कुछ माह पहले भारतीय वैज्ञानिकों ने यूएस के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर मुज़फ्फरपुर के लीची उत्पादक क्षेत्रों में होने वाली बच्चों की मौतों के लिए लीची में पाए जाने वाले एक विषैले पदार्थ हायपोग्लायसीन-ए और मिथायलीन-सायक्लो-प्रोपाइलग्लायसीन (एमसीपीजी) को दोषी ठहराया था। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित शोध पत्र में श्रीवास्तव और उनके साथियों ने स्पष्ट किया था कि मुज़फ्फरपुर में 2014 में जो मौतें हुई थीं वे किसी कीटनाशक की वजह से नहीं बल्कि एमसीपीजी की वजह से हुई थीं। अब एक नए अध्ययन ने इस निष्कर्ष को चुनौती दी है।
हाल ही में यूएस व बांग्लादेश के शोधकर्ताओं ने सैफुल इस्लाम के नेतृत्व में बांग्लादेश के लीची उत्पादक क्षेत्रों में हुई मौतों की जांच पड़ताल करके इनके लिए कीटनाशकों के अति-उपयोग को ज़िम्मेदार माना है। इनका शोध पत्र अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हायजीन में प्रकाशित हुआ है।
दरअसल 1995 के बाद से लगभग हर साल लीची उत्पादक क्षेत्रों में बच्चों में एक दिमागी रोग देखा जाता रहा है। एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम नामक यह तकलीफ खास तौर से लीची के मौसम में ही देखी जाती है। इसलिए लीची से इसका सम्बंध स्पष्ट है। ढाका के इंटरनेशनल सेंटर फॉर डायरियल डिसीज़ रिसर्च के सैफुल इस्लाम व उनके साथियों ने 2012 में इस रोग के प्रकोप का अध्ययन किया था। तब 14 बच्चे इससे प्रभावित हुए थे और उनमें से 13 की मौत रोग के लक्षण प्रकट होने के 20 घंटों के अंदर हो गई थी।
रोग प्रसार के आंकड़ों और रोग के लक्षणों के विश्लेषण के आधार पर उनका निष्कर्ष है कि ये मौतें कीटनाशकों की वजह से हुई थीं। उनका कहना है कि उत्तरी बांग्लादेश में लीची की फसल पर कीटनाशकों का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। इस्लाम का कहना है कि इस रोग के प्रकोप और कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल के बीच स्पष्ट सम्बंध देखा जा सकता है। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि बारिश शुरू होते ही इस रोग का प्रकोप रुक जाता है। इस्लाम का कहना है कि लीची पर छिड़के जाने वाले कीटनाशक फल की सतह पर ही रहते हैं और पहली बारिश में ही धुल जाते हैं। इस्लाम ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि कैसे पहले वाले अध्ययन में कीटनाशकों की भूमिका को अनदेखा कर दिया गया।
बहरहाल, भारतीय अध्ययन करने वाली टीम का कहना है कि मुज़फ्फरपुर और बांग्लादेश की स्थिति अलग-अलग है और दोनों जगह रोग के लक्षण व परिणाम भी अलग-अलग हैं। इसलिए हो सकता है कि बांग्लादेश में मौतें कीटनाशकों की वजह से हुई हों, किंतु मुज़फ्फरपुर की मौतें तो कुदरती विष की वजह से ही हो रही हैं। दूसरी ओर, बांग्लादेश की टीम का कहना है कि यदि कुदरती विष इसका कारण होता तो बांग्लादेश के सभी इलाकों में यह रोग फैलना चाहिए था किंतु इसका प्रकोप सिर्फ उन इलाकों में दिखता है जहां एंडोसल्फान जैसे कीटनाशकों का भरपूर इस्तेमाल होता है। (स्रोत फीचर्स)