इस बार संदर्भ बहुत देर से आई। सोचा था कि ऐसा एक पत्र लिखा जाए जिसमें यह शिकायत हो किंतु संदर्भ का यह ‘संयुक्तांक' ऐसा है जिसने मेरी शिकायत को दूर कर दिया। संदर्भ में एक खराबी भी है कि जब भी संदर्भ आती है मेरे उस समय-विशेष के कार्यों को अव्यवस्थित कर देती है, क्योंकि जब तक इसे अच्छी तरह से देख न लें, कहीं और मन ही नहीं । लगता। इस बार की संदर्भ मुझे ज्यादा प्रिय लगी क्योंकि इसमें गणित का समावेश है। और वह गणित भी रोचक तरीके से लिखा और दर्शाया गया है। विजय शंकर वर्मा के लेख को पढ़कर आगे बढ़ाने की इच्छा हुई। मैं जब भी कोई लेख या कहानी पढ़ता हूं तो उसमें दिए गए निर्देशों के अनुसार। पढ़ने की कोशिश करता हूं क्योंकि वैसा करने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आता है। जैसे वर्माजी के लेख में उन्होंने पहेली के तुरंत बाद कहा कि लेख को वहीं छोड़ कर आगे पढ़ने से पहले पहेली को हल करने की कोशिश करें, तो मैं शुरू हो गया। पहले मन में करने की कोशिश की, पर जल्द ही कागज़ पेन उठाना पड़ा। मैंने इसे जिस विधि से हल किया वह वर्माजी के तरीके से अलग था। बस अंतर सिर्फ इतना है कि लेखक ने दो ‘चरों' (अज्ञात राशि) का इस्तेमाल किया है जबकि मैंने सिर्फ एक ‘चर' लिया।
पहेली सामने रखी और ध्यान दिया कि इसका अंत तो निश्चित है। इसलिए मैंने इसे अंत से शुरू किया।
माना कि सबसे अंत में पुजारी ने x फूल चढ़ाए। और अब उसके पास कुछ भी नहीं बचा। अत: आखिरी बार तालाब में फूल धोने से पहले या तीसरे मंदिर में फूल चढ़ाने के बाद उसके पास X/2 फूल बचे होंगे।
क्योंकि सभी मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूलों की संख्या समान है इसलिए तीसरे मंदिर में भी उसने x फूल चढ़ाए होंगे। यानी तीसरे मंदिर में चढ़ाने से पहले उसके पास
X/2 + X = 3X/2 फूल होंगे।
इसी प्रकार दूसरे मंदिर में चढ़ाने के बाद और तालाब में धोने के पहले
3X/2 x 1/2 = 3XI4 फूल थे।
और दूसरे मंदिर में चढ़ाने से तुरंत पहले
3X/4 + X= 7X/4 फूल थे ।
इसी प्रकार दूसरे मंदिर से पहले, तालाब में धोने के पहले
7X/4 x 1/2= 7X/8 फूल थे
और पहले मंदिर में चढ़ाने के तुरन्त पहले
7X/8 + X= 15X/8 ...... (1)
और क्योंकि फूल तोड़ने के तुरंत बाद उन्हें तालाब में डुबाया गया इसलिए तालाब में पहली बार धोने से पहले।
15X/8 x 1/2= 15X/16 फूल थे .... (2)
अब हमारे पास समीकरण (2) में 15X/16 फूल थे।
जिसमें X चढ़ाए गए फूलों की संख्या है। चूंकि संख्या पूर्णांक होनी चाहिए अत: X का मान 16 से विभाज्य होना चाहिए।
इसलिए X = 16, 32, 48, 64..... 16n
तब समीकरण (2) से हम आसानी से पता कर सकते हैं कि उसने कितने फूल तोड़े होंगे।
यदि X= 16 तो ।
15X/16 = 15 x 16/16 = 15 फूल तोड़े
इसी प्रकार X= 32, 48, 64...... 16n
के लिए तोड़े फूल = 30, 45, 60........15n
तो इस प्रकार इसके अनंत हल हो सकते हैं। यदि कोई सीमा बताई जाए तो उस आधार पर भी हल देखा जा सकता है।
जरा ( 1 ) नंबर के समीकरण को देखिए। जब मैं पहेली पढ़ रहा था। तो शुरू में कुछ उलझ गया था। मैंने यह समझा कि पुजारी ने फूल तोड़ने के तुरंत बाद तालाब में फूलों को नहीं धोया। तब इस पहेली का उत्तर पहले समीकरण पर ही आ गया कि पुजारी द्वारा तोड़े गये फूलों की संख्या 15X/8 होगी और इसमें से पुजारी ने x फूल चढ़ाए।
मतलब कि यदि पूर्णांक देखें तो
X= 8, 16, 24, 32 ....... फूल चढ़ाए
15X/8 = 15, 30, 45, 60 ..... फूल तोड़े
यह विधि मुझे हमेशा से सरल लगी है इसलिए शायद मैंने इसे अपनाया। संदर्भ के अन्य पाठक कोई और विधि जानते हों तो संदर्भ के माध्यम से मुझ तक पहुंचाएं।
प्रमोद मैथिल
इटारसी, जिला होशंगाबाद
भूलः संदर्भ के मार्च से जून 1998 अंक में जादुई तालाब की पहेली शीर्षक से विजय शंकर वर्मा द्वारा लिखित लेख के अंतिम पृष्ठ (पेज नंबर 114) पर तमिलनाडु की एक पहेली का ज़िक्र किया गया था। यह पहेली लेखक ने एक किताब 'न्यूमरेसी काउट्स' से ली थी। इस किताब को अनीता रामपाल, आर. रामानुजन और एल. एस. सरस्वती ने लिखा है और नेशनल रिसोर्स सेन्टर, लाल बहादुर प्रशासन अकादमी, मसूरी ने प्रकाशित किया है।
हम लेख के साथ इस किताब का उल्लेख करना भूल गए थे। इसके लिए हमें खेद हैं।
संपादन मंडल