कंप्यूटर और मोबाइल पर खेले जाने वाले कई खेल दावा करते हैं कि उनसे याददाश्त, संज्ञान क्षमता और बुद्धि बढ़ती है। मगर हाल ही में यूएस के फेडरल ट्रेड कमीशन ने ऐसे कई दावों पर सवाल खड़े किए हैं। और तो और, कमीशन ने उपभोक्ताओं को वादा किया है कि उन्होंने जो पैसा इन खेलों में लगाया है, वह उन्हें वापिस दिलाया जाएगा।
ऐसा ही एक ब्रांड है ल्यूमोसिटी। ल्यूमस कंपनी द्वारा संचालित इस ब्रांड के टीवी विज्ञापनों में बताया जाता है कि उसके सारे दावे ठोस अनुसंधान पर आधारित हैं। मसलन, खुद ल्यूमस कंपनी द्वारा किए गए एक अनुसंधान में पता चला था कि उसके खेल आईक्यू में ज़बरदस्त इज़ाफा करते हैं। अब इस शोध पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। फेडरल ट्रेड कमीशन को पैसा वापिस दिलवाने के लिए 13,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं। ल्यूमोसिटी इसके लिए 20 लाख डॉलर देगा।
और फेडरल ट्रेड कमीशन के निशाने पर अकेला ल्यूमोसिटी नहीं है। इस वर्ष मई मेंLearningRx नामक दिमागी प्रशिक्षण खेल के प्रायोजक मिथ्या दावे करने के एवज़ में 2 लाख रुपए का भुगतान करने को राज़ी हो गए हैं। उन्होंने अपने विज्ञापनों में दावा किया था कि उनके खेल से बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है व अल्ज़ाइमर रोग में भी मदद मिलती है।
फेडरल ट्रेड कमीशन के फैसले के बाद से इन खेलों के बाज़ार में गिरावट आई है और इन कंपनियों ने अपने विज्ञापनों में बढ़-चढ़कर दावे करना भी कम कर दिया है। अब वे स्वास्थ्य सम्बंधी अपने दावों को भी पहले जैसे बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित नहीं कर रही हैं।
कई शोधकर्ताओं का कहना है कि दिमागी प्रशिक्षण के इन खेलों से सम्बंधित सारा शोध कई अगर-मगर से घिरा है और अधिकांश मामलों में संदिग्ध है। मसलन एक शोध में देखा गया कि जब खास तौर से सहभागियों को काफी तामझाम के साथ यह खेल खिलवाया जाता है तो उनके आईक्यू में 5 से 10 पॉइन्ट तक की वृद्धि होती है मगर वही खेल साधारण परिस्थिति में खेलने पर कोई असर नहीं पड़ता। यानी हो सकता है कि पूरा असर मिथ्या हो और मात्र तामझाम का परिणाम हो। शेष शोध अध्ययनों पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल भी उठ रहा है कि ऐसे किसी भी अध्ययन के मूल आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
आजकल माता-पिता को अपने बच्चों के दिमागी विकास की बहुत चिंता रहती है। ये कंपनियां उस चिंता का दोहन करती हैं। मगर फेडरल ट्रेड कमीशन के फैसले से स्पष्ट हो जाता है कि इस तरह के खेल संभवत: कोई मदद नहीं करते। (स्रोत फीचर्स)