Read Entire MagazineDecember 2016

Cover - Illustration by Masoumeh Etebarzadeh
कवर - इसे एक कविता भी कह लो और चाहो तो पहेली भी

इक पेड़ है जिससे, एक ही पत्ता
रोज़ ज़मीन पर गिरता है
सदियों से ये रीत है उसकी
गिरता है तो खिलता है

कौन-सा ऐसा पेड़ है जिससे रोज़ एक ही पत्ता गिरता है। और गिरता है तो खत्म नहीं हो जाता। गिर के खिलता है। ...सोचो... क्या दिन? हाँ, यहाँ बात तो दिन की ही हो रही है शायद। कविता में पत्ता दिन है और चित्र में वही दिन पत्ता बन गिर रहा है। और उसमें यहाँ-वहाँ छितरे फूल... वो क्या हैं? इस बेहद खूबसूरत चित्र को इरान की कलाकार मौसमे एतेबर्ज़दे ने बनाया है। इनके चित्र आप चकमक के आगामी अंक में भी देखोगे।

Index
इंडेक्स - साल के जाते-जाते जो नोटबन्दी हुई और कई-कई बारह महीनों के जमे पैसे निकल गए जो अनायास ये लाइनें याद हो आर्इं-

आधे पौने पूरे चाँद
जितना था सब माल गया
बारह महीने जमा किए थे
जेब काटकर साल गया

Ek Chuppi aur Behri Jagah - A part of long story by Vinod Kumar Shukl, Illustration by Shobha Ghare
एक चुप्पी और बेहरी जगह- कोई 7-8 साल पहले विनोद जी की एक लम्बी कहानी चकमक में छपी थी “हरे घास की छप्परवाली झोपड़ी और बौना पहाड़” बाद में राजकमल प्रेस से यह एक किताब की शक्ल में शाया भी हुई थी। विनोद जी इसी कहानी को आगे बढ़ाते हुए एक लम्बी कहानी लिख रहे हैं। इसे हम किताब की शक्ल में शाया करेंगे। इसके कुछ हिस्से समय-समय पर चकमक में आपको नज़र आ जाएँगे। जैसे यह दिलचस्प किस्सा।

Agar Magar - An interactive column with Gulzar Sahab, in which children’s ask questions to him, Illustrations by Atanu Roy
अगर मगर - बच्चों के सवाल और गुलज़ार के जवाब अब एक मज़ेदार कॉलम बनता जा रहा है। शुरुआती औपचारिकता खत्म होती जा रही है। अब बच्चे ज़्यादा सहज होकर सवाल पूछने लगे हैं। आप भी अपने आसपास के बच्चों के सवालों को इकट्ठा करके हम तक पहुँचाने में हमारी मदद करें तो बेहतर होगा।

Piano aur Balo ki Latt - A third part of Priyamvad’s Novel Nachghar, Illustrations by Prashant Soni
प्यानो और बालों की लट (नाचघर की तीसरी किस्त) - मोहसिन और लाजवन्ती नाचघर में मिलते रहे। नाचते रहे। बतियाते रहे। बातें करते रहे। मोहसिन की माँ दरगाह में चढ़ानेवाली चादरें बनाती। पर दुआ माँगती कि किसी को ये चादरें खरीदनी न पड़ें। सबकी मुरादें पूरी होती रहें... किशोर उम्र के प्रेम का एक सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करना है यह लघु उपन्यास।

Jab mahilao ne shikar kiya to purusho ne kya kiya - An article on some sculptures and their description by C.N.Subramanayam
जब महिलाओं ने किया शिकार तो पुरुषों ने क्या किया- लेखक हम्पी घूमने गए। वहाँ अचानक उनकी निगाह पत्थर के एक चबूतरे पर टिक गई। वहाँ एक शिकार कर रही महिला का शिल्प था। लेखक ने कुछ शिल्प देखे। जिनमें वह अपने एक साथी के साथ सुअर और हिरन का शिकार कर रही है। शिकार के बाद वे उसे उठा कर ले जा रहे हैं। एक शिल्प में शिकारिन के पाँव में काँटा चुभ गया है जिसे उसका साथी निकाल रहा है। यह किस्सा शायद विजयनगर के शिल्पकारों को बहुत पसन्द था क्योंकि यह कई जगह नज़र आता है।...यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती... इस बेहद दिलचस्प लेख को पढ़ें और उसके शिल्पों का मज़ा भी लें।

Dhaulagiri ko dekhkar - A poem by Vinod Kumar Shukl, Illustration by Atanu Roy
धौलागिरि को देखकर- स्मृतियाँ कई चीज़ों से मिलकर बनती हैं। दृश्य, ध्वनि, गन्ध, भाव, मौसम...ऐसी अनगिन चीज़ें हैं...। कहीं बचपन का छूटा टिफिन हाथ लग जाए तो मन में कितनी बातें उमड़ने लगती हैं। कहाँ रहती हैं वो सारी यादें। टिफिन में? हममें? दोनों के संयोग में? ऐसी कितनी ही चीज़ें मन में उमड़ने लगेंगी इस कविता को पढ़कर...

धौलागिरि को देखकर
मुझे याद आई
धौलागिरी की तस्वीर
क्योंकि तस्वीर पहले देखी गई थी...

Hawa - A short piece on wind by Sushil Shukl, Illustration by Shobha Ghare
हवा - जो दिखता नहीं पर महसूस होता है उसे दर्शाएँ कैसे? गुस्सा, प्रेम, जीत, शिकस्त....और गन्ध...और हवा। आप भी सोचिएगा! यहाँ दो चित्र हैं जिनमें चित्रकार शोभा घारे ने बहती हवा को अपनी अन्दाज़ में दर्शाया है। आप भी देखें ये दो बेहद खूबसूरत चित्र।

Pyare bhai Ramsahay - A story by Swayam Prakash, Illustrations by Atanu Roy
प्यारे भाई राम सहाय - ट्रेन का सफर है। कुछ अलमस्त, मस्तीखोर लड़के हैं। और पास ही है एक महिला अपने बेटे के साथ। जो पूरे रस्ते उसे कुछ न कुछ सीख दिए जा रही है। उसे पढ़ाए जा रही है। ये लड़के उसका धीमे-धीमे मज़ाक बना रहे हैं। पर कुछ देर बाद वे देखतेहैं कि एक गर्भवती महिला डिब्बे में दाखिल होती है। लड़के अफनी जगह जमे हैं। और उसे मस्ती की रौ में हैं। पर वो महिला अपने बेटे के साथ खड़ी हो जाती है। और उसे जगह दे देती है। क्या यह भी बच्चे के लिए एक सीख है? या फिर उन बच्चों के लिए भी जो उसका मज़ाक बनाने में लगे हुए हैं। अपने आसपास के रोज़मर्रा के जीवन से स्वयंप्रकाश एक और बेहद मार्मिक किस्सा चुन लाए हैं। और साथ में हैं अतनुराय के जीवन्त चित्र।

Rang - An article by Naresh Saxena on Colors, Illustrations by Swetha Nambiar
रंग- दुनिया रंग-बिरंगी। जब कवि ने इसे कहा होगा तो यकीनन उसका मतलब उन रंगों से ज़्यादा रहा होगा जो दिखते नहीं हैं। पर यहाँ बात खासतौर पर दिखाई देनेवाले रंगों की है। पर जब आप इस बेहद दिलचस्प लेख को पढ़ेंगे तो पाएँगे कि यहाँ भी कई रंग दिखते नहीं हैं...

Dekhna na hua masale ugana hua - A memoir by Dilip Chinchalkar, Illustration by Dilip Chinchalkar
देखना न हुआ मसाले उगाना हुआ - चित्रकार के लिए सबसे ज़रूरी है देखना। उसका देखना जितना पैना, असीमित होगा उसके चित्र उतने ही जीवन्त होंगे। देखना चित्रकार दिलीप जी के लिए मसाले इकट्ठा करके रखने जैसा है। जैसे ही भरवाँ बैंगन की माँग हुई मन में भरे मसालों से उन्हें बना लिया। दिलीप जी की खास शैली में उनका एक संस्मरण।

Mathapacchi - Brainteasers
माथापच्ची - सोच-सवालों का पन्ना।

Roz ek kaam - A poem by Liladhar Jaguri, Illustration by Kanak

रोज़ हममें से कोई चला जाता है
रोज़ हममें से कोई खो जाता है
रोज़ हममें से कोई लापता हो जाता है
सब के सब हम कभी गायब नहीं होते
सब के सब हम कभी नहीं होगें खत्म..
रोज़ हममें से एक न एक का चला जाना
रोज़ हममें से एक न एक का खो जाना
रोज़ हममें से एक न एक का कम हो जाना
घड़ी दो घड़ी में भूल जाते हैं हम

लेकिन ताज्जुब है कभी भी उस एक का खाना नहीं बचता
कभी भी उस एक के साने की जगह सूनी नहीं रहती...

अकसर नए मॉल को खुलता देख, या शहरों में गगनचुम्बी इमारतों को बनती देख ख्याल आता है कि इतनी सारी दुकानें, घर तो हैं, फिर इनमें कौन आएगा। पर जैसे ही वो खुलता है वहाँ लोग दिखने लगते हैं। कहाँ रहते होंगे वे यहाँ से पहले, कहाँ बाज़ार जाते होंगे इससे पहले...। साथ में है कनक का सुन्दर चित्र।

Mard ka Bachaha - A story of a teenage boy Abu by Rajshekhar, Illustrations by Priya Kurian
मर्द का बच्चा - रोते क्यों हो? क्या लड़की हो? चूड़ियाँ पहन रखी हैं क्या? बचपन से ही लड़कों को यह सुनना पड़ता है। वो रोना चाहें तो रो नहीं पाते। चूड़ियाँ पहनने का मन हो तो पहन नहीं सकते। हम लड़कियों को तो जीने नहीं ही देते, लड़कों को भी फलने-फूलने से रोके रहते हैं। एक बढ़ते बच्चे की कशमकश को बेहद सुन्दर ढँग से प्रस्तुत करती है यह कहानी।

Chashma naya hai - “Deewaro ke sath saans lena” is a memoir by 10th std student Ritu, Illustration by Taposhi Ghoshal
चश्मा नया है - दसवीं की छात्रा रितु ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा बाल अधिकार तथा प्रदूषण विषय पर आयोजित बैठक में इस लेख को पढ़ा था। जहाँ वो आसपास बढ़ते प्रदूषण पर अपने और अपने दोस्तों के विचार रखती हैं। ये विचार उसने कहीं से पढ़कर नहीं बनाए। ये बने हैं आसपास को देखते हुए। महसूसते हुए।

Mera Panna - Children’s creativity column
मेरा पन्ना - बच्चों की रचनात्मकता को मंच देते पन्ने।

Ghanti aur Khana - A story by 5th Std student Shashank Parchure, Illustration by Prashant Soni
घण्टी और खाना -  एक गर्म दिन एक कुत्ता गले में घण्टी लटकाए गायों को देखता है। इसे देख वो उत्साहित होता है और मन्दिर की घण्टी बजा देता है। पर बेचारा भगाया जाता है। फिर एक घर की घण्टी बजाते डाकिए को देखता है। वो पानी माँगता है तो उसे मिल जाता है। वो भी इसे आज़माने के लिए घर की घण्टी बजाता है। पर उसे हासिल होता है मार। कुत्ता अन्त में सोचता है – घण्टी बजाने से कुछ ही लोगों को खाना मिलता है।

Haji Naji - Fun stories by Swayam Prakash, Illustration by Atanu Roy
हाजी-नाजी - हाजी नाजी का एक नया किस्सा। बिल्ली बीमार थी। तो उसे नहला दिया। नहला दिया तो ठीक पर सूखने के लिए जो उसे निचोड़ा तो बेचारी हमेशा के लिए सूख गई।

Pankha Chalta Hai - An article on "how air comes down when we switch on the fan" by Nilabh, Illustration by Swetha Nambiar
पंखा चलता है तो हवा नीचे ही क्यों आती है - अपने आसपास की दुनिया दिलचस्प है। पर जब तक हम इसे मानकर नहीं चलते तब तक यह दिलचस्पी तब तक बनी रहती है। जैसे ही मान लिया की ऐसा तो होता ही है, वैसे ही सवाल बन्द। सोचना बन्द। अब यही सवाल लो कि गोल चीज़ें लुढ़कती क्यों हैं? इसका जवाब क्या होगा। अब गोल है तो लुढ़केंगी ही। पर क्यों...। ऐसे ही कुछ बेसिक पर दिलचस्प सवालों की कड़ी का पहला लेख...

Big little book award 2016 - A feature article on Atanu Roy on getting Big little Book award by Parag, a Tata trust's initiative
बिग लिटिल बुक अवॉर्ड 2016 - टाटा ट्रस्ट्स की पहल पराग के तहत इसी साल से बिग लिटिल अवॉर्ड शुरू किया गया है। हर साल किसी एक भारतीय भाषा में लिखनेवाले को यह पुरस्कार मिलेगा। इस साल यह मराठी लेखिका व चित्रकार माधुरी पुरन्दरे और चित्रकार अतनु राय को मिला है। इस अंक में हमने अतनु राय के चित्र व चित्रों पर लिखा है। अगले अंक में आप माधुरी पुरन्दरे के लेखन के बारे में पढ़ोगे।

Chitrpaheli
चित्र पहेली - हर बार की तरह अंक शब्दों की भूलभुलैया वाली पहेली...