श्रीदेवी वेंकट   [Hindi PDF, 133 kB]

विगत दिनों प्राथमिक शाला छाती ज़िला धमतरी, की शिक्षिका छाया दुबे जी से मिलना हुआ। वे कक्षा पाँच में भाषा शिक्षण का काम करती हैं। कक्षा में जाने से पहले, कक्षा अवलोकन के सम्बन्ध में मेरी उनसे बातचीत हुई। मेरा उनसे अनुरोध था कि मैं कक्षा में बच्चों के साथ बैठूँगी और वे बच्चों के साथ वही काम करें जो उन्होंने आज के लिए सोचा है। कक्षा में 17 बालिकाएँ और 14 बालक थे। बालक और बालिकाएँ अलग-अलग कतारों में बैठे हुए थे। कक्षा-कक्ष हवादार और रंग-बिरंगा था।
इसके एक दिन पहले ही शिक्षिका ने कक्षा पाँच में ‘राष्ट्र प्रहरी’ नामक पाठ पढ़ाया था। आज शिक्षिका ने बच्चों से उसके सन्दर्भ में बातचीत की और पाठ से सम्बन्धित प्रश्न पूछे। जैसे:

- अक्षय दूरदर्शन पर क्या देख रहा था?
- हमारे गाँव में 26 जनवरी के दिन क्या होता है?
इन प्रश्नों पर बच्चों की प्रतिक्रियाओं के बाद शिक्षिका ने बच्चों से कहा कि वे पाठ को फिर से देखें और उसमें से ऐसे शब्द जिनके अन्त में ‘ता’ वर्ण का उपयोग हुआ उन्हें छाँटें।

बच्चों ने तुरन्त शब्दों को खोजना शुरू कर दिया और जब उस पाठ में इस तरह के शब्द खत्म हो गए तो चयनित शब्दों की तरह के अन्य शब्द जो उनको याद थे उन्हें भी बताने लगे। जैसे: अनुशासनप्रियता, सहायता, सरलता, सहृदयता, कठोरता, निर्मलता, कोमलता, विजेता, सुन्दरता। ये सारे शब्द बच्चों ने पाठ से ही निकाले थे।

बच्चों ने इन शब्दों के बाद ऐसे नाम एवं क्रिया शब्द भी बतलाए जिनके अन्त में ‘ता’ वर्ण का उपयोग होता है। और ये सभी उनके मन से आए शब्द थे। जैसे: सीता, गीता, नम्रता, अनीता, सुनीता, बबीता, सोता, जाता, गाता, खाता, पीता, खेलता, पढ़ता आदि।
यह सुनते हुए शिक्षिका को अपने शुरुआती निर्देश की सीमा समझ में आई। उन्होंने निर्देश को दोहराया नहीं बल्कि वे सभी शब्द जो बच्चे बता रहे थे, उन्हें श्यामपट्ट पर लिख दिया और इन शब्दों को वर्गीकृत करने के लिए श्यामपट्ट पर एक सारणी बनाई जो कुछ इस प्रकार थी: काम, नाम, जो काम और नाम नहीं हैं।

इस बार शिक्षिका ने बच्चों से कहा कि जो शब्द श्यामपट्ट पर लिखे हैं उन्हें इस सारणी में छाँटकर लिखें।
बच्चों ने श्यामपट्ट पर लिखे शब्दों को निम्न प्रकार से जमाया:
काम:
सोता, गाता, खाता, पीता, मारता, बोलता, खेलता, पढ़ता।
नाम:
सीता, गीता, अनीता, सुनीता, बबीता, नम्रता, नीता।

जो काम और नाम नहीं हैं:

अनुशासनप्रियता, सहायता, सरलता, सहृदयता, कठोरता, निर्मलता, कोमलता, विजेता, नम्रता, सुन्दरता।
इस प्रकार शब्दों के वर्गीकरण के बाद शिक्षिका ने बच्चों से बात करते हुए उनसे कुछ नियम निकलवाए।
शिक्षिका ने बच्चों को निर्देश दिया: इन शब्दों में जो काम और नाम वाले शब्द हैं उनका प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाइए।
बच्चों ने श्यामपट्ट पर लिखा:
- राम सोता है ।
- अनीता गाना गाती है।
- खिलावन पढ़ता है।
- किशन खाना खाता है।
- नम्रता खाना खाती है।
शिक्षिका ने अपनी तरफ से भी कुछ वाक्य जोड़े:
-- भारतीय सैनिक अपनी अनुशासन प्रियता के लिए जाने जाते हैं। (पाठ से)
-- सीता पढ़ने में बबीता की सहायता करती है।

तत्पश्चात् श्यामपट्ट पर लिखे इन सभी वाक्यों पर शिक्षिका ने बच्चों से बातचीत की।
शिक्षिका: इन वाक्यों में जितने भी काम, नाम और इनके अलावा भी जो शब्द आए हैं, उनका उपयोग वाक्य में किस जगह पर हुआ है? इसे हम सब मिलकर खोजते हैं। इन सब वाक्यों में सबसे पहले क्या आया है?
बच्चे: नाम।

एक और बच्चा: पर एक वाक्य में दो नाम अलग-अलग जगह पर आए हैं।
शिक्षिका: तो, इस वाक्य से और क्या पता चल रहा है?
बच्चे: सीता पढ़ा रही है और बबीता पढ़ रही है।
शिक्षिका: एक वाक्य में हम दो लोगों के अलग-अलग कामों को बता रहे हैं, इसलिए इस वाक्य में दो नाम अलग-अलग जगहों पर आए हैं। इन सब वाक्यों में नाम के बाद क्या आया है?
बच्चे: सोता, गाना गाती, पढ़ता, खाना खाता, खाना खाती।
शिक्षिका: शब्द किस बारे में बतलाते हैं?
बच्चे: हम जो काम करते हैं उनको बतला रहे हैं। वाक्य में सबसे पहले व्यक्तिका नाम आता है। उसके बाद उसके द्वारा किया गया काम। उसके उस काम के लिए ‘खाना खाते हैं’, ‘गाना गाते हैं’ आदि लिखते हैं।

अब शिक्षिका ने बच्चों का ध्यान पाठ से लिखे वाक्य पर केन्द्रित किया।
शिक्षिका: ‘भारतीय सैनिक अपनी अनुशासनप्रियता के लिए जाने जाते हैं।’ इस वाक्य में किसके बारे में बताया गया है?
बच्चे: भारतीय सैनिकों की अनुशासनप्रियता के बारे में।
शिक्षिका: अनुशासनप्रियता क्या है?
सारे बच्चे चुप।
शिक्षिका: सीता पढ़ने में बबीता की सहायता करती है। इस वाक्य में ‘सहायता’ क्या है?
बच्चे पहले की तरह चुप।
शिक्षिका: ये शब्द गुण हैं। (श्यामपट्ट के शब्दों को दिखाकर) तो ऐसे शब्द जो नाम और काम दोनों में नहीं हैं, वो क्या हैं?
बच्चे: गुण हैं।

एक बच्चा: क्या ‘विजेता’ भी गुण है?
शिक्षिका: बताओ विजेता कौन होता है? हम विजेता किसे कहते हैं?
बच्चे: वह जो जीत जाता है।
शिक्षिका: तो हम किन चीज़ों को जीतते हैं?
बच्चे: लड़ाई, खेल, कंचे, कबड्डी, खो-खो।
शिक्षिका: लड़ाई और खेल में जीतना कब होता है?
बच्चे: आखिरी में।
अब तक कक्षा में जो काम हुआ, शिक्षिका ने बच्चों से पुन: बात करते हुए उसे श्यामपट्ट पर लिखने की कोशिश की।

शिक्षिका: किसी वाक्य में क्या-क्या होता है?
-- नाम (जो करने वाला होता है)
-- काम (जो वह कर रहा होता है)
-- किसी काम का होना।
हालाँकि सभी वाक्यों में कोई काम हो, यह ज़रूरी नहीं है। एक वाक्य में दो अलग-अलग कार्यों को भी बताया जा सकता है।
शिक्षिका: कल जब घर से आना तो पाँच-पाँच वाक्य लिखकर लाना। हम इसके बारे में बाकी बातचीत अगली कक्षा में करेंगे।
ऐसा कहकर उन्होंने अपनी कक्षा को समाप्त किया।
                                                                                        ।।।
इस कक्षा में जो अहम और नया रहा, वह कुछ इस प्रकार है:
- आम तौर पर भाषा की कक्षा में जो व्याकरण शिक्षण होता है, इस कक्षा में उससे कुछ अलग तरह से काम हुआ।
- वास्तव में शिक्षिका बच्चों को गुण-वाचक संज्ञा बताना चाहती थीं, जिस पर कक्षा में ज़्यादा काम नहीं हो पाया। शिक्षिका ने बच्चों की समझ और प्रयास का सम्मान करते हुए एक अन्य व्याकरणीय पहलू को उसी खूबसूरती के साथ बच्चों के साथ साझा किया।
- इस पूरी शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षिका ने एक बार भी बच्चों के बीच कर्त्ता, कर्म और क्रिया जैसे पारिभाषिक शब्दों का उपयोग नहीं किया। पाठ में से ही कुछ विशेष प्रकार के शब्द बच्चों से निकलवाए, फिर उनका वर्गीकरण कराया। वाक्य संरचना के बारे में लगभग सारी बातचीत बच्चों से ही निकलवाई। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए कुछ वाक्यों को बच्चों के बीच रखा, उन पर कुछ बातचीत की और बच्चों ने अपने नियम खुद निकाले।

- कक्षा में हुई इस बातचीत ने बच्चों को खुद के ज्ञान पर विश्वास करने की ओर प्रेरित किया।
- इस कक्षा में शिक्षिका जब बच्चों के सभी शब्दों को श्यामपट्ट पर लिखने लगीं तो लगभग सभी बच्चों ने अपने-अपने शब्द लिखवाए। इस प्रक्रिया में उन बच्चों ने भी भाग लिया जो थोड़ी देर पहले तक चुप बैठे थे।
- भाषा शिक्षण की इस प्रक्रिया में शिक्षिका को बच्चों के भाषाई ज्ञान और कौशल पर पूरा विश्वास था।
- कक्षा तो हिन्दी की थी पर बच्चे कक्षा में आपसी बातचीत के दौरान छत्तीसगढ़ी का उपयोग कर रहे थे।

कक्षा से बाहर आने के बाद मैंने शिक्षिका से इस सन्दर्भ में बातचीत की और पूछा, “आपने बच्चों को पूरी वाक्य संरचना बता दी और पारिभाषिक शब्दों का उपयोग नहीं किया?” इस पर उनका कहना था, “इन शब्दों को बच्चे अभी जानते नहीं हैं। पहले उन शब्दों की अवधारणा पर बातचीत करें तो बच्चे किताब में पढ़ने पर पारिभाषिक शब्द और उनका अर्थ तो समझ ही जाएँगे। महत्वपूर्ण है संरचना को समझना।”


श्रीदेवी वेंकट: अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन, धमतरी, छत्तीसगढ़ में कार्यरत।