आम उम्र को जीवन के वर्षों की संख्या से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन, नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अभूतपूर्व अध्ययन ने इस धारणा को गलत साबित किया है। इस अध्ययन के अनुसार हमारे शरीर के भीतर के अंगों की उम्र में अलग-अलग दर से बढ़ती है जो हमारी कैलेंडर उम्र से काफी अलग होती है। इस निष्कर्ष से हमारे स्वास्थ्य आकलन और प्रबंधन के तरीके में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है।
इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के 5500 से अधिक व्यक्तियों की जांच की जो किसी सक्रिय बीमारी या असामान्य जैविक संकेतक से ग्रसित नहीं थे। जांच में विशिष्ट अंगों से जुड़े प्रोटीन्स के आधार पर हर अंग की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया गया। शोधकर्ताओं ने रक्त में लगभग 900 ऐसे प्रोटीन्स पाए जो किसी विशिष्ट अंग से सम्बंधित हैं। इस तरह एक निश्चित उम्र के लिए अपेक्षित स्तर की तुलना में इन प्रोटीनों के स्तर में परिवर्तन सम्बंधित अंग की तेज़ी से बढ़ती उम्र के संकेत देता है। किसी अंग की जैविक उम्र और उसकी कैलेंडर उम्र के बीच विसंगतियों के आधार पर भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों का पता लगाया जा सकता है।
इस अध्ययन के हिसाब से विचार करें तो जिन व्यक्तियों का हृदय तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है, उनमें उन लोगों की तुलना में हृदयाघात का खतरा दुगना पाया गया है, जिनका हृदय सामान्य दर से बूढ़ा हो रहा है। इसी तरह, मस्तिष्क में बढ़ती उम्र का ठोस सम्बंध संज्ञानात्मक गिरावट और अल्ज़ाइमर रोग की उच्च संभावना के साथ पाया गया। इसके अलावा, जब गुर्दे समय से पहले बूढ़े हो जाते हैं तो यह भविष्य में उच्च रक्तचाप और मधुमेह का एक मज़बूत संकेत देते हैं।
हालांकि, इस अध्ययन की काफी सराहना की जा रही है लेकिन कुछ विशेषज्ञ ज़्यादा साफ समझ के लिए और अधिक शोध पर ज़ोर देते हैं। इसका एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि इस अध्ययन से व्यक्ति-आधारित निदान का रास्ता मिलता है जिसमें एक संभावित रक्त परीक्षण की मदद से आसन्न स्वास्थ्य समस्याओं का अनुमान लगाया जा सकता है। यह दृष्टिकोण व्यक्ति-आधारित चिकित्सा के बढ़ते क्षेत्र के अनुरूप है।
वाइस-कोरे मानते हैं कि यह खोज भविष्य में तेज़ी से बढ़ती उम्र को उलटने या धीमा करने में काफी सहायक होगी। हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि उम्र बढ़ना केवल एक अंग की कहानी नहीं है। यह तो जीवनशैली, पर्यावरण, आहार और समग्र स्वास्थ्य सहित कई परस्पर जुड़े कारकों द्वारा निर्मित एक जटिल संरचना है। यह शोध एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रदान करता है जहां कोई भी हस्तक्षेप व्यक्ति-आधारित है और बीमारियों की जड़ें जमने से पहले ही अपना काम शुरू कर देता है। यह एक ऐसी शुरुआत है जो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य के प्रति हमारी धारणा और प्रबंधन को नया आकार दे सकती है। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - February 2024
- दुबई जलवायु सम्मेलन की कुछ झलकियां
- क्या 1.5 डिग्री से कम वृद्धि का लक्ष्य संभव है?
- ग्लोबल वार्मिंग नापने की एक नई तकनीक
- चारधाम हाईवे और हिमालय का पर्यावरण
- छोटी नदियों को बचाने के सार्थक प्रयास
- ओज़ोन-अनुकूल शीतलक इतने भी सुरक्षित नहीं
- गर्माती धरती पर पक्षियों के पैर लंबे होने की संभावना
- सर्दियों में गर्म रखती नाक की हड्डियां
- शहदखोजी पक्षी स्थानीय लोगों की पुकार पहचानते हैं
- कुछ पेंगुइन दिन में 11 घंटे सोते हैं लेकिन...
- रोशनी पक्षियों के जीवन में अंधकार लाती है
- निशाचर प्रवृत्ति ने मछलियों को विलुप्ति से बचाया
- बिल्लियों के चेहरे पर लगभग 300 भाव होते हैं
- कीट है या फूल है?
- गार्टर सांप दोस्तियां करते हैं
- आधी से अधिक सर्पदंश मौतें भारत में होती हैं
- छोटी झपकियों के बड़े फायदे
- दिल के लिए... बैठने से बेहतर है कुछ न कुछ करते रहें
- अलग-अलग रफ्तार से बढ़ती अंगों की उम्र
- कार्यात्मक खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य लाभ
- एआई को अपनी आवाज़ चुराने से रोकें
- नेपाल में आंखों की रहस्यमयी बीमारी
- आंखों का संक्रमण: दृष्टि की सुरक्षा कैसे करें
- शनि के चंद्रमा पर जीवन की संभावना के प्रमाण