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चिड़ियें बहुत सोचती हैं – वीरेन्द्र दुबे
फोटो: दीपाली शुक्ला
चिड़ियों के सोचने पर एक छुटकी कविता।
मिलिपीड का टशन – रोहन चक्रवर्ती
अपने आसपास मौजूद जीवों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। रोहन की इस मज़ेदार कॉमिक के ज़रिए जानिए कि मिलीपीड सेक्या-क्या सीखा जा सकता है।
दास्तान-ए-अनानास – शहनाज़
शहनाज़ को पत्तियों लगे अनानास ही पसन्द आतेहैं। लेकिन एक दिन जब फलवाले ने उन्हें पत्तियाँ काट के अनानास दे दिए तो फिर उन्होंने क्या किया। जानने के लिए पढ़ें...
नज़रिया – रुबीना खान
चित्र: कैरन हैडॉक
सांवले या काले रंग को अपनाना लोगों के लिए इतना मुश्किल क्यों होता है? क्या सांवले या काले रंग का होना कोई कमज़ोरी है? अगर नहीं तो फिर कमी आखिर कहाँ है? ऐसे ही कुछ ज़रूरी सवालों को उठाया है रुबीना ने इस कहानी में...
फीकल सैक, नन्हे पक्षियों के डाइपर – जितेश शिल्के
चिड़िया के छोटे बच्चे घोंसले में ही अपना मल त्याग करते हैं। तो क्या वह मल अन्दर ही पड़ा रहता है? या फिर उसे बाहर ले जाया जाता है? अगर बाहर ले जाया जाता है, तो कैसे? इन्हीं सब सवालों के जवाब शकरखोरे (सनबर्ड) पर नज़र रख कर ढूँढ़े गए हैं...
क्यों–क्यों
क्यों-क्यों कॉलम में हर बार बच्चों से एक सवाल पूछा जाता है जिसका जवाब उन्हें सही-गलत की फ्रिक किए बिना अपनी मर्ज़ी से देना होता है।
इस बार का सवाल था “पिछले कुछ महीनों से स्कूल बन्द हैं। इस दौरान तुमने स्कूल की किस बात को सबसे ज़्यादा मिस किया, और किस बात को बिलकुल भी मिस नहीं किया?
बड़े मज़ेदार जवाब आए इस बार। इनमें से कुछ आप यहाँ पढ़ पाएँगे।
टीके (वैक्सीन) किस तरह से काम करते हैं - रिद्धि जोशी
कोविड-19 बीमारी के इस दौर में सभी लोग बेसब्री से इसकी वैक्सीन (टीका) बनने का इन्तज़ार कर रहे हैं। पर क्या आप जानते हैं कि वैक्सीन बीमारी से हमारेशरीर का बचाव किस तरह करती हैं? चलिए जानते हैं कि आखिर टीके किस तरह से काम करते हैं।
मास्क – सजिता नायर | तुम भी बनाओ
अब तो मास्क जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा हो चुका है। बाज़ार में भी एक से बढ़कर एक मास्क उपलब्ध हैं। लेकिन अपने लिए मास्क घर पर भी तैयार किए जा सकते हैं और उन्हें सुन्दर भी बनाया जा सकता है। सजिता ने मास्क को सुन्दर बनाने के कुछ तरीके यहाँ बताए हैं। आपके पास कोई और तरीका हो तो ज़रूर बताना...
आबू-साबू – श्याम सुशील
चित्र: अमृता
शुरुआती पढ़ना सीख रहे बच्चों को किसी किताब के केवल चित्र और शब्द ही नहीं बल्कि उसका स्वरूप भी प्रभावित करता है। आबू-साबू एकलव्य द्वारा प्रकाशित अनूठे स्वरूप वाली अकॉर्डियन किताब है। इस किताब की एक झलक यहाँ प्रस्तुत है...
बर्डवॉचिंग – संकेत राउत, जिज्ञासा पटेल
फोटो: दीपाली शुक्ला
बर्डवॉचिंग का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि इसके लिए जंगलों में जाना होगा और बड़ा तामझाम करना होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। संकेत और जिज्ञासा ने बर्डवॉचिंग के कुछ आसान तरीके बताए हैं जिनसे हम अपने घर के आसपास दिखने वाले पक्षियों पर नज़र रख सकते हैं। पक्षियों को पहचानने में मदद के लिए पक्षियों की फोटो सहित हिन्दी व अंग्रेज़ी नामों की एक सूची भी दी गई है।
बोरेवाला - जयश्रीकलाथिल
चित्र - राखीपेशवानी
बोरेवाला कहानी की यह आखिरी किस्त है। चाकप्रान्दन का क्या हुआ? अनु का क्या हुआ? उनकी दोस्ती का क्या हुआ? क्या अनु की जादुई लकड़ी डेज़ी ने कुछ जादू किया? जानने के लिए पढ़िए....
डिफरेंट टेल्स
बच्चों की ज़िन्दगी सिर्फ पढ़ाई और खेल तक सीमित नहीं है। उनकी ज़िन्दगी भी तमाम तरह के अनुभवों से भरी हुई है। उनके अन्दर सिर्फ खुशी, गुस्सा और दुःख नहीं होता बल्कि बड़ों की तरह उनमें भी कई तरह की भावनाएँ होती हैं। ‘डिफरेंटटेल्स' बाल साहित्य में इन्हीं विषयों को उजागर करने का एक प्रयास है। यहाँ डिफरेंट टेल्स के तहत प्रकाशित किताबों के बारे में जानकारी दी गई है...
अमीबा भूलभुलैया में रास्ता ढूँढ़ सकते हैं
भूलभुलैया में जाना और खुद से बाहर निकलना मुश्किल भी होता है और रोचक भी। चूहों के बारे में तो पता था कि वे भूलभुलैया में सही रास्ता ढूँढ़ लेते हैंI पर अमीबा जैसे जीव भी भूलभुलैया में रास्ता नहीं भटकते। इस बारे में अधिक जानने के लिए पढ़िए यह दिलचस्प लेख।
तुम भी जानो
इस बार जानिए एक ऐसे पेड़ के बारे में जो किसीदूसरे पेड़ के ऊपर उग आया है। और दो रंग-बिरंगे तालाबों के बारे में जिनके रंग अलग-अलग तो हैं ही, पर जो अपने रंग बदलते भी रहते हैं।
मेरा पन्ना
कहानी – सतरंगी बारिश, बादल ने सोचा
वाकया –फुलझड़ी, इतवार का दिन, बहुत मज़ा किया
और बच्चों के दिलकश चित्रों से सजे पन्ने...
माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।
चित्रपहेली
चित्रों में दिए इशारों को समझ कर पहेली को बूझना।
भूलभुलैया
कुछ लोग अपने घर का रास्ता खोज रहे हैं। रास्ता ज़रा पेचीदा है...
गई भैंस पानी में – मनोज साहू ‘निडर’
चित्र: कनकशशि
कूदी- उचकी मारी गुपची,
दिन भर लोरी पानी में
एक नहीं दो-चार खड़ी हैं,
कारी-भूरी पानी में...