कोविड-19 से निपटने के लिए दुनिया भर में तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। और अब हाल ही में शोधकर्ता इससे निपटने के लिए मानव चुनौती अध्ययन करना चाहते हैं।
मानव चुनौती अध्ययन में किसी रोग के लिए दवा, टीके वगैरह की प्रभाविता जांचने के लिए जानबूझर कर लोगों को उस रोग से संक्रमित किया जाता है और फिर उन पर अध्ययन किया जाता है। इसलिए यह अध्ययन जोखिम पूर्ण हो सकता है, और साथ में लोगों की सुरक्षा और नैतिकता का सवाल भी पैदा करता है।
कई चिकित्सा समूह और कंपनिया कोरोनावायरस का टीका विकसित करने के प्रयास में लगी हुई हैं। इन प्रयासों में पहले तो हज़ारों स्वस्थ लोगों को या तो टीका या प्लेसिबो (छद्म-टीका) लगाया जाता है और फिर नज़र रखी जाती है कि इनमें से कौन से व्यक्ति संक्रमित हुए। लेकिन इस प्रक्रिया में काफी वक्त लगता है, इसलिए वेटलिस्ट ज़ीरो नामक अंगदान समूह के कार्यकारी निदेशक जोश मॉरिसन वन डे सूनर नामक मानव चुनौती अध्ययन करना चाहते हैं जिसमें वे स्वस्थ व युवा वालंटियर्स को जानबूझ कर कोविड-19 से संक्रमित कर टीके की कारगरता जांचना चाहते हैं। सैद्धांतिक रूप से मानव चुनौती परीक्षण में कम वक्त लगता है। गौरतलब है कि वन डे सूनर कोरोना वायरस के लिए टीका तैयार करने वाले किसी समूह, कंपनी या वित्तीय संस्थान से सम्बद्ध नहीं है।
मॉरिसन का कहना है कि हम अपने अध्ययन में अधिक से अधिक वालंटियर शामिल करना चाहते हैं। और अध्ययन में उन्हीं वालंटियर्स को शामिल किया जाएगा जो परीक्षण के लिए स्वस्थ होंगे। वैसे इस अध्ययन के लिए लगभग 1500 वालंटियर्स समाने आए हैं। जो लोग इस परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं वे युवा हैं और शहरी क्षेत्रों में रहते हैं, और कोरोनोवायरस महामारी से निपटने के लिए कुछ कर गुज़रने की ख्वाहिश रखते हैं। इनमें से कई लोगों का कहना है कि वे इस अध्ययन के जोखिमों से परिचित है लेकिन यदि इससे टीका जल्दी उपलब्ध हो सकता है तो वे इतना जोखिम उठा सकते हैं। वैसे इसके पहले भी इन्फ्लूएंज़ा और मलेरिया जैसी बीमारियों के लिए मानव चुनौती अध्ययन किए जा चुके हैं।
लंदन स्थित वेलकम की टीका कार्यक्रम प्रमुख चार्ली वेलेर का कहना है कि कोरोनावायरस के खिलाफ टीका विकसित करने के लिए मानव चुनौती परीक्षण की नैतिकता और क्रियांवयन पर चर्चा चल रही है। लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि मानव चुनौती परीक्षण से वास्तव में टीका जल्दी तैयार करने में मदद मिलेगी। बहरहाल शोधकर्ताओं को पहले यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि कैसे सुरक्षित तरीके से लोगों को वायरस से संक्रमित किया जाएगा, और कैसे और किस हद तक अध्ययन को नैतिक तरीके से किया जाएगा ताकि वालंटियर्स के स्वास्थ्य को कोई खतरा न हो।(स्रोत फीचर्स)
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Srote - June 2020
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