आखिर वही हुआ जिसकी आशंका बरसों से व्यक्त की जा रही थी। पांच सोलोमन द्वीप बढ़ते समुद्र तल ने निगल लिए। यह आने वाले दिनों की आहट और चेतावनी है।
पिछले दो दशकों से सोलोमन द्वीपों में समुद्र तल प्रति वर्ष 7 मि.मी. की दर से बढ़ रहा था। इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग और तेज़ व्यापारिक हवाओं को माना जा रहा है। जहां ग्लोबल वार्मिंग यानी धरती की सतह का तापमान बढ़ने के कारण ज़्यादा बर्फ पिघलकर समुद्रों में पहुंच रही है और गर्मी के कारण वैसे भी पानी का आयतन बढ़ रहा है, वहीं ज़ोरदार व्यापारिक हवाओं ने इस पानी को पश्चिमी प्रशांत महासागर की ओर धकेल दिया है।
विश्व स्तर पर देखें तो समुद्र तल औसतन 3 मि.मी. प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है और जलवायु विशेषज्ञों का मत है कि यह वृद्धि सालाना 7 मि.मी. तक पहुंच सकती है। क्वीन्सलैण्ड विश्वविद्यालय के साइमन अल्बर्ट ने एन्वायर्मेंटल रिसर्च लेटर्स में मत व्यक्त किया है कि जलवायु सम्बंधी सारे अनुमान बता रहे हैं कि इस सदी के उत्तरार्ध में दुनिया भर में समुद्र तल में वृद्धि की रफ्तार सोलोमन द्वीपों में आज देखी जा रही रफ्तार के बराबर हो जाएगी।
अल्बर्ट और उनके साथियों ने 1947 से 2014 के बीच के हवाई चित्रों तथा उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों के विश्लेषण के आधार पर सोलोमन के 33 रीफ टापुओं पर समुद्र तल में वृद्धि का आकलन किया है। 1947 में मौजूद पांच टापू 2014 में पूरी तरह जलमग्न हो चुके थे; प्रत्येक टापू का क्षेत्रफल 1-5 हैक्टर था। इनके अलावा कोई 6 टापू 20-62 प्रतिशत तक छोटे हो चुके थे। इनमें से सबसे घनी बस्ती वाले टापू (नुआतांबू द्वीप) पर 25 परिवार रहते हैं। 2011 तक यहां के 11 मकान समुद्र ने लील लिए थे।
इस क्षेत्र के पशु भी खतरे का सामना कर रहे हैं। अल्बर्ट के मुताबिक आम तौर पर इन द्वीपों पर रहने वाले प्राणियों को अन्य मांसाहारी जीवों से थोड़ी सुरक्षा रहती है। अत: ये टापू समुद्री कछुओं और कई पक्षियों के लिए प्रजनन स्थल रहे हैं। टापुओं के डूबने के साथ ही इन प्राणियों को यह सुरक्षा नहीं मिल पाएगी।
तस्मानिया विश्वविद्यालय के मैट किंग का कहना है कि यदि वैश्विक तापमान वर्तमान स्तर पर टिका रहता है, तो भी समुद्र तल में वृद्धि आने वाले कई दशकों तक जारी रहेगी क्योंकि ग्लेशियर्स अपने आसपास के क्षेत्र से संतुलन गंवा चुके हैं और आने वाले वर्षों में पिघलते जाएंगे। और यदि ताममान बढ़ता रहा तो स्थितियां बहुत विकट हो सकती हैं। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - July 2016
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