स्थानीय स्तर पर समुद्री अखरोट के नाम से विख्यात कंघे जैसे आकार वाली गिजगिजिया या कॉम्ब जेली (Mnemiopsisleidyi) जीव मूलत: उत्तर-पश्चिमी अटलांटिक महासागर की वासी है। लेकिन हाल के दशकों में मालवाहक जहाज़ों के बेलास्ट पानी (जहाजों को स्थिर रखने के लिए भरे गए पानी) में सवार होकर ये युरोपीय सागरों में फैल गई हैं। बाल्टिक सागर के पश्चिमी हिस्से में गर्मियों के आखिर में इनकी आबादी में उछाल आता है और ये मछलियों के अंडे और लार्वा और छोटे क्रस्टेशियन जीवों सहित समुद्री खाद्य शृंखला के आधार जीवों का खाकर सफाया कर डालती है। लेकिन सर्दियों के लिए जमा करके रखने हेतु भी इन्हें ढेर सारा भोजन चाहिए। कम्युनिकेशन बॉयोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार उस समय इनके भोजन का सबसे बड़ा स्रोत उनकी अपनी संतानें होती हैं।
डेनमार्क के नज़दीक फ्योर्ड क्षेत्र में इनके अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया था कि ज़रूरत पड़ने पर वयस्क कॉम्ब जेली अपनी ही प्रजाति के लार्वा को खा लेते हैं। इन अवलोकनों के बाद शोधकर्ताओं ने कॉम्ब जेली पर प्रयोगशाला में अध्ययन किया और वहां भी उन्हें यही परिणाम मिले।
गर्मियों में अपनी ही संतानों को खाने की उनकी यह प्रवृत्ति इस रहस्य को सुलझाने में मदद कर सकती है कि क्यों गर्मियों के अंत में कॉम्ब जेली इतने अधिक लार्वा पैदा करती है, जबकि आने वाले जाड़े में इन लार्वा के जीवित बचने की संभावना भी नहीं होती। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि गर्मियों के अंत में बड़ी संख्या में लार्वा का भक्षण वयस्क कॉम्ब जेली को 2-3 हफ्ते का पोषण उपलब्ध कराता है। इस तरह उन्हें सर्दियों में 80 दिनों तक जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन का भंडार मिल जाता है।
हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि वे पूरी तरह से इस ऊर्जा संतुलन को समझ नहीं पाए हैं। क्योंकि एक ओर तो वयस्क कॉम्ब जेली को लार्वा पैदा करने में बहुत ऊर्जा लगती है, और ये लार्वा सर्दियों में जीवित भी नहीं रह पाते। दूसरी ओर, ये लार्वा खाद्य शृंखला के निचले स्तर से काफी सारा भक्षण करके इन वयस्कों के लिए भोजन का स्रोत बन जाते हैं, जो वयस्कों को जाड़ों में काम आता है।(स्रोत फीचर्स)
-
Srote - July 2020
- कोरोनावायरस: टीकों की प्रगति
- महामारी का अंत कैसे होगा
- कोविड-19: वैकल्पिक समाधान
- पारंपरिक विश्वास और आज का विज्ञान
- कोविड-19 से उत्पन्न छ: संकट
- महामारी के अगले दो वर्ष
- कोविड-19: न टीका चाहिए, न सामूहिक प्रतिरोध
- आधा मस्तिष्क भी काम करता है!
- ऑटिज़्म अध्ययन को एक नई दिशा
- खराब प्रतिरक्षा कोशिकाएं हमें बूढ़ा बना सकती हैं
- नाक के सूक्ष्मजीव संसार में मिला नया बैक्टीरिया
- मंगल पर कभी नदियां बहा करती थीं!
- जीवाश्म पर अधिकार भू-स्वामि का
- टेलीफोन केबल से भूकंप संवेदन
- लॉकडाउन के बावजूद कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं
- वनों की ग्रीनहाउस गैस सोखने की क्षमता घट सकती है
- सांडा: मरुस्थलीय भोजन शृंखला का आधार
- कॉम्ब जेली का जाड़ों का भोजन उन्हीं के बच्चे
- किशोर कुत्तों का व्यवहार मानव किशोर जैसा
- समय से पहले फूल खिला देते हैं भूखे भंवरे
- सांपों की धींगामुश्ती: प्रणय या युद्ध
- टिड्डियों को झुंड बनाने से कैसे रोकें
- चींटियां स्मृतियां मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में संजोती हैं
- चोरनी चींटियां अन्य चींटियों के बच्चे खाती हैं
- बकरियों का पालतू गुण
- मांसाहारी पौधों में मांस के चस्के का विकास
- चमगादड़ हमारे दुश्मन नहीं हैं