Sandarbh - Issue 108 (January-February 2017)
1. विज्ञान की प्रकृति: भाग 2 - उमा सुधीर [Hindi, PDF, 190 kB] [English PDF]
विज्ञान शिक्षा का एक प्रमुख मकसद क्रिटिकल थिंकिंग की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है लेकिन स्कूली विज्ञान हमें इस ओर नहीं ले जाता। स्कूली पाठ्यक्रम हमारा सम्पर्क उस प्रक्रिया से नहीं कराता जिसके ज़रिए यह ज्ञान पैदा हुआ है। तथ्यों और अवधारणाओं की जो खिचड़ी हमें स्कूल में दी जाती है, उससे हमें यह सीखने में कोई मदद नहीं मिलती कि विज्ञान वाकई क्या है और न ही हम यह सीख पाते हैं कि स्वयं कोई चीज़ पता करने या किसी के दावे की जाँच करने के लिए विज्ञान की प्रक्रिया का इस्तेमाल कैसे करें। Read article...
2. क्यासनूर जंगल रोग: एक खोजी कथा: भाग 1 - नित्यानन्द राव
[Hindi, PDF, 260 kB] [English PDF]
क्यासनूर फॉरेस्ट डिज़ीज़, एक रोग जो दक्षिण भारत से होता हुआ आधी सदी के दौरन पूरे दक्षिण एशिया तक फैल गया। इसे सबसे पहले कर्नाटक के क्यासनूर के जंगलों में देखा गया। सबसे पहले यह बीमारी वहाँ के बन्दरों में फैली। फिर धीरे-धीरे जंगल के आसपास के गाँवों के लोग इस अजीबोगरीब बीमारी की चपेट में आने लगे। गाँववासियों ने देखा था कि वही लोग बीमार पड़ रहे थे जो जंगल में गए थे और जिन्होंने मृत बन्दरों को ‘देखा’ या ‘सूँघा’ था। इसकी खोजी कथा पढ़िए। Read article...
3. भावनाएँ व आँसू: रोज़ेटा का शान्त अन्त - मोनिका ग्रेडी [Hindi, PDF, 120 kB] [English PDF]
दस साल अन्तरिक्ष में हज़ारों-लाखों किलोमीटर की यात्रा के बाद 2014 में रोज़ेटा ने चार किलोमीटर विस्तार के एक धूमकेतु (67) पर फिले को सही-सलामत उतारा। इसके दो साल बाद रोज़ेटा मिशन का अन्त हुआ। रोज़ेटा, आने वाले मिशन के लिए एक तकनीकी और इंजीनियरिंग मंच के रूप में काम करेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रकाशिकी और संचार, व उसके साथ ही डिज़ाइन और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हुई प्रगति यह सुनिश्चित करेगी कि रोज़ेटा को हमेशा याद रखा जाए, और रोज़ेटा पर धूमकेतु तक भेजे गए उपकरणों के आधार पर नए उपकरण बनाए जाएँगे। Read article...
4. मन्ना का साथ - अनुपम मिश्र [Hindi, PDF, 203 kB]
इस लेख में अनुपम जी ने अपनी यादें सहेजी हैं - कवि पिता की, सामान्य पिता की, सिर्फ पिता की, परिवार की, बचपन की, हैदराबाद की, मुम्बई की, बेमेतरा की, दिल्ली की, एक ख्यातनाम कवि का बेटा होने की, पिता के व्यवहार और आदतों की, कवि कर्म की। यह एक बेटे, अनुपम मिश्र का अपने पिता भवानीप्रसाद मिश्र पर लिखा एक संस्मरण है। Read article...
5. भाषा और पर्यावरण - अनुपम मिश्र [Hindi, PDF, 221 kB]
अनुपम जी को भाषा और पर्यावरण, दोनों का विशेषज्ञ माना जाता है। वह समझते थे कि एक समाज को सम्पन्न बनाए रखने में उसकी भाषा का कितना ज़बरदस्त योगदान है। वहीं पर्यावरण, उनकी निगाह में भौगोलिक संसाधनों से कहीं अधिक व कुछ और ही था। उनकी चिरस्मृति को समर्पित उन्हीं का यह अनूठा आलेख जो हमें भाषा और पर्यावरण, दोनों ही एक साथ समझा रहा है। Read article...
6. पर्यावरण शिक्षण के बहाने - सुनील बागवान [Hindi, PDF, 310 kB]
यह सर्वमान्य तथ्य है कि यदि शिक्षण के दौरान विद्यार्थियों के अनुभवों को स्थान दिया जाए तो बच्चे विषय से अपना जुड़ाव महसूस करते हैं और कहीं बेहतर तरीके से सीख पाते हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 भी सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए बच्चों के पूर्व अनुभवों और उनकी अपनी भाषाओं को कक्षा में स्थान देने की वकालत करती है पर अफसोस कि हमारे शिक्षक इसके महत्व को समझते ही नहीं। आइए इस तथ्य को कक्षा में जाँचकर देखते हैं। Read article...
7. एक चिड़िया की कहानी - रंजना सिंह [Hindi, PDF, 260 kB]
भाषा अध्ययन शिक्षण के लिए मूल रूप से दो पद्धतियों का इस्तेमाल होता है - ध्वनि-वर्ण एवं समग्र-भाषा पद्धतियाँ। ध्वनि-वर्ण पद्धति से लगभग हम सभी परिचित हैं क्योंकि प्राय: हम सभी ने अपनी प्राथमिक कक्षाओं में इसी पद्धति से ही भाषा सीखी है। दूसरी ओर समग्र-भाषा पद्धति जिसका प्रयोग अभी भी कम ही होता है। इस लेख में बच्चों के साथ समग्र-भाषा पद्धति का इस्तेमाल कर भाषा सीखने के अनुभव को साझा किया गया है। Read article...
8. शिक्षा का माध्यम - प्रेमपाल शर्मा [Hindi, PDF, 106 kB]
सही शिक्षा वह है जो समझ का विकास करे और समझ के लिए भाषा सबसे महत्वपूर्ण है। शिक्षा का माध्यम क्या हो, यह आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है। आजकल सभी तरफ अँग्रेज़ी स्कूलों की बाढ़-सी आ गई है। जो अँग्रेज़ी स्कूल पहले से मौजूद हैं या खुल रहे हैं उनमें अँग्रेज़ी की पाठ्यपुस्तकें कौन-सी हैं और क्या अँग्रेज़ी के इतने शिक्षक उपलब्ध भी हैं? बच्चों और शिक्षकों का स्तर क्या है? इस तरह की चुनौतियाँ भी हैं ही। Read article...
9. भुतहा नागचम्पा पेड़ - सिद्धालिंगैया [Hindi, PDF, 623 kB] [English PDF]
सभी का बचपन महत्वपूर्ण होता है। बचपन और महत्वपूर्ण हो जाता है जब यह अपनों से दूर और अभावों में गुज़रे। ऐसे ही बचपन की अपनी यादों को अपने आत्मकथ्य में सहेजा है लेखक ने। Read article...
10. गर्मी के दिनों में पसीना अधिक क्यों आता है? - सवालीराम [Hindi, PDF, 149 kB] [English PDF]
गर्मी के दिनों में अधिक पसीना क्यों आता है? इस सवाल के विज्ञान की वैज्ञानिक पड़ताल है इस बार का सवालीराम। Read article...