डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
गाय और जिराफ के बीच क्या सम्बंध है? देखने से तो लगता है कि बहुत कम सम्बंध है। लेकिन आनुवंशिकी विदों का कहना है कि वे एक ही पूर्वज से विकसित हुए हैं और 2.8 करोड़ साल पहले अलग-अलग राह पर चल पड़े थे। उस पूर्वज से एक शाखा उस जंतु के रूप में सामने आई थी जिसे ओकापी का अग्रदूत माना जाता है। और लगभग 1.15 करोड़ साल पहले ओकापी में आनुवंशिक परिवर्तनों की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप जिराफ प्रकट हुआ था। इस लिहाज़ से जिराफ गाय के वंश या गोत्र का है।
जिराफ 17 फीट लंबा, एक टन वज़नी (नर 1200 किलो और मादा 830 किलो) होता है। साथ में 6 फुट लंबी गर्दन, चारों ओर की दुनिया को घूरती उभरी हुई बड़ी-बड़ी आंखें, तेज़ रफ्तार (अरबी नाम ज़ाराफ है जिसका मतलब तेज़ चालक है) हैं। उसकी 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार दिलचस्पी, विस्मय और उलझन पैदा करती है।
गाय और ओकापी की तरह जिराफ भी शाकाहारी हैं; जो बबूल की पत्तियों और टहनियों को चट करते हैं, वह भी 20 इंच लंबी जीभ की मदद से। अफसोस की बात है कि अवैध शिकार और तेज़ी से घटते घास के मैदान के कारण विश्व में केवल 80,000 जिराफ ही बचे हैं।
जिराफ शारीरिक डिज़ाइन का चमत्कार है। कल्पना कीजिए कि वह पानी पीने के लिए 16 फीट नीचे झुकता है। रक्त का बहाव नीचे की ओर दौड़ता है। इस तेज़ी से बहते रक्त की वजह से दिल का दौरा पड़ जाना चाहिए। और जैसे ही पानी पीने के बाद वह अपना सिर वापिस ऊपर उठाता है तो क्या फिर से पूरा रक्त नीचे की ओर नहीं आ जाता होगा? ऐसा नहीं होता क्योंकि उसका हृदय और रक्त वाहिनियां इस तरह बनी हैं कि ऐसा नहीं होता।
आम जिराफ का हृदय 11 किलो का होता है (हमारा 350 ग्राम) और 2 फीट लंबा होता है। इसकी धमनियों में भी वॉल्व होते हैं जबकि हमारी शिराओं में ही वॉल्व पाए जाते हैं। जब सिर नीचे की ओर जाता है तो धमनियों के ये वॉल्व बंद हो जाते हैं। और वहां स्पंज के समान रक्त वाहिनियों का झुंड होता है जो कि अतिरिक्त रक्त को सोख लेता है। और जैसे ही जिराफ सिर को ऊपर उठाता है यह स्पंज ऑक्सीजन युक्त रक्त को मस्तिष्क में भेज देता है।
जिराफ का सिर भारी नहीं होता है (जबकि वह हर चीज़ को शाही अंदाज़ में देखता है)। उसकी खोपड़ी हल्की होती है और उसमें कई खोखली गुहाएं होती हैं।
जिराफ के अगले और पिछले पैर समान लंबाई के होते हैं यहां तक कि सहारा भी बराबर देते हैं। और जैसे ही जिराफ का बच्चा पैदा होता है तो क्या वह ज़मीन से 6 फीट ऊंचाई से नहीं गिरेगा? चिंता की कोई बात नहीं क्योंकि उसकी मां के पास 3 फुट लंबी गर्भनाल होती है जो कि रस्सी की तरह काम करती है। इसी के सहारे वह आसानी से नीचे की ओर आ सकता है। हम इसके कई अनूठे गुणों की चर्चा कर सकते हैं, मगर इतना कहना ही पर्याप्त होगा कि जिराफ एक बेढंगा जीव नहीं बल्कि एक अच्छी बनावट का जीव है।
लेकिन कैसे उसके पास लंबी गर्दन है जो कि उसके रिश्तेदार के पास नहीं है? लैमार्क का मानना है कि यह कई पीढ़ियों तक गर्दन में खिंचाव के कारण बनी है। डार्विन और दूसरे वैकासिक जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि यह गलत अवधारणा है। यह गुण जेनेटिक म्युटेशन (जीन उत्परिवर्तन) के कारण आया है और यह प्राकृतिक चयन का एक उदाहरण है। इसी बात की व्याख्या के लिए अफ्रीकी कबीलों और रुडयार्ड किपलिंग ने ज़्यादा कल्पनाशीलता का परिचय दिया है।
जिराफ की उत्पत्ति और विकास के हाल के अध्ययनों ने इस मुद्दे को और ज़्यादा साफ किया है। इसके लिए पेनसिलवेनिया स्टेट युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डगलस केवेनर के नेतृत्व में जेनेटिक ग्रुप का धन्यवाद जिन्होंने तन्ज़ानिया और कीन्या (डॉ. मोरिस अगाबा) और दूसरों के साथ मिलकर काम किया। उनका शोधपत्र नेचर कम्युनिकेशन के 17 मई के अंक में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने जिराफ और ओकापी के जीनोम की तुलना की तो उन्हें कई प्रमुख जानकारियों का खज़ाना मिला। तुलना में 70 जीन्स का सेट मिला जो लंबी गर्दन वाले में अनुकूलन के विभिन्न संकेत बताते हैं। ये जीन श्रृंखलाओं में अनोखे बदलाव हैं जिनकी वजह से इनके द्वारा बनाए गए प्रोटीन में तब्दीली इस बदलाव की ओर ले जाती है। इनमें से आधे से ज़्यादा जीन्स जिराफ के कंकाल और हड्डियों, हृदय व रक्त संचार तंत्र और तंत्रिका तंत्र के विकास और क्रिया का नियमन करते हैं।
पेन स्टेट युनिवर्सिटी द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि वैज्ञानिकों को जिराफ की लंबी गर्दन और पैरों के विकास का आनुवंशिक कारण पता लगा है। जिराफ की गर्दन और पैर में उतनी ही हड्डियां होती हैं जितनी हम मनुष्यों और स्तनधारियों में होती हैं, लेकिन थोड़ी ज़्यादा लंबी होती है। और कम से कम दो जीन्स की ज़रूरत होती है जो कंकाल के उन हिस्सों को चिंहित करता है जो ज़्यादा बढ़ेंगे और एक जीन होता है जो वृद्धि को बढ़ावा देता है। और समूह ने इन दोनों कामों को नियमित करने वाले जीन पहचान लिए हैं।
असल में इन 70 जीन्स की बदौलत कुछ छोटे-छोटे लेकिन दिखाई देने वाले परिवर्तनों ने ही जिराफ को लंबी गर्दन और टांगों, अति संवेदी तंत्रिका तंत्र, और उच्च मेटाबॉलिज़्म के विकास का तोहफा दिया है। यह उसे ताकत, गति और मज़बूती देता है। इस प्रकार ये प्राकृतिक चयन का सही उदाहरण है और डार्विन का विचार भी यही था। यह सच है कि कैसे ये जीन्स कार्य करते हैं, कौन-से रसायन शामिल हैं वगैरह पर काम किया जाना बाकी है।
जवाहर लाल नेह डिग्री ने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में ज़िक्र किया है कि भारत में पहला जिराफ अफ्रीका से चीन के रास्ते होता हुआ पहुंचा था जिसे वहां के मिंग राजवंश के एक राजा ने यहां के एक स्थानीय राजा को तोहफे के तौर पर दिया था।
यदि यह पहले से ही वैदिक काल में आ गया होता, तो मुझे लगता है कि यह पवित्र पशु बन जाता और हमारे किसी देवी देवता का वाहन बन गया होता। किसका? मेरा मत है देवी पार्वती का, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की पुत्री हैं। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - August 2016
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