जब महिलाएं स्तनपान कराना बंद कर देती हैं तो उनके स्तन दूध बनाने का काम छोड़कर सामान्य अंग का रूप कैसे ले लेते हैं? हाल ही में एक ऐसे आणविक स्विच का पता चला है जो इन कोशिकाओं के दूध स्रावी कोशिका से भक्षी-कोशिका बनने की क्रिया को नियंत्रित करता है। ये कोशिकाएं अपने आसपास की कोशिकाओं को खाने लगती हैं। इस खोज से स्तन कैंसर की नई समझ मिल सकती है।
स्तनों में नलिकाओं का जाल होता है जो वसा ऊतक की परत से ढंका होता है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोन संकेतों के कारण इन नलिकाओं की एपीथिलियल कोशिकाएं फूलकर गेंद-समान संरचनाएं (एलवियोलाइ) बना लेती हैं। ये दूध का निर्माण करती हैं। जैसे ही महिला स्तनपान कराना बंद करती है, एलवियोलाइ स्वयं नष्ट हो जाती हैं। इस कोशिकीय खुदकुशी के बाद मलबा हटाने का काम होता है।
आम तौर पर मलबे को हटाने का काम शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाएं करती हैं। मगर यहां पदार्थ की मात्रा इतनी अधिक है कि उससे बहुत अधिक सूजन, दर्द और ऊतक क्षति हो सकती है। लेकिन वास्तव में इतना अधिक नुकसान नहीं होता।
इस प्रक्रिया का एक अनसुलझा पहलू यह है कि अतिरिक्त दूध और मृत कोशिकाओं को प्रतिरक्षा तंत्र की मदद के बिना हटा दिया जाता है।
स्तनपान बंद होने के बाद एपिथिलियल कोशिकाएं अपने पड़ोसियों को खाने लगती हैं। एक प्रोटीन ङठ्ठड़1 सामान्य दूध उत्पादन के लिए और प्रतिरक्षा कोशिका द्वारा कोशिका भक्षण के लिए भी ज़रूरी होता है। शेफील्ड विश्वविद्यालय की नसरीन अख्तर और उनके साथियों ने सोचा कि शायद यही प्रोटीन स्तनपान रुकनेे के बाद स्तनों की पुनर्रचना में शामिल होगा।
ङठ्ठड़1 का असर देखने के लिए अख्तर ने कुछ मादा चूहों में से इस जीन को हटा दिया। उनके बच्चे बच तो गए लेकिन वे सामान्य से छोटे थे। शायद जो दूध उन्हें मिला था वह कम वसा और प्रोटीन युक्त था। अगली गर्भावस्था में जो बच्चे पैदा हुए वे जल्दी ही मर गए।
आगे अध्ययन से पता चला कि Rac1 की अनुपस्थिति से स्तनों में मृत कोशिकाएं और दूध जमा हो गया। इसकी वजह से सूजन की परेशानी बढ़ी और इसने मादा चूहों के अगले गर्भधारण में ऊतक के पुनर्निर्माण और दूध उत्पादन की क्षमता को प्रभावित किया था।
स्तन ग्रंथि के पास काफी मलबा जमा हो जाता है और इसे हटाना होता है। यदि इसे हटाने के लिए केवल प्रतिरक्षी कोशिकाएं ही हैं तो सूजन और ऊतक क्षति पैदा हो सकती है। अख्तर के अध्ययन में यह पहली बार दिखाई दिया कि Rac1 कोशिका-भक्षण के लिए ज़रूरी है और मृत कोशिकाओं और अतिरिक्त दूध की सफाई भी ऊतकों के कामकाज के लिए ज़रूरी है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की शोधकर्ता क्रिस्टीन वॉटसन का कहना है कि ऐसा नहीं है कि प्रतिरक्षी कोशिकाएं इसमें कोई भूमिका नहीं निभाती है। शुरुआत में एपिथिलियल कोशिकाएं दूध प्रोटीन और वसा नलिकाओं को हटाने का काम करती हैं। बाद में प्रतिरक्षा कोशिकाएं भी मृत कोशिकाओं और उनके मलबे को हटाने का काम करती हैं।
ये निष्कर्ष स्तन कैंसर के विकास और फैलाव पर नई रोशनी डाल सकते हैं। हालांकि लंबे समय तक स्तनपान कैंसर के खतरे को कम करता है, लेकिन एक मत यह भी है कि महिलाओं में गर्भधारण के 5 से 10 सालों बाद स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता है क्योंकि इस दौरान स्तनपान के बाद सूजन कैंसर को जन्म देता है और यह कैंसर ज़्यादा आक्रामक होता है। (स्रोत फीचर्स)