डॉक्टरों के सामने यह दुविधा प्राय: पैदा होती है - सर्दी-ज़ुकाम या गले के दर्द से पीड़ित मरीज़ को एंटीबोयाटिक दवाइयां दें या न दें। अब एक अध्ययन के निष्कर्ष उनकी मदद कर सकते हैं और एंटीबायोटिक के खिलाफ विकसित होने वाली प्रतिरोध की समस्या पर ब्रेक लगाने में मदद कर सकते हैं।
यू.के. में 610 सामान्य चिकित्सा केंद्रों के एक अध्ययन में पता चला है कि कम एंटीबायोटिक देने पर सांस के संक्रमण से पीड़ित मरीज़ों में अपेक्षाकृत ज़्यादा जटिलताएं पैदा नहीं होती हैं।
यह निष्कर्ष सामान्य डॉक्टरों के लिए काफी मददगार हो सकते हैं। उन्हें तो दिन में कई बार यह निर्णय लेना होता है कि किसी मरीज़ को एंटीबायोटिक दें या न दें। गौरतलब है कि एंटीबायोटिक दवाइयां बैक्टीरिया के खिलाफ कारगर होती हैं मगर इनके अत्यधिक उपयोग के चलते बैक्टीरिया इनके प्रतिरोधी हो जाते हैं। बैक्टीरिया में किसी दवा के खिलाफ प्रतिरोध उत्पन्न हो जाए, तो वह दवा नाकाम रहती है और चिकित्सा की दृष्टि से बेकार हो जाती है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई पेशेवर संस्थाओं ने एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण उपयोग की सलाह दी है।
आम तौर पर जब कोई मरीज़ डॉक्टर के पास आता है तो डॉक्टर को यह पता नहीं चल पाता कि उसकी तकलीफ किसी बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से है या वायरस संक्रमण की वजह से। वायरस संक्रमण में एंटीबायोटिक दवा की कोई भूमिका नहीं होती और ऐसे उपयोग के चलते प्रतिरोध की समस्या सिर उठाती है। मगर डॉक्टर को डर होता है कि यदि बैक्टीरिया संक्रमण हुआ और समय रहते उसका इलाज न किया गया तो बाद में जटिलता पैदा होने की संभावना रहेगी।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अपने अध्ययन में लंदन के किंग्स कॉलेज के मार्टिन गलीफोर्ड और उनके साथियों ने पाया है कि जिन चिकित्सा केंद्रों पर कम एंटीबायोटिक दिए गए, वहां के मरीज़ों में कोई अतिरिक्त जटिलता पैदा नहीं हुई। हां, यह ज़रूर देखा गया कि कम एंटीबायोटिक देने पर निमोनिया और क्विंसी नामक तकलीफ के मामले थोड़े से ज़्यादा होते हैं - गलीफोर्ड ने गणना करके बताया है कि यदि 7000 मरीज़ों वाले किसी चिकित्सा केंद्र पर 10 प्रतिशत कम एंटीबायोटिक दिया जाए, इससे साल भर में निमोनिया का एक अतिरिक्त मामला तथा दस सालों में क्विंसी का एक अतिरिक्त मामला सामने आएगा। इनका उपचार आसानी से किया जा सकता है।
कुल मिलाकर अध्ययन का निष्कर्ष है कि बाद में जटिलता के डर से एंटीबायोटिक का उपयोग गैर-तार्किक है और कम एंटीबायोटिक देकर न सिर्फ कोई खतरा नहीं है बल्कि इससे प्रतिरोध की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। (स्रोत फीचर्स)