगा। एक दिन जब माँ घर नहीं थीं उसे मौका मिल ही गया।

Rehmat ka Farishta - A memoir by Priyamvad, Illustration by Joel Gill
रहमत का फरीश्ता - कवर पेज के साथ इसका विवरण दिया जा चुका है।

Mummy Susu Aayi hai - A long poem by Neha Singh, Illustrations by Meenal singh & Eric Egrup
मम्मी सूसू आई है - लड़कियों के लिए यह कोई नई बात नहीं। जब भी बाहर निकलना होता है मम्मी पूछती हैं - सूसू कर ली! क्या यह सवाल लड़कों से भी पूछा जाता है? कभी नहीं। इस बड़ों की दुनिया में बच्चों को कितने एडजेस्टमेंट करने पड़ते हैं इसका हमें अहसास तक नहीं। अगर किसी दिन बच्चों को अपना संसार रचने का मौका मिलेगा उस दिन शायद हमें इसका थोड़ा अहसास हो पाए।

Haji Naji - Fun stories by Swayam Prakash, Illustration by Mayukh Ghosh
हाजी नाजी - हाजी-नाजी की हरकतें बड़ा गुदगुदाती हैं। इस बार देखें अमरीका रिटर्न हाजी की गजब की खोज।

Mera Panna - A children’s creativity column
मेरा पन्ना - बच्चों के चित्रों और लेखन को तरजीह देना चकमक का एक मुख्य एजेंडा रहा है। खुद को अभिव्यक्त करने में कलाएँ बहुत मददगार साबित होती हैं। हम सब जो देखते-सुनते हैं उसे ग्रहण करते हैं। वो हमारे साथ रहता है। और फिर उसमें खुद को शामिल कर उसे अभिव्यक्त कर देते हैं।

Jab Natkhat der tak soye - A story by Ramesh Upadhyay, Illustrations by Prashant Soni
जब नटखट देर तक सोए - नटखट तय करते हैं कि वो भी प्रेम की तरह छुट्टी के दिन देर तक सोएँगे। प्रेम बड़गाँव में रहनेवाला बैंक मैनेजर का बेटा है। अब वो सोए तो रहे पर सब जागे लोगों की आवाज़ें सुनते रहे। नींद कहाँ आती। और ऐसे झूठमूठ के सोने में क्या मज़ा। अब गाय का बछड़ा छोड़ा, अब गाय दुही, अब दातून टूटी, अब दाँत साफ हुए, अब सब दिशा मैदान को गए...। पर नटखट को तो बड़े घर के लोगों की तरह छुट्टी के दिन देर तक सोना था। बाकी सब तो फिर भी सह लिया पर जब पेट में दबाव महसूस हुआ तो बिस्तर छोड़ झट मैदान की ओर भागे। अकेले-अकेले कुछ मज़ा नहीं आया।

Baasi Bhat taiyar karna - A poem by Nasir Ahmad Sikander, Illustration Roshni Vyam
बासी भात - रात के बचे चावलों में पानी डालकर रख दें। सुबह नमक अगर हो तो मिर्च डाल दें। बासी भात बन जाएगा। पर अगर स्वाद पता करना है तो किसी मज़दूर के डिब्बे से ही चखना होगा। उसके पास इस नाश्ते के सिवा कोई विकल्प नहीं। आपके पास विकल्प है पर फिर भी आप बासी भात बना रहे हैं। इन दो भिन्नताओं से ही स्वाद में फर्क आ जाएगा। इस बेहद संवेनशील कविता के चित्र बनाएँ हैं रोशनी व्याम ने। रोशनी प्रधान शैली (गोंड शैली) में चित्र बनानेवाले परिवार से हैं। बचपन से वो इसी शैली में चित्र बना रही हैं। अब चित्रकला में पढ़ाई करने के बाद वे कुछ नए आयामों के साथ इसी शैली में चित्र बना रही हैं।

Chitrapaheli
चित्र पहेली - चित्रों वाली पहेली। नए शब्दों से दोस्ती करने का पन्ना।