Sandarbh - Issue 92 (May-June 2014)
- विद्युत, गैसें और टूटता परमाणु : सुशील जोशी [Hindi PDF, 382 kB]
कोई भी दो तत्व जब क्रिया करते हैं तो वास्तव में क्रिया तो उनके परमाणुओं के बीच होती है। ये क्रियाएँ क्यों और कैसे होती हैं? क्या अलग होगा अगर ये क्रियाएँ पदार्थ के गैसीय या तरल रूप में हों? क्या इन क्रियाओं केतय नियम हैं? ऐसे कई सवालों के जवाब देता यह लेख।Read article.... - धीमें विचार: भाग -2 : अतुल गंवडे [Hindi PDF,344 KB][English PDF, 55 KB]
पिछले अंक में लेख के पहले भाग में हमने देखा कि दुनियाभर में होने वाले नवाचारों में से कुछ बड़े स्तर पर फैले। वहीं कुछ विचारों को फैलाने में खासी मशक्कत लगी। आखिर क्या-क्या तरीके थे जो इनके प्रसार के काम आए या राह की मुश्किलें बने? इसी पड़ताल को हम आगे बढ़ा रहे हैं इसके दूसरे भाग में। Read article... - पाठ्यक्रम का देशीकरण: पद्मा सारंगपाणी [Hindi PDF, 265 kB][English PDF, 331 kB]
हमारी स्कूली शिक्षा और इन आदिवासी समुदाय की संस्कृति के बीच एक तरह का अलगाव देखा जाता है। इसे दूर करने के लिए आदिवासी इलाकों में शिक्षा की समावेशी पद्धति को अपनाया जा रहा है। इसके बावजूद यह अभी भी सवाल ही बना हुआ है कि आखिर किसकी भाषा और ज्ञान को आप अधिक तरजीह दे रहे हैं। इन सवालों पर खुलकर बात करता यह लेख। Read article.... - जिज्ञासा, आदर, विज्ञान और कलाएँ: राजा मोहन्ती [Hindi PDF, 167 kB][English PDF, 81 kB]
हर पिछली पीढ़ी, आगे की पीढ़ी को अपने से कहीं कम ज़िम्मेदार और संवेदलशील मानती है। सोचना कुछ इस स्तर का होता है कि नए बच्चे विज्ञान और तकनीक से तो प्रेम करते हैं पर कला और संस्कृति से तो शायद ही। पर क्या यह सही आँकलन है नई पीढ़ी का? Read article.... - जन्तु भक्षी पौधों की दुनिया: अमृता सक्सेना [Hindi PDF, 304 kB][English PDF, 577 kB]
पौधों की एक विशेष छवि हमारे दिमाग में बनी हुई है। अगर कोई हमसे कहे कि पौधों की ऐसी प्रजातियाँ भी हैं जो कीटों को अपना भोजन बनाती हैं तो सहसा हमें यकीन ही नहीं होगा। पर यह सच है। ऐसे पौधों की एक पूरी दुनिया है जो कीट भक्षी हैं। यह लेख हमें उस दुनिया में ले जाएगा। Read article.... - सवालीराम:
[Hindi PDF, 111 kB][English PDF, 12 kB]
सूरज, चाँद और धरती क्यों है? इस रोचक सवाल का वैज्ञानिक जवाब जानिए इस बार के सवालीराम में।Read article... - शिक्षण में थिएटर: अनिल सिंह [Hindi PDF, 408 kB]
थिएटर को सदैव कला के ही चश्में से देखा जाता है और यह गलत भी नहीं है। पाठ्य सहगामी क्रिया के रूप में थिएटर को एक विशिष्ठ स्थान प्राप्त है क्योंकि थिएटर की हर क्रिया बच्चों के सर्वांगीण विकास के काम आती है। अब सीबीएसई ने इसे बतौर पाठ्यक्रम स्कूल की बड़ी कक्षाओं में ऐच्छिक विषय के रूप में भी शामिल कर लिया है। आइए देखते हैं थिएटर में शिक्षण की संभावनाओं को, एक अनुभव के जरिए।Read article.... - बचपन से बचपन तक: संघमित्रा आचार्य[Hindi PDF, 244 kB]
बच्चे, बहुत जिज्ञासु और चपल होते हैं। नई चीजों को छू-कर देखना वो पसन्द करते हैं। इसके चलते ही अक्सर बच्चों को महँगी चीजों दूर ही रखा जाता है। क्या होगा अगर एक कक्षा में बच्चों को कैमरा इस्तेमाल करने को दे दिया जाए? आइए देखते हैं। Read article.... - जीत का जश्न(कहानी): रिनचिन [Hindi PDF, 265 kB]
खेल कोई भी हो खिलाड़ी भावना से खेले जाते हैं जहाँ जीत और हार सिक्के के दो पहलू की तरह होते हैं। कभी जीत तो कभी हार। पर क्या दर्शक भी इस भावना से खेल देखते हैं। क्रिकेट का मैच हो और वो भी भारत-पाकिस्तान के बीच फिर देखिए माहौल। मानो मैच नहीं युद्व हो रहा हो। इस पर सुन्दर कहानी है यह।Read article.... - एक अनोखी मछली: अरविन्द गुप्ते [Hindi PDF, 300 kB]
ऐसे कई जीव हैं जिनके नाम तो हमने सुने हैं पर हमने ना तो उन्हे कभी देखा है और न ही आगे उनके देख पाने की उम्मीद है। पर सोचिए इनमें से कोई जीव आपकी नज़र में अचानक आ जाए तो क्या होगा। ऐसा ही एक जीव हैं सीलाकैन्थ मछली। इस अनोखी मछली की अनोखी कहानी जानिए।Read article....