अन्य ग्रहों के निवासी यानी एलियन्स की खबर पाने को सभी बहुत उत्सुक हैं। इसी उत्सुकता का परिणाम था प्रोजेक्ट सर्च फॉर एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल इंटेलीजेन्स (सेटी)। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में एकत्रित की गई जानकारी हाल ही में जारी की गई है। और नतीजा ‘ढाक के तीन पात’ जैसा है।
सेटी प्रोजेक्ट के तहत एक कार्यक्रम था ब्रेकथ् रु लिसन (यानी सुनकर पता लगाना)। 10 करोड़ डॉलर के इस कार्यक्रम में दुनिया की तीन सबसे संवेदनशील दूरबीनों की मदद ली जाती है। इनकी मदद से कोशिश की जाती है कि हमारी धरती के निकटतम 100 निहारिकाओं से आने वाले संकेतों को रिकॉर्ड किया जाए। फिर यह छंटाई करना होती है कि इन संकेतों में से कौन-से वे संकेत हैं जिन्हें एलियन्स का संदेश माना जा सकता है।
ब्रेकथ् डिग्री लिसन टीम के सदस्यों ने अब तक विभिन्न निहारिकाओं के कुल 692 तारों के प्रकाश का विश्लेषण किया है। उन्हें अब तक 11 ऐसे संकेत मिले हैं जिनके एलियन्स संदेश होने की संभावना जताई गई थी किंतु गहन विश्लेषण के बाद इनमें से कोई भी आशाजनक साबित नहीं हुआ है।
अब स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के क्लॉडियो ग्रिमाल्डी ने आकलन करके बताया है कि शायद भविष्य में ऐसा कोई संदेश मिलने की उम्मीद भी नहीं है। आम तौर पर एलियन संदेश मिलने की संभावना की गणना करने के लिए किया जाने वाला हिसाब-किताब यह मानकर शुरु होता है कि ऐसे संदेश के अपेक्षित स्रोत कितने हैं। ग्रिमाल्डी ने थोड़ा अलग तरीका अपनाया। उन्होंने यह अनुमान लगाया कि एलियन संकेत निहारिका के कितने आयतन में पहुंच सकते हैं।
ग्रिमाल्डी ने माना कि किसी एलियन से उत्पन्न संकेत जब फैलेगा तो दुर्बल होता जाएगा और शायद रास्ते में कोई रुकावट भी आ जाए। इस मान्यता के आधार पर उन्होंने कहा कि कोई भी संकेत अंतरिक्ष के एक निश्चित आयतन में फैल सकेगा। अब यह गणना करना तो आसान है कि पृथ्वी के उस स्थान के दायरे में रहने की संभावना कितनी है। ज़ाहिर है, पृथ्वी उस संकेत के फैलाव के दायरे में होगी, तभी तो उस संकेत को पकड़ा जा सकेगा।
साइन्टिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित अपने शोध पत्र में ग्रिमाल्डी का अनुमान है कि यदि हमारी निहारिका (यानी आकाशगंगा) का आधा हिस्सा भी एलियन शोर से भरा हो, तब भी पृथ्वी पर पकड़े जा सकने वाले संकेतों की संख्या एक से कम होगी। इसका मतलब है कि पृथ्वी से परे एलियन्स बेशुमार हुए, तब भी हमें उनकी खबर मिलना लगभग असंभव है। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - June 2017
- आम लोगों ने चार महा-पृथ्वियां खोजीं
- जूते के फीते अपने आप कैसे खुल जाते हैं
- जो सोचते हैं, वह टाइप हो जाएगा
- पद्म विभूषित वैज्ञानिक उडुपी रामचंद्र राव
- बुनियादी कणों को समझने का नया मॉडल
- मसालेदार भोजन से उम्र बढ़ती है
- एलियन्स की खबर नहीं मिली, शायद कभी न मिले
- उपग्रहों के झुंड अंतरिक्ष को मलबे से भर देंगे
- ताकि बचा रहे ग्लेशियरों का अस्तित्व
- राजनैतिक उथल पुथल और अमेज़न का भविष्य
- गंगा-यमुना को इंसान का दर्जा
- क्या मीठे की चाहत आपके जीन्स में है?
- सुरक्षा की कीमत चुकानी होती है
- पेड़ों की ऊंचाई में जीन्स ही प्रमुख होंगे
- हाइड्रोजन बनाने के लिए सस्ता उत्प्रेरक
- मल त्याग के रोचक तथ्य
- ज़िका वाहक मच्छर पर नियंत्रण की योजना
- जीवित व्यक्ति के नाम पर तत्व का नामकरण
- मंगल के वायुमंडल ने चकित किया
- शिकार से बचने को शिकारी की नकल
- औषधीय गुणों से भरपूर दैत्य
- पार्किंसन रोग में कोशिका उपचार का द्वितीय संस्करण
- आज के युग में अच्छे अनुसंधान की शर्तें क्या हैं?
- अकल्पनीय और रहस्यमयी समुद्री जीवों की खोज
- मरीज़ सीधे जेनेटिक जांच करवा सकेंगे
- एस्पिरिन के नए चमत्कार
- बीजरहित टमाटर बनाए गए
- संभोग से बचने के लिए मृत्यु का स्वांग