सवाल: एक्सपायरी डेट के क्या मायने हैं? खाद्य पदार्थ और दवाइयों की एक्सपायरी डेट निकलने के बाद उनमें क्या परिवर्तन हो जाते हैं?

जवाब: एक्सपायरी यानी कि खत्म होना। खाने-पीने की चीज़ों व दवाइयों की एक्सपायरी डेट एक अवधि के खत्म होने का संकेत हैं। कोई भी एक्सपायरी डेट वो तारीख है जिसके बाद निर्माता दवाई या खाद्य पदार्थ की प्रबलता और रासायनिक स्थिरता बने रहने की गैरन्टी नहीं देते हैं। एक्सपायरी डेट तक की गैरन्टी भी वो तब देते हैं जब आप उनके द्वारा बताए तापमान, नमी, रोशनी व मूल पैकिंग में दवाई या अन्य पदार्थ को रखते हैं।

दवा बनाकर पैकिंग में रखने की तारीख (मैन्युफैक्चरिंग डेट) से लेकर एक्सपायरी डेट तक की अवधि को पदार्थ की शेल्फ लाइफ कहते हैं। शेल्फ लाइफ के खत्म होने पर, एक्सपायरी तारीख के बाद खाद्य पदार्थों और दवाइयों को बेचना गैरकानूनी होता है क्योंकि उनके इस्तेमाल से ग्राहक को नुकसान हो सकता है। बीमार पड़ने का खतरा है और अगर ऐसी दवाई लेते हैं तो इस बात की भी सम्भावना है कि वह उतनी कारगर न हो जितनी उसे होना चाहिए। शेल्फ लाइफ निर्माताओं को तय करनी पड़ती है, और इसके लिए जो जाँच करते हैं, उसे स्टेबिलिटी टेस्टिंग कहते हैं।

स्टेबिलिटी टेस्टिंग
इस जाँच के दौरान दवाई या खाद्य पदार्थ को सामान्य व कई तनावपूर्ण परिस्थितियों में रखा जाता है। विविध और अति (अत्यन्त निम्न एवं अत्याधिक) तापमान, नमी और प्रकाश में रखकर देखा जाता है कि इनकी रासायनिक बनावट कैसे बदलती है। पदार्थ की उस पैकिंग में रखकर भी जाँच की जाती है जिसमें उसे बेचा जाने वाला है। पदार्थों की यह जाँच अलग-अलग समय के लिए भी की जाती है - जैसे कि कुछ दिन, 3 महीने, 6 महीने और 1 साल आदि के लिए। हर समय-अवधि के बाद पदार्थ का विश्लेषण किया जाता है कि किस हद तक इनका विघटन हुआ है और इनसे कौन-से रासायनिक पदार्थ बने हैं। इस जाँच का उद्देश्य सिर्फ यह नहीं है कि पदार्थ की शेल्फ लाइफ क्या हो सकती है यह पता किया जाए, लेकिन यह भी कि किन परिस्थितियों में पदार्थ का विघटन होता है और कौन-से नए पदार्थों में यह विघटित होता है। हर नए पदार्थ की स्टेबिलिटी टेस्टिंग करना कानूनी तौर पर ज़रूरी होता है।

जहाँ तक खाद्य पदार्थों का सवाल है, अगर इन्हें किसी भी तरह की पैकिंग में बेचना है तो निर्माता को इन पर एक्सपायरी डेट लिखनी होती है। खुले में बेचे जा रहे सब्ज़ी-फलों के लिए यह नियम लागू नहीं होता है। इसका यह बिलकुल मतलब नहीं कि उनकी एक्सपायरी होती ही नहीं। इन मामलों में ग्राहकों को, यह तय करने के लिए कि कोई चीज़ खरीदने या खाने-पीने लायक है या नहीं, अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। आयातित खाद्य पदार्थों की एक्सपायरी डेट सीमा (कस्टम्स) पर तो दिखानी पड़ती है, लेकिन खुले में बेचते समय इसकी कोई ज़रूरत नहीं है, चाहे वो कम शेल्फ लाइफ वाली चीज़ें ही क्यों न हों जैसे सेब, बादाम इत्यादि।

वैसे कुछ देशों में दवाइयों पर एक्सपायरी कानून के मुताबिक एक साल से ज़्यादा नहीं छाप सकते। लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है - यहाँ निर्माता द्वारा की गई स्टेबिलिटी टेस्टिंग के मुताबिक ही एक्सपायरी डेट छपती है, चाहे वो एक साल से ज़्यादा हो।

अन्य कुछ डेट
एक्सपायरी डेट के अलावा आपने कुछ खाद्य पदार्थों पर ‘बेस्ट बाय’ या ‘बेस्ट बिफोर’, या फिर ‘यूस बाय’ तारीख लिखी देखी होंगी। इन सब में थोड़ा-बहुत अन्तर है।
‘बेस्ट बाय’ या ‘बेस्ट बिफोर’ तारीख का मतलब है कि उस तारीख के बाद भी वह चीज़ खाने-पीने लायक हो सकती है, लेकिन निर्माता उसकी गुणवत्ता की गैरन्टी नहीं दे सकते। यानी कि वह चीज़ खाने-पीने के लायक तो हो सकती है लेकिन पदार्थ केस्वाद, टेक्सचर या महक में बदलाव आ सकते हैं। इस तारीख के बाद पदार्थ को बेचा जा सकता है, अगर यह खाने वाले के स्वास्थ्य को नुकसान न पहुँचाए।

‘यूस बाय’ तारीख अक्सर उन पदार्थों पर मिलेंगी जो बहुत जल्दी बिगड़ते हैं और छपी तारीख निकलने के बाद उस चीज़ को फेंक देना चाहिए।
कुछ खाद्य पदार्थ और दवाइयाँ पैकिंग में लम्बे समय तक सुरक्षित रहती हैं लेकिन बोतल या पैक खोलने के बाद उनको एक समय-अवधि में खत्म करना ज़रूरी होता है, जिसके बाद वे बिगड़ जाती हैं या उनकी प्रबलता कम हो जाती है। यह अक्सर तरल खाने की चीज़ों और दवाइयों के साथ होता है। इनकी पैकिंग पर दो निर्देश मिलेंगे - एक एक्सपायरी तारीख, जिसके बाद उसको बेचना नहीं है और दूसरा खोलने के बाद की समय-अवधि जिसके बाद उस चीज़ को फेंक देना ही उचित है। यह कुछ घण्टों, दिनों या एक महीने की अवधि भी हो सकती है।

पत्थर की लकीर
कई लोग जब एक्सपायरी तारीख के तय होने की प्रक्रिया को समझते हैं या फिर ऐसे शोध के नतीजों के बारे में पढ़ते हैं कि एक्सपायरी तारीख के सालों बाद भी दवाइयाँ प्रबल पाई गईं तो इस तारीख को कम अहमियत देने लगते हैं, खासकर अगर महंगी दवाइयों की बात हो। विषेशज्ञों का मानना है कि यह नासमझी होगी।

वैसे एक्सपायरी तारीख से पहले भी अगर हम दवाई को निर्धारित पर्यावरण में नहीं रखते हैं तो यह भी हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है। किसी भी नश्वर या पेरिशेबिल चीज़ को उचित तापमान, नमी इत्यादि में रखना ज़रूरी होता है। एक्सपायरी तारीख निकलने के बाद किसी भी दवाई का इस्तेमाल बिना नुकसान के कर सकते हैं या नहीं, यह निश्चित तौर पर उस दवाई की जाँच के बाद ही पता चल सकता है।


इस जवाब को विनता विश्वनाथन ने तैयार किया है।
विनता विश्वनाथन: ‘संदर्भ’ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।