हमारा मस्तिष्क अलग-अलग किस्म की स्मृतियों को मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों में सहेजता है। जैसे दृश्य सम्बंधी स्मृतियां मस्तिष्क के दाएं हिस्से में सुरक्षित रहती हैं तो शब्दिक स्मृतियां मस्तिष्क के बाएं हिस्से में। ऐसा ही स्मृति विभाजन हमें सॉन्ग बर्ड्स और ज़ेब्रा फिश में भी देखने को मिलता है। और अब प्रोसिडिंग्स ऑफ दी रॉयल सोसायटी बी में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि चींटियों का नन्हा-सा मस्तिष्क भी अलग-अलग तरह की स्मृतियां अलग-अलग हिस्सों में सहेजता है। इस प्रक्रिया को पार्श्वीकरण कहते हैं।
यह जानने के लिए कि क्या चींटियों का मस्तिष्क दृश्य स्मृतियों को मस्तिष्क के अलग हिस्से में सहेजता है, पहले तो शोधकर्ताओं ने जंगली चींटियों (फॉर्मिका रूफा) को ठीक उस तरह प्रशिक्षित किया जैसे इवान पावलॉव ने कुत्तों को प्रशिक्षित किया था। उन्हें एक संकेत दिया जाता और फिर उसके साथ भोजन मिलता था।
उन्होंने दर्जनों चींटियों के साथ यह प्रयोग किया। प्रयोग यह था कि जब भी चींटियां नीले रंग की वस्तु देखें तो या तो उनके दाएं एंटीना पर, या बाएं एंटीना पर, या दोनों एंटीना पर मीठे पानी की एक बूंद लगाई गई। इस तरह उन्होंने चींटियों में नीले रंग की वस्तु से प्यास का सम्बंध बनाया।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने 10 मिनट, 1 घंटे और 24 घंटे बाद उनकी स्मृति का परीक्षण किया। वे देखना चाहते थे कि नीली वस्तु दिखाने पर क्या चींटियां मीठे पानी के लिए अपना मुंह खोलती हैं जो प्यास का द्योतक होगा।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन चींटियों का दायां एंटीना छूकर प्रशिक्षित गया था उन्होंने 10 मिनट बाद के परीक्षण में मीठे पानी के लिए तुरंत प्रतिक्रिया दी, 1 घंटे के बाद सुस्त प्रतिक्रिया दी लेकिन उसके बाद कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी। और जिन चींटियों का बायां एंटीना छूकर प्रशिक्षित किया गया था उन चींटियों ने 10 मिनट और 1 घंटे बाद तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन 24 घंटे बाद प्यास की प्रतिक्रिया दी। इससे तो लगता है कि चींटियों के मस्तिष्क का एक हिस्सा अल्पकालीन स्मृतियों को और दूसरा हिस्सा दीर्घकालीन स्मृतियों को सहेजता है।
कीटों में यह पहली बार देखा गया है कि अल्प और दीर्घकालीन दृश्य स्मृतियां मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से में सहेजी जाती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है यह कीटों की एक ऐसी विशेषता हो सकती है जो उन्हें ऊर्जा और स्मृति सहेजने की क्षमता की बचत करने में मदद करती हो।(स्रोत फीचर्स)
-
Srote - July 2020
- कोरोनावायरस: टीकों की प्रगति
- महामारी का अंत कैसे होगा
- कोविड-19: वैकल्पिक समाधान
- पारंपरिक विश्वास और आज का विज्ञान
- कोविड-19 से उत्पन्न छ: संकट
- महामारी के अगले दो वर्ष
- कोविड-19: न टीका चाहिए, न सामूहिक प्रतिरोध
- आधा मस्तिष्क भी काम करता है!
- ऑटिज़्म अध्ययन को एक नई दिशा
- खराब प्रतिरक्षा कोशिकाएं हमें बूढ़ा बना सकती हैं
- नाक के सूक्ष्मजीव संसार में मिला नया बैक्टीरिया
- मंगल पर कभी नदियां बहा करती थीं!
- जीवाश्म पर अधिकार भू-स्वामि का
- टेलीफोन केबल से भूकंप संवेदन
- लॉकडाउन के बावजूद कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं
- वनों की ग्रीनहाउस गैस सोखने की क्षमता घट सकती है
- सांडा: मरुस्थलीय भोजन शृंखला का आधार
- कॉम्ब जेली का जाड़ों का भोजन उन्हीं के बच्चे
- किशोर कुत्तों का व्यवहार मानव किशोर जैसा
- समय से पहले फूल खिला देते हैं भूखे भंवरे
- सांपों की धींगामुश्ती: प्रणय या युद्ध
- टिड्डियों को झुंड बनाने से कैसे रोकें
- चींटियां स्मृतियां मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में संजोती हैं
- चोरनी चींटियां अन्य चींटियों के बच्चे खाती हैं
- बकरियों का पालतू गुण
- मांसाहारी पौधों में मांस के चस्के का विकास
- चमगादड़ हमारे दुश्मन नहीं हैं