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Sandarbh - Issue 100 (September-October 2015)
- सवालीराम-100
- आर्ट गैलरी
- अजनबी पेड़ों की पहचान का आधार पत्ती कुंजी
- नज़र-नज़र का फेर
- कक्षा में पढ़ने की प्रक्रियाएँ कुछ अवलोकन
- गलतियाँ करना, यानी अक्ल के इस्तेमाल की आज़ादी
- तारे, तारों की धूल और इन्सान
- चालाक और खतरनाक मकड़ियों के हमले
- खुशकिस्मत इत्तफाक एक विटामिन की खोज
- पृथ्वी कितनी जवाँ है?
- सवालीराम का सवाल
- विज्ञान पत्रकारिता में एक निजी यात्रा
- ‘आपने लिखा’ के बहाने कुछ कही कुछ अनकही
Sandarbh - Issue 100 (September-October 2015)
- आपने लिखा’ के बहाने... - माधव केलकर [Hindi PDF , 181 kB]
आपने लिखा’ संदर्भ पत्रिका का वह कॉलम है जिसमें हम पाठकों द्वारा भेजे गए पत्रों को प्रकाशित करते हैं। यह कॉलम किसी भी पत्रिका के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी के ज़रिए हम पत्रिका के बारे में पाठकों की राय जान पाते हैं। संदर्भ के 100वें अंक के अवसर पर इस कॉलम को पीछे मुड़कर देखने की कोशिश है यह लेख। Read article... - विज्ञान पत्रकारिता के बारे में एक निजी यात्रा... - रैक्स डी रोज़ारियो [Hindi PDF , 373 kB]
भारत में विज्ञान पत्रिकाओं का यह दौर काफी उथल-पुथल भरा रहा है। इस दौरान कई विज्ञान पत्रिकाएँ शुरु हुईं और कुछ बन्द भी हुईं। कइयों ने अपने तेवर और कलेवर भी बदले। इस लेख में न केवल प्रिंट मीडिया बल्कि उसके अलावा अन्य माध्यमों, संस्थाओं और व्यक्तियों के योगदान को भी बहुत ही करीब से पेश किया है लेखक ने।Read article... - सवालीराम का सवाल - राजेश खिंदरी [Hindi PDF , 146 kB]
संदर्भ का एक कॉलम रहा है और आज भी है, सवालीराम। इस कॉलम के अन्तर्गत लोग अपने सवाल हमें भेजते हैं और हम उनके सम्भव जवाब देने की कोशिश करते हैं। होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम के दौरान स्कूल के बच्चों द्वारा खूब सवाल पूछे जाते रहे हैं। बच्चों के सवालों को आप आसान ना समझिएगा। ऐसा ही एक सवाल और उससे जुड़ा पूरा वाकया आपसे साझा कर रहे हैं लेखक।Read article... - पृथ्वी कितनी जवाँ है?: भाग 1 - सुशील जोशी [Hindi PDF , 190 kB]
पृथ्वी कैसे बनी, कब बनी? इसका स्वरूप क्या सदैव ऐसा ही था जैसा कि आज है या फिर परिवर्तनों के बाद यह स्वरूप अख्तियार कर पाई? ऐसे कई सवाल हैं जो हम इन्सानी दिमाग में आते ही रहे हैं। आज कइयों के जवाब भी हैं हमारे पास। इन जवाबों तक पहुँचने की रोचक यात्रा का हिस्सा बनिए लेखों की इस सीरीज़ के पहले लेख के साथ।Read article... - खुशकिस्मत इत्तफाक: एक विटामिन की खोज - विलियम डी. लैटस्पीच [Hindi PDF , 213 kB]
वैज्ञानिक खोजें सतत् शोध का परिणाम होती हैं। हर प्रयोग के लिए वैज्ञानिक अपने कुछ अनुमानित परिणाम भी लेकर चलते हैं पर कई बार प्रयोग ऐसी राह पकड़ लेते हैं कि परिणाम कुछ नया ही प्रस्तुत करते हैं। ऐसा ही रोचक प्रायोगिक किस्सा है विटामिन-डी की खोज का।Read article... - चालाक और खतरनाक मकड़ियों के हमले - पारुल सोनी [Hindi PDF , 267 kB]
अपने शिकार के लिए जाल बिछाना फिर उसमें फसाकर उन्हें चट कर जाना मकड़ियों के हमले का एक सामान्य तरीका है। इससे इतर इतने खतरनाक और चालाकी भरे शिकारी तरीके अपनाती हैं ये मकड़ियाँ कि आप भी जानकर हैरान रह जाएँगे।Read article... - तारे, तारों की धूल और इन्सान - रुद्राशीष चक्रवर्ती [Hindi PDF , 161 kB]
हमारे शरीर के कुल भार का लगभग 96 प्रतिशत भाग ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन से आता है। यही वो चार मुख्य तत्व हैं जो हमारे अन्तरिक्ष की संरचना का मूल भी हैं। तो क्या हमारा और अन्तरिक्ष का कोई सम्बन्ध है? क्या हमारी उत्पत्ति और तारों की उत्पत्ति का मूल एक ही है? अन्तरिक्ष के ऐसे कई रोचक सवालों से आपकी चर्चा कराएगा यह लेख।Read article... - गलतियाँ करना यानी अक्ल के इस्तेमाल की आज़ादी - रवि कान्त [Hindi PDF , 327 kB]
गणित को हमेशा से ही कठिन विषय माना जाता रहा है। अक्सर बच्चे सवाल में बड़ी संख्याएँ देखकर डर जाते हैं और ऐसे में प्राप्त जवाब पर भी शंका करते हैं। यही शंका उन्हें गलती की ओर भी ले जाती है। शिक्षक के लिए तो हर गलती, गलती होती है। हमें यह पता लगाना होगा कि आखिर बच्चे की गलती के पीछे का तर्क क्या है। आखिर क्यों उसने यही गलती की, कोई और नहीं।Read article... - कक्षा में पढ़ने की प्रक्रियाएँ: कुछ अवलोकन - कमलेश चन्द्र जोशी [Hindi PDF , 357 kB]
ज़्यादातर सरकारी स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए पढ़ना आज भी एक चुनौती बना हुआ है। इस कौशल के अभाव में बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी किए बिना ही स्कूल से बाहर हो जाते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा विकसित बरखा पुस्तकमाला की पुस्तकों को साथ लेकर कुछ विद्यालयों के अवलोकन पर आधारित लेख।Read article... - नज़र-नज़र का फेर - हिमांशु श्रीवास्तव [Hindi PDF , 227 kB]
बुरी बला या बुरी नज़र से बचने-बचाने के लिए नींबू-मिर्ची या इसके अलावा बहुत कुछ आपने लोगों के घरों, गाड़ियों में टंगा हुआ देखा होगा। तो क्या सच में नज़र जैसी कोई बला होती है और क्या इस तरह के टोटकों से उसका निपटारा कारगर तरीका है? इन सवालों को लेकर विज्ञान की एक कार्यशाला में किए गए प्रयोगों पर आधारित है यह लेख।Read article... - अजनबी पेड़ों की पहचान का आधार पत्ती कुंजी - किशोर पंवार व भोलेश्वर दुबे [Hindi PDF , 229 kB]
सड़क किनारे, बाग-बगीचों में, जंगल की सैर पर या खेतों की मेड़ पर हमें तरह-तरह के पेड़-पौधे नज़र आते रहते हैं। कुछ को हम पहचानते हैं पर ज़्यादातर को नहीं। कई बार हमें दुख भी होता है कि काश हम और पौधों को भी जान पाते। यह एक तरह का ज्ञान भी है और हुनर भी। हमारे दोनों लेखक ने जो वनस्पतिशास्त्री भी हैं, यहाँ पौधों को फूल-फल और पत्तियों के आधार पर पहचानने की अपनी कुंजी आपके साथ साझा की है।Read article... - आर्ट गैलरी - कुमार अम्बुज [Hindi PDF , 1.5 MB]
सभी के लिए कला के अपने अलग-अलग मायने होते हैं। कुछ के लिए बेढब, कुरूप, असंगत, उलझा हुआ तो किसी के लिए खूबसूरत पर वर्णन से परे। कलात्मक भावनाओं की अनुभूति कर पाना ही कला को समझना है। इस कहानी के ज़रिए हम ऐसे कुछ सवालों के साथ पेश हो रहे हैं जो शायद कला को लेकर हम सभी के मन में चलते हैं। यह कहानी हमें एक मौका देती है एक अमूर्त चित्रकार के दिमाग में झाँकने का, उसकी प्रेरणाओं को समझने का।Read article... - सवालीराम - विनता विश्वनाथन [Hindi PDF , 79 kB]
एक्सपायरी डेट के क्या मायने हैं? खाद्य पदार्थ और दवाइयों की एक्सपायरी डेट निकलने के बाद उनमें क्या परिवर्तन हो जाते हैं? इन सवालों का जवाब खोजने का प्रयास है इस बार का सवालीराम।Read article...