Cover Illustration by Atanu Roy
चकमक अप्रैल कवर: इस महीने का कवर बोली रंगोली की पंक्तियों पर आधारित है। कि कैसे एक पेड़ पर एक पूरी दुनिया बसती है। चित्रकार अतनु राय ने इस चित्र को काफी विवरणात्मक बनाया है।
Index - Kaua Khara hai...
कौआ खड़ा है?
राशिद अम्मी से इस बात पर ठिठोली कर रहा है कि कौआ बैठा नहीं खड़ा है।
कनक के बनाए एक बेहद खूबसूरत चित्र के साथ।
Boli Rangoli - A column of illustrations of children on Gulzar’s couplet
बोली रंगोली: इस दफे गुलज़ार साब की कविता टुकड़ा है -
इतना सस्ता और कहाँ सौदा मिलेगा
बीज दो ज़मीन को पौदा मिलेगा
इस कॉलम में आपको पेड़-पौधों के इर्द-गिर्द इक्कीस बेहतरीन चित्र देखने को मिलेंगे। यह बहुत खास बात है कि अधिकतर चित्रों में सिर्फ पेड़ को चित्रित नहीं किया गया है। बल्कि पेड़ के साथ उसकी पूरी दुनिया उपस्थित है। मनुष्य हैं। पक्षी हैं। पानी है। मछली है। सूरज है। बादल हैं। घर हैं। जानवर हैं।
Haji-Naji - An interesting piece by Swayam Prakash Bhatnagar, Illustrations by Atanu Roy
हाजी नाजी: एक हास्य का कॉलम है। हर बार जाने-माने कथाकार एक चिरपरिचित चुटकुले या प्रसंग को नए रूप में पेश करते हैं। इस बार इसमें तीन चुटीले किस्से हैं। अतनु जी के तीन एक से बढ़िया एक बढ़िया कैरीकेचर के साथ।
Teen Biliyan - A Short story by Surjit Sarkar, Illustration by Dileep Chinchalkar
तीन बिल्लियाँ: शौकिया फिल्मकार सुरजीत सरकार की यह कहानी बेहद कल्पनाशील है। इसमें एक चित्रकार तीन बिल्लियों का एक चित्र बनाता है। पर कैनवास में खाली जगह नहीं है। एक चित्र जिस अर्थ में बनता है वह उमर भर उसी अर्थ में नहीं रहता। उसके अर्थ बढ़ते हैं। यानी अगर कोई बिल्ली फैल-फूट कर रहना चाहे तो ....तो उसे तो कैनवास से बाहर जाना पड़ेगा। तो एक-एक करके तीनों बिल्लियाँ कैनवास से बाहर चली गर्इं। और हमारी दुनिया की तीन तरह की बिल्लियाँ बनीं। फिर चित्रकार ने तय किया कि भविष्य में वह चित्रों में खाली जगह का ध्यान रखेगा। इस कहानी को पढ़ने का अपना मज़ा है। साथ ही यह कहानी कितनी खूबसूरत बात उजागर करती है कि खाली स्पेस में ही कोई चित्र सम्भव होता है। और खाली स्पेस से ही वह फूलता-फलता है। कि खाली स्पेस चित्र के समीप रहकर दर्शक को बताती रहती है कि यह चित्र कैसे सम्भव हुआ है। चित्रकार दिलीप चिंचालकर ने बिल्लियों के सजीव चित्र बनाए हैं।
Shabdon aur artho ka bhandaar - An article on Acquisition of language by Indrani Roy
शब्दों और अर्थों का भण्डार है दिमाग: भाषा विज्ञानी इंद्राणी राय ने इस बार बच्चों के लिए एक बेहद सरल आलेख में इस तरफ सोचने के लिए कहा है कि भाषा में सीमित शब्दों से हम कैसे असीमित वाक्य रचना कर पाते हैं। अगर शब्दों की तरह ही वाक्य भी सीमित होते तो क्या होता? पर शुक्र है कि हमारे पास असंख्य वाक्य हैं। इस बात पर अचम्भित होने के लिए यह लेख पाठक को आमंत्रित करता है।
Baghon ka Shikar - A Memoir by Amit Kumar
बाघों का शिकार: अमित कुमार को पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों पर एक फिल्म शूट करनी थी। वे बाघों के जीवन, उनकी आदतों के बारे में कई चीज़ें रिकार्ड कर चुके थे। पर अनायास कुछ ऐसा हुआ जो झकझोरकर रख देना वाला था। एक रोमांचक अनुभव। इसका सजीव चित्रांकन चित्रकार दिलीप चिंचालकर ने किया है।
Sabun Aur Machhali - An interesting piece by Arvind Gupte
साबुन और मछली: साबुन और मछली का क्या मेल? है। अनोखा है। साबुन के अपने मूल गुण के बहाने एक मछली की कहानी जो शार्क या व्हेल जैसी बड़ी मछलियों से चिपक कर जीवन चलाती है। इसके चिपक जाने की क्षमता का फायदा मछुआरे भी उठाते हैं। कछुओं को पकड़ने के लिए।
Mera Panna
मेरा पन्ना: मेरा पन्ना में इस बार बच्चों की लिखी कुछ कहानियाँ और चित्र। एक बच्चे ने एक दिन चाँद को देखा। चाँद आज रोज़-सा नहीं था। आज का चाँद कीचड़ में गिर गया लगता था। इसी अनुभव के आधार पर लिखी एक छोटी-सी कहानी। एक पेड़ का चित्र। जिसकी रेखाएँ बेहद सरल हैं। और लगता है कि वह हवा में पूरा का पूरा एक तरफ झुक गया है। लोहड़ी पर कविता और एक चित्र।
Sayani - A Memoir by Ramesh Billore, Illustration by Dillep Chinchalkar
सयानी: एक दिलचस्प संस्मरण। एक दिन सुबह लेखक अपनी छत पर जाता है तो पाता है कि गिलहरी के दो बच्चे बेहोश पड़े हैं। और फिर उन्हें सँवारने सहेजने में लेखक का पूरा परिवार लग जाता है। कई जतन किए पर एक बच्चा बच नहीं सका। और फिर दूसरा भी जाने कहाँ चला गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद एक उम्मीद बनकर गिलहरी का वह बच्चा दुबारा लेखक के जीवन में आता है। आपाधापी से भरे इस ज़माने में एक गिलहरी के बच्चों की फिकर में पड़े एक इंसान की दास्तान।
Murge ka kila - Journey of Words by Ibbar Rabbi
हिन्दी के जाने माने कवि और भाषा के जानकर इब्बार रब्बी कालीकट के बहाने बताते हैं कि शब्दों के साथ अर्थों के जुड़ने की यात्रा कितनी दिलचस्प होती है।
Googli - A Cartoon Strip by Rajendra Dhodapkar
गुगली: कार्टूनिस्ट राजेन्द्र धोड़पकर का एक कार्टून।
Pakshiyon Ka Anokha Sansar - Jitendra Bhatia takes us to Sichelles Island this time and introduces us with the birds found there
पक्षियों का अनोखा संसार: इस बार जितेन्द्र भाटिया सेशेल्स नामक द्वीप के बारे में बता रहे हैं। यहाँ के पक्षियों के संसार के बारे में। इस द्वीप पर साँप नहीं हैं। इस द्वीप पर मनुष्यों के जाने पर आमतौर पर पाबंदी है। पर लेखक किसी तरह यहाँ पहुँचता है। और यहाँ के पक्षियों के बारे में दिलचस्प जानकारियाँ मिलीं।
Why coffee stain has darker edges? Sushil Joshi tells us about this.
काफी के धब्बे किनारे पर गहरे क्यों होते हैं?: यह एक आम अनुभव है। लेखक सुशील जोशी ने इसकी तह में जाने की कोशिश की है कि ऐसा क्यों होता है?
Falana thikana Amuk ji ko mile - We write and post letters to our dear ones. But it must be a nightmare for a postman to find the right address and deliver it there if the address is not properly written or is incomplete. Dileep Chinchalkar writes about this.
फलाना ठिकाना, अमुक जी को मिले: कभी आपने सोचा है कि डाकिया रोज़-रोज़ कितने आधे अधूरे पते वाली चिट्ठियों का सामना करता होगा? और उनको अपने पते पर पहुँचाने के लिए उसे कितना संघर्ष करना पड़ता होगा? अजीबोगरीब पतों और उन तक पहुँचने की जद्दोजहद के बारे में यह दिलचस्प रचना है। इस रचना के जीवंत चित्र दिलीप चिंचालकर ने बनाए हैं।
Poetry orientation column - Poem by Nagarjun and its explanation by noted poet Naresh Saxena
कविता खिड़की: इस कालम में इस बार कवि नागार्जुन की बहुपठित कविता अकाल और उसके बाद की चर्चा है। इस सरल-सी लगने वाली कविता को समझने के लिए हिन्दी के मशहूर कवि नरेश सक्सेना ने एक टिप्पणी लिखी है। इस टिप्पणी की रोशनी में आप कविता के उन अजाने कोनों में भी जा जाके देख सकते हैं जो अकसर पहली नज़र से छूट जाते हैं।
कैसे एक बंद सी कविता के हज़ारों हज़ारों दरवाज़े कविता पर रुककर सोचने से खुल जाते हैं। इस यात्रा में यह बात समझ में आती है कि कविता असल में कवि की एक तलाश का नाम है। कविता की यात्रा में यही तलाश पाठक को नसीब होती है। और आनंद देती है।
इस कविता का मार्मिक रेखांकन अतनु राय ने किया है।
Book Review - Rukhi-Sukhi
रुखी सुखी: यह एक किताब है जो पश्चिमी निमाड़ के अकालों के बारे में है। इस इलाके में चल रहे एक स्कूल आधारशिला के बच्चों ने अपने आसपास के बुजुर्गों के अनुभव जुटाकर यह किताब तैयार की है। इसमें अकाल का मार्मिक वर्णन है। अकाल की भयावहता को आदवासियों की स्मृतियों से जानना एक अलग ही अनुभव है।
Marathi Column - Shezari by Prakash Narayan Sant, Illustration by Dilleep Chinchalkar
शेजारी (सुनो कहानी एक फूल की): मराठी साहित्य की बेहतरीन रचनाओं को यह कालम पेश करता है। इस बार मराठी के मशहूर लेखक प्रकाश नारायण संत की एक रचना सुनो कहानी एक फूल की पेश की है। इसमें दादा का किरदार खासतौर पर गौरतलब है। कैसे एक लेखक किसी किरदार को खड़ा करता है यह रचना सशक्त रूप से बताती है। इस कहानी में इस कदर गिरफ्त है कि पाठक इसे पूरा पढ़े बिना रुकेगा नहीं।
Akaash mein ek ghar - A short Story by Sanjeev, Illustration by Indu Harikumar
आकाश में एक घर: एक लोककथा। एक आम आदमी है जो राजा का मज़ाक उड़ाता रहता है। राजा खफा है। और उसे सज़ा देने के लिए कोई बहाना ढूँढता है। फिर उसे एक तरकीब सूझती है। पर वह राजा पर उल्टी पड़ती है। वह आदमी राजा को छकाते हुए साफ बच निकलता है।
Brain Teasers
माथापच्ची: दिमगी कसरत के कुछ सवाल।
Chitra Paheli
चित्रपहेली: चित्रों के सुरागों से किसी शब्द तक पहुँचने की एक मज़ेदार यात्रा। एक चित्र से शब्द तक पहुँचने में आप बार-बार उसके समानार्थी शब्दों तक पहुँचने लगेंगे। “कहीं इसका मतलब यह तो नहीं” से शुरू होकर सटीक शब्द तक की यह यात्रा बहुत मज़ेदार होती है।
Two poems by Divik Ramesh, Illustration by Atanu Roy
बैक कवर: कवि दिविक रमेश की दो कविताएँ। एक कविता में बच्चा सड़क से कहता है कि उसके घर छाता नहीं है तो क्यों सड़क थोड़ी ऊँचा उठकर नहीं चलती। अतनु राय के दो सुन्दर चित्र।