सौरव शोम

हमारे दैनिक अनुभव से हम देखते हैं कि भारी वस्तुएँ हल्की वस्तुओं की तुलना में तेज़ी-से गिरती हैं। एक नोटबुक और उसी नोटबुक से लिए गए एक पेपर के टुकड़े को एक ही ऊँचाई से गिराते हैं तो नोटबुक बहुत तेज़ी-से गिरती है। लम्बे समय तक यह माना जाता था कि गिरने वाली वस्तु की गति उसके द्रव्यमान पर निर्भर करती है। सोलहवीं शताब्दी के दौरान गैलीलियो और कई अन्य लोगों ने इस विश्वास पर सवाल उठाया। दिलचस्प बात यह है कि ‘भारी वस्तु तेज़ी-से गिरती है’ यह विचार आज भी हम में किसी-न-किसी रूप में मौजूद है।

अक्सर पृथ्वी पर यह सराहना करना मुश्किल है कि हल्की और भारी, दोनों ही वस्तुओं को एक निश्चित ऊँचाई से ज़मीन तक पहुँचने के लिए एक ही समय लगता है। और यह पृथ्वी के चारों ओर हवा की उपस्थिति के कारण है। सवाल यह हो सकता है कि क्या पृथ्वी पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता? क्या सिर्फ वायुशून्य स्थान पर ही यह देखा जा सकता है? वास्तव में ये सवाल आधुनिक विज्ञान के ज्ञान निर्माण की तरफ भी इशारा करता है। बहुत लोगों का मानना है कि विज्ञान में ज्ञान निर्माण सीधा-सीधा प्रयोग आधारित परीक्षण से प्राप्त होता है। मगर इस धारणा के ऊपर सवाल उठाना ज़रूरी है। इस लेख में आपको इसका एक आभास मिलेगा।

हम फिर हमारे मूल प्रश्न को देखते हैं -- क्या भारी वस्तु, हल्की वस्तु की तुलना में तेज़ी-से गिरती है? इसके परीक्षण के लिए हमें यह देखना है कि क्या सभी मामलों में भारी वस्तुएँ हल्की वस्तुओं की तुलना में तेज़ी-से गिरती हैं।

ऐसा कहा जाता है कि गैलीलियो ने पीसा की झुकी हुई मीनार से विभिन्न द्रव्यमान की वस्तुओं को फेंका था। और प्रयोग से उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि भिन्न द्रव्यमान के बावजूद सभी वस्तुएँ एक ही समय पर ज़मीन पर गिरती हैं। हालाँकि, इस कहानी की वास्तविकता को लेकर सवाल हैं जिसके बारे में हम किसी अन्य लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे।

इस लेख में, मैं कक्षा में छात्र-छात्राओं के साथ करने योग्य कुछ गतिविधियों पर चर्चा करूँगा। ये गतिविधियाँ प्राथमिक स्तर से विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए समान रूप से प्रासंगिक हैं। मैंने इन गतिविधियों को शिक्षक प्रशिक्षण तथा शिक्षक शिक्षण में बड़े लोगों के साथ भी किया है। सभी स्तर पर इन गतिविधियों ने प्रतिभागियों की संकल्पना तथा अवधारणा को बेहतर करने में मदद की।

गतिविधि-1
एक नोटबुक और उसी नोटबुक से लिए गए एक पन्ने को एक ही ऊँचाई पर पकड़िए। छात्रों से पूछिए कि अगर इन दोनों को एक ही साथ छोड़ दिया जाए तो कौन पृथ्वी की सतह को पहले स्पर्श करेगा। “यह एक आसान-सा सवाल है।” “इसमें क्या। नोटबुक जल्दी गिरेगी, और क्या।” मैंने अक्सर ऐसे ही सुना है। इस भविष्यवाणी के दो आधार हो सकते हैं। पहला कि ‘भारी वस्तुएँ तेज़ी-से गिरती हैं’ और दूसरा कि सभी वस्तुएँ समान रैपिडिटी से पृथ्वी पर गिरती हैं, मगर वायु की उपस्थिति की वजह से कागज़ एक पैराशूट जैसे धीरे-धीरे गिरेगा। पहला आधार गलत है, मगर दूसरा आधार सही है।
इस गतिविधि में, भविष्यवाणी सही निकलेगी तथा दोनों ही आधार समान रूप से विचार-योग्य होंगे।

गतिविधि-2
अब उस नोटबुक के पन्ने को नोटबुक के नीचे रखते हैं और सवाल करते हैं कि कौन जल्दी गिरेगा। इस बार भी आपको पहले जैसा जवाब और भविष्यवाणी मिलेगी। कुछ छात्राएँ आपको समझाएँगी कि भारी नोटबुक उसकी यात्रा के दौरान हल्के पन्ने को धक्का देगी और इसलिए दोनों एक ही साथ नीचे गिरेंगे। इस मौके पर एक सवाल यह हो सकता है: क्या धीमी गति से चलने वाला पन्ना, नोटबुक की तेज़ गति को धीमी कर देगा? दरअसल, गैलीलियो ने इसी तरह का तर्क दिया था।
इस गतिविधि में भी भविष्यवाणी सही निकलेगी तथा सभी आधार समान रूप से विचार-योग्य होंगे।

गतिविधि-3
अब उस नोटबुक के पन्ने को नोटबुक के ऊपर रखते हैं और सवाल करते हैं कि कौन जल्दी गिरेगा। इस गतिविधि में मुख्य रूप से दो प्रकार की प्रतिक्रियाएँ होती हैं। पहली प्रतिक्रिया जो ज़्यादातर लोगों की होती है -- नोटबुक हवा में तैरने वाले पन्ने को छोड़कर तेज़ी-से गिर जाएगी, और क्या। दूसरी प्रतिक्रिया, कि दोनों एक ही समय अन्तराल में गिरेंगे। मगर इन प्रतिक्रियाओं के पीछे दो अवधारणाएँ हो सकती हैं। एक सही अवधारणा: सभी वस्तुएँ समान समय में ही गिरेंगी। दूसरी कि वायुमण्डलीय दबाव के कारण दोनों वस्तुएँ एक-दूसरे के साथ रहेंगी।

दिलचस्प बात यह है कि वास्तविक रूप में दोनों वस्तुएँ एक ही समय में गिरती हैं। यह एक सुखद अनुभव रहा कि हर बार मैंने प्रतिभागियों को उत्साहित, खुशी, आश्चर्य और सम्मोहित होने की स्थिति में देखा। इसमें, पहली बार छात्राओं की भविष्यवाणी के विपरीत परिणाम मिलता है जो पहले दो क्रियाकलापों में नहीं हुआ।

हालाँकि, जो वायुमण्डलीय दबाव को इसका कारण दर्शाते हैं, उनके लिए भी गतिविधि से मिला परिणाम भविष्यवाणी के अनुरूप होगा और इसलिए, तीसरी गतिविधि में एक नई गलत धारणा का जन्म होगा। और इसके लिए एक कारण यह है कि छात्राएँ (या कोई भी और हो) अवधारणात्मक उलझी हुई स्थिति को सुलझाने के लिए अपने पूर्व-ज्ञान का इस्तेमाल करती हैं। मगर यह ज़रूरी नहीं है कि वह अवधारणा सही हो। अगली गतिविधि इस गलत अवधारणा को चुनौती देती है।

गतिविधि-4
इस गतिविधि में फिर से नोटबुक और पन्ने लेते हैं। मगर इस बार नोटबुक और पन्ने को ऐसे छोड़ते हैं कि उनकी धार नीचे की तरफ रहे। पहली नज़र में गतिविधि-4, गतिविधि-3 जैसी है। मगर इसमें कुछ उल्लेखनीय अन्तर हैं। सभी पहले वाली गतिविधियों के दौरान दोनों वस्तुओं के ज़्यादा बड़े पृष्ठतल को वायु की बाधा काटना थी, लेकिन अब वस्तुओं के सबसे छोटे पृष्ठतल को वायु की बाधा काटनी पड़ेगी। इस प्रयोग में हवा के प्रभाव को कम करने का यह एक सुविधाजनक तरीका है।

गतिविधि-3 की तरह, इस परीक्षण में भी दोनों वस्तुएँ लगभग उसी समय एक साथ ज़मीन की सतह को स्पर्श करेंगी, हालाँकि वे एक-दूसरे से अलग थीं। यह अवलोकन गतिविधि-3 से उत्पन्न हुई गलत अवधारणा को खारिज करता है।

गतिविधि-3 और 4 के अवलोकन से यह कहा जा सकता है कि धरती की तरफ गिरने वाली विभिन्न द्रव्यमानों की वस्तुएँ एक ही समय में, एक ही दूरी तय करती हैं। अब गतिविधि-1 में क्या कारण है कि हल्की वस्तु देर से गिरती है?

इस सवाल का जवाब देने के लिए हम एक छोटी-सी गतिविधि कर सकते हैं। दो ए-4 आकार के पन्ने को समान ऊँचाई से छोड़ते हैं और उड़ान के लिए कितना समय लगता है, इस पर ध्यान देते हैं। अब इसमें से एक पन्ने को पिचकाकर गेंद जैसे आकार का बनाएँ और दोनों को पहले जैसे गिरने दें। हालाँकि, दोनों एक ही द्रव्यमान के हैं, मगर गेंद के आकार का पन्ना जल्दी ज़मीन तक पहुँच जाएगा। सवाल यह है कि गेंद के आकार में इतना खास क्या है। क्या यह फैले हुए पन्ने से भारी है? नहीं।

अब, कई छात्र वायु द्वारा प्रतिरोध की सम्भावना या अस्तित्व की सराहना करना शु डिग्री कर देंगे। उनसे पूछा जा सकता है कि उड़ान के समय सतह के क्षेत्र का क्या प्रभाव होगा।
सतह के क्षेत्र के प्रभाव का प्रदर्शन करने के लिए, फिर से एक ही साइज़ के दो पन्ने लीजिए। उनमें से एक पन्ने को हर बार फोल्ड करें जिससे सतह पहले की आधी हो जाए। सतह के क्षेत्र को कम करना जारी रखें और दोनों पन्नों की उड़ान के समय को नोट करें। परिणाम को एक सारणी में दर्ज करें। आपने इससे क्या निष्कर्ष निकाला?

अब, इस गतिविधि को आगे रखिए। आपको पहली गतिविधि से एक ए-4 आकार का पन्ना और फोल्डेड छोटी सतह का पन्ना मिला। इस बार भी आप दोनों पन्नों को गिराते रहिए। मगर हर बार एक ए-4 के आकार का पन्ना जोड़ते जाइए। आप यह पता कीजिए कि दोनों को लगभग एक ही समय में गिराने के लिए कितने ए-4 पन्नों की ज़रूरत लगी? आप इससे क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?

कक्षा में इन गतिविधियों को करना दिलचस्प होगा। यह सम्भव है कि आपकी कक्षा के सभी छात्रों के पास कुछ-न-कुछ गलत अवधारणा होंगी। हालाँकि, सभी छात्रों के लिए गतिविधियाँ फिर भी उतनी ही प्रासंगिक होंगी। भविष्यवाणी करना, भविष्यवाणी का परीक्षण करना, पूर्वानुमान और परिणामों के समर्थन में कारणों को साझा करना, और परिणामों की भावना के दौरान तर्क बनाना आदि समृद्ध कक्षा-चर्चा के लिए संसाधन बनाते हैं। बिना किसी हवा का स्थान खोजने के लिए चन्द्रमा पर जाकर परिष्कृत प्रयोगशाला बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके लिए ए-4 आकार के कुछ पन्नों, एक नोटबुक, और पेन की ज़रूरत है। और निश्चित रूप से, गतिविधियों में संलग्न होने के लिए कुछ उत्सुक दिमाग।


सौरव शोम: अज़ीम प्रेमजी स्कूल, मतली, उत्तरकाशी से सम्बद्ध हैं। परियोजना आधारित शिक्षण और शिक्षक व्यावसायिक विकास जैसे विषयों पर शोध करने में रुचि है।

सभी चित्र: आयुषी खंडेलवाल: शासकीय ललित कला संस्थान, ग्वालियर से व्यवहारिक कला में स्नातक। रियाज़ एकेडमी फॉर इलस्ट्रेटर्स से सर्टिफिकेट कोर्स किया है। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से चित्रकारी और डिज़ाइनिंग कर रही हैं।