समुद्र में सबसे विशाल मूंगा चट्टान - ग्रेट बैरियर रीफ - के एक द्वीप पर पाया जाने वाला एक चूहा मेलोमिस लुप्त हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि यह चूहा जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र तल में वृद्धि की बलि चढ़ा है।
1978 तक ब्रैम्बल के द्वीप पर यह चूहा (Melomys rubicola) सैकड़ों की तादाद में पाया जाता था। ब्रैम्बल के तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर एक छोटा-सा टापू है। मगर 2009 के बाद से इस चूहे के दर्शन एक बार भी नहीं हुए हैं। एक समग्र अध्ययन ने पुष्टि कर दी है कि यह चूहा अब धरती पर नहीं है।
इस छोटे से टापू पर 900 रातों तक कई सारी चूहादानियां लगाने के बावजूद एक भी चूहा नहीं पकड़ा जा सका। इसके अलावा 60 रातों तक कैमरे चलाए गए मगर एक भी चूहा कैमरे की पकड़ में नहीं आया।
यह सर्वेक्षण करने वाले दल के एक सदस्य क्वींसलैण्ड विश्वविद्यालय के ल्यूक ल्यूंग ने बताया है कि संभवत: यह पहला स्तनधारी है जो मानव-जनित जलवायु परिवर्तन का शिकार हुआ है। ल्यूक ल्यूंग व उनके साथियों के मुताबिक यह प्राणि बढ़ते जल स्तर से बच नहीं पाया। पिछले कुछ वर्षों में यह टापू कई बार जलमग्न हुआ है और कई सारे जीव मारे गए हैं।
संकटग्रस्त प्रजातियों के व्यापार पर नज़र रखने वाली संस्था ट्राफिक के रिचर्ड थॉमस का मत है कि हो सकता है कि इससे पहले भी कई प्रजातियों की विलुप्ति में जलवायु परिवर्तन का हाथ रहा हो मगर यहां तो जलवायु परिवर्तन ही निर्णायक कारक रहा है। लगभग यही बात क्वींसलैण्ड विश्वविद्यालय के जेम्स वॉटसन ने भी कही। उनके अनुसार इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ब्रैम्बल के मेलोमिस लुप्त हो चुका है और यह घटना बढ़ते समुद्र तल की वजह से हुई है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के वक्तव्य में कहा गया है कि आज तक संघ की रेड लिस्ट में किसी स्तनधारी प्राणि को जलवायु परिवर्तन की वजह से लुप्त नहीं गिना गया था। अलबत्ता, यह आशंका बहुत दिनों से थी कि ऐसा होगा।
अलबत्ता इस सर्वेक्षण के सदस्यों को लगता है कि ब्रैम्बल के मेलोमिस के निकट सम्बंधी अन्य जगहों पर मौजूद हैं। तो इसे विश्व स्तर पर विलुप्त घोषित करने की जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। (स्रोत फीचर्स)