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मेघालया का खासी घटपर्णी – रोहन चक्रवर्ती
अनुवाद: सजिता नायर
मिलिए मेघालय के एक कीटभक्षी पौधे से, रोहन के अन्दाज़ में।
रोज़ा इफ्तार – सबा खान
चित्र: शुभश्री माथुर
कोरोना के आने से पहले तो बच्चों की रमज़ान भर ईद रहा करती थी। वे चाहे जिस इफ्तारी में शामिल हो जाते थे। पर लॉकडाउन के दौरान बीते रमज़ान में बच्चों की रोज़ा इफ्तारी कैसी रही, जानने के लिए पढ़िए...
गणित है मज़ेदार : महिला गणितज्ञ – आलोका कान्हेरे
चित्र: मधुश्री
आपने शायद गणितज्ञों के किस्से पढ़े हों। सोचिएगा कि उनमें से कितने किस्से महिला गणितज्ञों के बारे में हैं। इस लेख में आलोका कुछ महिला गणितज्ञों से हमारा परिचय करवा रही हैं।
तुम भी जानो
इस बार जानिए:
पैंग्विन डाकघर को डाकिए की ज़रूरत
छुट्टियों में होमवर्क मगर बच्चों के लिए नहीं
अन्तर ढूँढो
चित्र: सानिध्य, पाँचवीं, के के अकेडमी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
सानिध्य के बनाए इस खूबसूरत चित्र में दस से ज़्यादा अन्तर हैं। आपने कितने ढूँढे?
तेविस को पहाड़ो – सीमा
चित्र: उबिता लीला उन्नी
जब सीमा छोटी थीं तो उनके पापा हर समय उन्हें पहाड़े रटाते रहते थे। एक बार उनकी प्रिंसिपल ने सबके सामने उनकी खूब तारीफ की और 23 का पहाड़ा सुनाने को कह दिया। पर सीमा को तो 20 तक के ही पहाड़े आते थे। फिर क्या हुआ? क्या सीमा 23 का पहाड़ा सुना पाईं या फिर उन्हें प्रिंसिपल की मार झेलनी पड़ी?
बुंदेलखण्डी लहज़े में लिखा गया यह किस्सा आपको यकीनन गुदगुदाएगा।
क्यों-क्यों
क्यों-क्यों में इस बार का सवाल था: “तुम्हें क्या लगता है क्या भूत सच में होते हैं अगर हाँ तो क्यों, और नहीं तो क्यों नहीं?”
बच्चों द्वारा भेजे गए दिलचस्प जवाबों में से कुछ आपको यहाँ पढ़ने को मिलेंगे। साथ ही उनके बनाए कुछ दिलकश चित्र भी देखने को मिलेंगे।
गणित है मज़ेदार : बढ़ई और चमत्कारी गुफा – विश्वनाथ, मणिकंडन
चित्र: मधुश्री
एक बूढ़ा व्यक्ति एक बढ़ई को बताता है कि पहाड़ी की तलहटी में एक चमत्कारी गुफा है। उसके बाहर पर्स रखने से पर्स में रखे पैसे दुगुने हो जाते हैं। पैसों के दुगुने होने पर बढ़ई को 200 रुपए बूढ़े व्यक्ति को देने होते हैं। तीन बार पैसे दुगुने होने के बाद जब बढ़ई तीसरी बार बूढ़े व्यक्ति को 200 रुपए देता है तो उसके पास कुछ भी नहीं बचता। क्या आप बता सकते हो कि शुरुआत में बढ़ई के पास कितने पैसे थे?
इस पहेली को आप अपने हिसाब से आगे भी बढ़ा सकते हो, कैसे? जानने के लिए आगे पढ़िए...
एक उदास चिड़िया – सुशील शुक्ल
चित्र: मयूख घोष
इस चलती सड़क से
चार कदम
फासले में हैं
वो पेड़ आम का
आकाश में बहती गंगा – आलोक मांडवगणे
मिल्की वे क्या है, इसके सदस्य कौन-कौन हैं, हम इसे कब और कैसे देख सकते हैं— इन्हीं सब सवालों का जवाब आपको इस लेख में मिलेगा।
नन्हा राजकुमार - एन्त्वॉन द सैंतेक्ज़ूपेरी
अनुवाद: लालबहादुर वर्मा
यह नन्हा राजकुमार की आखिरी किश्त है। नन्हा राजकुमार एक शानदार फ्रेंच लघु उपन्यास ल प्ती प्रैंस का हिन्दी अनुवाद है। लेखक को बचपन में बड़ों ने चित्र बनाने से हतोत्साहित किया तो वह पायलट बन बैठा। अपनी एक यात्रा के दौरान उसे रेगिस्तान में जहाज़ उतारना पड़ा। वहाँ उसकी भेंट एक नन्हे राजकुमार से हुई, जो किसी दूसरे ग्रह का निवासी है। राजकुमार ने लेखक को अपने ग्रह के बारे में बहुत-सी विचित्र बातें बताईं। क्या लेखक अपना जहाज़ ठीक कर पाता है, क्या नन्हा राजकुमार अपने ग्रह पर वापिस लौट जाता है? जानने के लिए पढ़िए…
मेरा पन्ना
वाकया: पापा की हिम्मत
लेख: बीड़ी बनाने का काम, महुआ बीनना, अगर मैं दुनिया बनाती
चिट्ठी: बेंगलुरू से एक दोस्त को चिट्ठी
और बच्चों के बनाए कुछ दिलकश चित्र
माथापच्ची
कुछ मज़ेदार सवालों और पहेलियों से भरे दिमागी कसरत के पन्ने।
चित्रपहेली
चित्रों में दिए इशारों को समझकर पहेली को बूझना।
तुम भी जानो
इस बार जानिए:
भारत का बदलता नक्शा
मिल्की वे के ब्लैक होल का पहला चित्र
हवा – श्रवण कुमार सेठ
चित्र: सुरगी के वी, पाँच साल, स्टूडियो रनिंग स्टिच, बेंगलुरू, कर्नाटका
पढ़िए श्रवण कुमार सेठ की एक छुटकी कविता।