के. आर. शर्मा

यकीन कीजिए, यह फल नहीं है बल्कि यह किसी कीट का ककून है। ककून यानी शंखी। कीटों के जीवन चक्र की वह अवस्था जिसमें इल्ली (लाव) एक खोल में बंद हो जाती है। यह तो आप जानते ही हैं कि कई कीटों में कायान्तरण होता है। ऐसे कीटों में वयस्क मादा अण्डे देती है और उनमें से जो बच्चे निकलते हैं वे अपने माता-पिता से काफी भिन्न होते हैं। उनका आकार तो फर्क होता ही है, रहवास और भोजन भी अलग होता है। मेंढक के जीवन चक्र के बारे में आपने पढ़ा ही होगा कि ट्रेडपोल शाकाहारी होता है जबकि वयस्क मेंढक मासाहारी।
दरअसल पिछले दिनों जब मैं अपने मित्रों के साथ सुबह-सुबह सैर पर निकला तो एक पहाड़ी पर कंटीली झाड़ियों में कुछ फल जैसा लटका हुआ था। मेरे एक मित्र ने उसे हाथ में लेकर कहा, "ये तो कोई फल है, इसमें डंठल भी है और इसे हिलाओ तो वैसी ही आवाज़ आती है जैसी सूखे नारियल या किसी अन्य सूखे फल को हिलाने पर आती है।'' मेरे मित्र की बातें सुनकर सभी को विश्वास हो गया कि यह तो कोई फल ही होगा। जब मैंने इसके डंठल को थोड़ा पास से देखा तो थोड़ा शक हुआ क्योंकि इंठल शाखा पर छल्ले की तरह लिपटा हुआ था। इस फलनुमा रचना को भी बारीकी से देखा तो पाया कि इस पर रेशम के रेशे निकलते दिख रहे हैं। इस सबसे इतना तो पक्का हो ही गया कि यह वास्तव में फल नहीं है। जब फलनुमा आकार को खोला तो इसमें जीवन हिलता-डुलता दिखाई दिया।  

जब इसके बारे में पता किया तो पाया कि यह किसी पतिंगे का प्युपा है। इसका नाम है टसर सिल्क मॉथ। टसर सिल्क मॉथ ज्यादातर कंटीली झाड़ियों या पेड़ों पर अंडे देती है। अंडों से इल्लियां निकलती हैं जो इन्हीं पेड़-पौधों की पत्तियों को खाकर पनपती हैं। और ये इल्लियां फिर ककून में बदल जाती हैं। प्यूपा यानी ये ककून हुबहू इन्हीं पौधों के फलों से मिलता-जुलता होता है। कुछ दिनों बाद इस ककून में से एक खूबसूरत पतिंगा बाहर निकल कर उड़ जाता है।


आलेख एवं फोटोग्राफः के. आर. शर्माः एकलव्य के होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम से संबद्ध। कामांतरण के संबंध में और विस्तार से जानने के लिए संदर्भ के अंक 24-25 में प्रकाशित लेख ‘कायांतरण' देखिए।
सामने वाले पृष्ठ पर ऊपरः टहनी से लटका हुआ ककून है। नीचेः फलनुमा खोल खुला हुआ है जिसमें जीव दिखाई दे रहा है।