सवाल: आँख क्यों फड़कती है? [Hindi,PDF 110 KB]
जवाब: हम जितना जानते हैं उस हिसाब से तो आँखों का फड़कना अक्सर क्षणिक समस्या ही होती है। सामान्यतया इसका कुछ मामूली कारण होता है, लेकिन कभी-कभार यह कहीं अधिक गम्भीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
आँख फड़कने के कारण
आम तौर पर आँख फड़कने को डॉक्टर मायोकीमिआ (myokymia) कहते हैं। इसमें हमारी आँखों की पलकें, सामान्यतया ऊपर वाली, लगातार झपकती है और इसमें हमारा कोई बस नहीं चलता। पर इससे हमारी निचली पलकें भी प्रभावित हो सकती हैं। यह भी गौर करने वाली बात है कि ऐसे में एक बार में एक आँख ही प्रभावित होती है। आँख फड़कने की भी पूरी रेंज है। कभी तो इसे मुश्किल से ही नोटिस कर पाते हैं तो कभी यह हमें मुश्किल में डाल देती है। अक्सर आँखों का फड़कना बहुत थोड़े समय में ही अपने-आप बन्द हो जाता है। पर कभी यह कई घण्टे, दिन या उससे भी ज़्यादा देर तक बना रह सकता है। वैसे आँखों के फड़कने से कोई दर्द तो नहीं होता पर ज़्यादा देर तक ऐसा होना खीझ ज़रूर पैदा करता है।
आँखों के कभी-कभार फड़कने के कारणों का हर बार कोई पक्का अन्दाज़ा नहीं लगाया जा सकता। पर हाँ, कुछ कारणों से आँखों का फड़कना शु डिग्री ज़रूर हो सकता है जैसे, शराब का सेवन करने पर, बहुत चमकदार रोशनी होने पर, कैफीन के अधिक सेवन पर, अधिक थकावट, आँखों या भीतरी पलकों में जलन होने पर, अतिरिक्त शारीरिक श्रम, धूम्रपान, तनाव और हवा लगने की स्थिति में।
कभी-कभी आँखों का फड़कना दोनों आँखों की पलकों के तेज़ी से झपकने से शुरु होता है और समापन पलकों को भींचकर बन्द होने से होता है। इस किस्म से आँख फड़कने को ब्लेफेरोस्पैज़म (blepharospasm) के नाम से जाना जाता है। यह बहुत असाधारण या गम्भीर नहीं है -- इस तरह की समस्या से जूझने वालों की आँखें भी सामान्य ही हैं (इनकी दृष्टि में कोई दोष नहीं है)। पर यह आपके रोज़मर्रा के जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित कर सकती है। पलकों में जकड़न इस हद तक हो सकती है कि पलकें कई घण्टों के लिए बन्द रह जाएँ। यह आँखों के इर्द-गिर्द की मांसपेशियों में कोई गड़बड़ी से होता है। हालाँकि हमें ठीक-ठीक नहीं पता कि ब्लेफेरोस्पैज़म किस वजह से होता है पर हाँ, यह ज़रूर है कि यह कभी भी और बिना किसी पूर्व-चेतावनी के शु डिग्री हो जाता है। आँखों के फड़कने में कमी आती है या फिर वह पूरी तरह बन्द भी हो जाता है जब हम नींद में हों या अपने काम में तल्लीन हों। यह महिलाओं और पुरुषों, दोनों में समान रूप से हो सकता है।
एक और तरह का आँखों का फड़कना जिसे हेमिफेशियल स्पैज़म (hemifacial spasm) कहते हैं काफी दुर्लभ होता है। इसमें पहले पलकें प्रभावित होती हैं और फिर धीरे-से मुँह के चारों तरफ की मांसपेशियाँ भी इसके प्रभाव में आ जाती हैं। हेमिफेशियल स्पैज़म, चेहरे की मांसपेशियों को संचालित करने वाली तंत्रिका के ऊपर से गुज़रने वाली धमनी के दबाव पड़ने से होता है।
आँखों का फड़कना कुछ अन्य स्वास्थ्य परिस्थितियों में भी देखने को मिलता है जैसे ग्लॉकोमा, कॉर्निअल एबरेशन, पलकों की सूजन, सूखी आँखें आदि।
आँखों का फड़कना तंत्रिका तंत्र की कुछ असाधारण तकलीफ की वजह से भी हो सकता है जैसे टॉरटेज़ सिंड्रोम, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, पार्किंसन्स डिसीज़ आदि। जब भी आँखों का फड़कना उपर्युक्त वजहों से होगा तो इन बीमारियों के कुछ अन्य लक्षण भी देखने में आएँगे।
आँखों के फड़कने की एक और सम्भावना बनती है दवाओं के साइड इफेक्ट से। खास तौर पर उन दवाओं के साइड इफेक्ट से जो एपीलेप्सी और साइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होती हैं।
सम्बन्धित अन्धविश्वास
आँखों के फड़कने के क्षणिक और खास प्रभाव होने और इसका कोई ठीक-ठीक कारण ज्ञात न होने की वजह से ही शायद इसके बारे में तरह-तरह की अटकलें लगाई जाती रही हैं। और यही तो रास्ता है अन्धविश्वास की दुनिया का। यह आपने अवश्य ही सुना होगा कि जब आँख फड़कती है तो उस वक्त कोई आपको याद कर रहा होता है। औरतों की दाईं आँख का फड़कना अपशकुन माना जाता है, खास तौर पर जब आप शादी-शुदा हों और एक माँ भी। मान्यता यह है कि ऐसे में आपके पति या बच्चों को कोई तकलीफ हो सकती है। दुनिया-भर में आँख फड़कने को लेकर ऐसे कई भय व्याप्त हैं।
आँख फड़कने से कैसे रोकें?
ज़्यादातर लोग कुछ करते नहीं बल्कि आँख फड़कना खुद-ब-खुद रुकने का इन्तज़ार करते हैं। कभी-कभी कुछ महिलाएँ अपनी दाईं आँख फड़कने से रोकने के लिए घास का छोटा तिनका खोजती हैं जिसे वे पलकों पर रख सकें। तिनका न मिलने की स्थिति में कागज़ का एक टुकड़ा अपनी जीभ से गीला कर पलक के ऊपर इस आशा में रखती हैं कि फड़कन दूर हो जाएगी।
लेकिन फड़कती आँख को शान्त करने के सुरक्षित और आसान तरीके भी हैं - आँखों को हल्के हाथों से मसाज करें, उन्हें ठण्डे पानी से धोएँ, या आँखों पर आलू या खीरे के टुकड़े रखें।
चूँकि आँखों का फड़कना किसी गम्भीर बीमारी का प्रारम्भिक लक्षण भी हो सकता है, इसीलिए ऐसी कोई स्थिति बारम्बार पैदा होने पर या निम्नलिखित स्थितियों में आँखों के डॉक्टर से मिल लेना चाहिए:
* आँखों का फड़कना एक हफ्ते तक जारी रहे।
* आँख फड़कने के बाद अगर हर बार आपकी पलकें बन्द हो जाएँ और यह आपके नियंत्रण के बाहर हो।
* आँखें अगर लाल हो रहीं हों, उनमें सूजन हो। पलकें लटकने लगें।
अन्त में, उन लोगों के लिए जो लगातार कम्प्यूटर पर काम करते हैं, टेबलेट, मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं, हम बता दें कि इन वजहों से भी आँखों की फड़कन सम्भव है। डॉक्टर ऐसे लोगों के लिए 20-20-20 की सलाह देते हैं यानी कि 20 मिनट लगातार काम करने के बाद करीब 20 मीटर दूर की वस्तु को लगभग 20 सेकण्ड के लिए देखना। इससे आँखों की मांसपेशियों को कुछ देर के लिए आराम मिलेगा, आँखें लम्बे समय के लिए सुरक्षित रहेंगी।
इस तरह से अगली बार जब आँख फड़के तो हो सकता है हमें उसका पक्का कारण पता न चल पाए पर अगर ऊपर बताई गई कुछ खास परिस्थितियाँ न हों तो यह कोई विशेष चिन्ता की बात नहीं है।
इस जवाब को रुद्राशीष चक्रवर्ती ने तैयार किया है।
रुद्राशीष चक्रवर्ती: एकलव्य, भोपाल के प्रकाशन समूह के साथ कार्यरत हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: अम्बरीष सोनी: संदर्भ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।