भारत डोगरा
इन दिनों विश्व स्तर पर सतत विकास लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स या एस.डी.जी) विमर्श के केंद्र में हैं। विकास, पर्यावरण रक्षा व समाज कल्याण की विभिन्न प्राथमिकताओं के सम्बंध में व्यापक विमर्श के बाद समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं कि विभिन्न देशों को निर्धारित समय पर यहां तक अवश्य पहुंचना चाहिए। सतत विकास लक्ष्यों की सार्थकता यह बताई गई है कि इनके निर्धारित होने से उचित प्राथमिकताओं को अपनाने में विश्व स्तर पर बहुत मदद मिलेगी।
ये लक्ष्य तो बहुत ज़रूरी हैं और यदि विश्व इन समयबद्ध लक्ष्यों को पूरा कर सके तो निश्चय ही यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। विकास के महत्वपूर्ण मानकों के आधार पर अभी तक की सबसे बड़ी उपलब्धियां प्राप्त होंगी। पर बड़ा सवाल यह है कि यह सतत विकास लक्ष्य वास्तव में कहां तक प्राप्त हो सकेंगे।
चिंता की एक बड़ी वजह यह है कि जिस दौर में विकास के सबसे बड़े लक्ष्य प्राप्त करने की बात कही जा रही है उसी दौर में अनेक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक व विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इस दौर में अति गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के कारण व अति विनाशक हथियारों के कारण धरती की जीवनदायिनी क्षमताएं ही खतरे में पड़ सकती हैं। सवाल यह है कि ऐसे गंभीर संकट के दौर में विकास की सबसे बड़ी उपलब्धियां कैसे प्राप्त की जा सकती हैं।
जहां एक ओर इतनी गंभीर चुनौतियां हैं, उसी दौर में सतत विकास के निर्धारित लक्ष्य कैसे प्राप्त होंगे? यह प्रश्न इस कारण और पेचीदा हो जाता है कि धरती की जीवनदायिनी क्षमता को संकट में पड़ने से बचाने के प्रयास हाल के समय में सफलता से बहुत दूर रहे हैं और विश्व के सबसे शक्तिशाली देश इस संदर्भ में अपनी बड़ी ज़िम्मेदारियों से दूर हटते नज़र आए हैं।
अत: इस समय यह बहुत ज़रूरी है कि विध्वंसक हथियारों को न्यूनतम करने, युद्ध व गृह युद्ध की संभावना कम से कम करने तथा अमन-शांति के लिए विश्व में एक व्यापक व सशक्त जन-अभियान निरंतरता से चले। इसी तरह धरती की जीवनदायिनी क्षमता से जुड़े पर्यावरण के मुद्दों पर भी ऐसा ही अभियान चले। इन जन-अभियानों द्वारा इन समस्याओं की गंभीरता की जानकारी करोड़ों लोगों तक भलीभांति पहुंचाई जाए व इन समस्याओं के समाधान के अनुकूल जीवन-मूल्यों का प्रसार किया जाए। इस तरह अति महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक ज़बरदस्त जन-उभार आ सकता है व इस उभार के कारण सरकारें भी इन मुद्दों पर अधिक ध्यान देने के लिए बाध्य होंगी। इस तरह जो अनुकूल माहौल तैयार होगा, उससे सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी। (स्रोत फीचर्स)