न्यूज़ीलैण्ड सरकार ने घोषणा की है कि दुनिया में अपनी तरह की पहली संरक्षण योजना के तहत वह 2050 तक देश के सारे गैर-देशी शिकारी जंतुओं का सफाया कर देगी ताकि देश की प्राकृतिक पारिस्थितिकी को बहाल किया जा सके।
सरकार के मुताबिक चूहों, पॉसम्स और स्टोएट्स के न्यूज़ीलैण्ड में पहुंचने के बाद से इन्होंने देश के अनूठे जंतु जगत को तहस-नहस कर दिया है। इस प्रक्रिया में देश के कम से कम एक-तिहाई देशी पक्षी विलुप्त हो चुके हैं। इसके अलावा देश की पहचान किवी पक्षी भी गंभीर खतरे में बताया जाता है।
सरकार ने अपनी घोषणा में स्पष्ट किया है कि वह निजी-सार्वजनिक साझेदारी के ज़रिए यह काम करेगी और उसने इसके लिए 2.8 करोड़ डॉलर आवंटित किए हैं। न्यूज़ीलैण्ड के प्रधान मंत्री ने दावा किया है कि वर्ष 2050 तक न्यूज़ीलैण्ड का चप्पा-चप्पा चूहों, पॉसम्स और स्टोएट्स से मुक्त हो जाएगा। यह दुनिया में आज तक का सबसे महत्वाकांक्षी संरक्षण प्रोजेक्ट है।
ऐसा माना जा रहा है कि पिछले दशकों में पेस्ट कंट्रोल की जो नई-नई टेक्नॉलॉजी विकसित हुई हैं उनकी बदौलत यह प्रोजेक्ट आसानी से पूरा किया जा सकेगा। इनमें चूहेदानियों की नई-नई डिज़ाइनें, जंतुओं को आकर्षित करने के नए-नए तरीके और विष शामिल हैं। इसके अलावा इन चीज़ों को उपयुक्त जगहों पर पहुंचाने की तकनीकें भी विकसित हो गई हैं। एक अनुमान के मुताबिक इन तकनीकों की मदद से न्यूज़ीलैण्ड के आसपास के 100 टापुओं में पहले ही चूहों का सफाया किया जा चुका है। (स्रोत फीचर्स)