बीस साल की कोशिशों के बाद अंतत: शोधकर्ता त्वचा की कोशिकाओं को ऐसी रक्त कोशिकाओं में बदलने में सफल हुए हैं, जो रक्त के विभिन्न घटकों का निर्माण कर सकती हैं। नेचर में प्रकाशित यह शोध कार्य ल्यूकेमिया जैसे रक्त दोषों के उपचार को आसान व सुरक्षित बनाने की दिशा में कदम माना जा रहा है।
इस कार्य में सफल होने वाली एक टीम ने बोस्टन विश्वविद्यालय के शिशु अस्पताल में जीव वैज्ञानिक जॉर्ज डेली के नेतृत्व में काम करते हुए मनुष्य की त्वचा की कोशिका को लेकर एक जानी-मानी तकनीक से उसे प्रेरित बहुसक्षम कोशिका में बदल दिया। ये वे कोशिकाएं होती हैं जो कई अन्य किस्म की कोशिकाएं बना सकती हैं। एक बार प्रेरित बहुसक्षम कोशिका बन जाने के बाद इन कोशिकाओं में डेली की टीम ने सात ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर्स प्रविष्ट कराए। ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर्स उन जीन्स को कहते हैं जो अन्य जीन्स पर नियंत्रण करते हैं। ऐसा करने के बाद इन कोशिकाओं को चूहों के जीनोम में जोड़ दिया गया। 12 सप्ताह बाद देखा गया कि इन चूहों में उपरोक्त कोशिकाएं ऐसी कोशिकाओं में विकसित हो चुकी थीं जो मनुष्य के खून में पाई जाने तमाम किस्म की कोशिकाओं को जन्म दे सकती थीं।
दूसरी ओर, न्यूयॉर्क के वाइल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज के शाहीन रफी की टीम ने रक्त वाहिनियों के अस्तर की कोशिकाओं को सीधे रक्त कोशिकाओं में तबदील करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने प्रेरित बहुसक्षम कोशिकाएं बनाने वाले चरण को तिलांजलि दे दी। इस टीम ने चूहों की रक्त वाहिनियों के अस्तर की कोशिकाएं लेकर उनमें सीधे ही ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर प्रविष्ट करा दिए।
इसके बाद इन कोशिकाओं को एक तश्तरी में ऐसे माध्यम में रखा गया, जो लगभग मनुष्य के रक्त जैसा था। इस माध्यम में ये कोशिकाएं रक्त की स्टेम कोशिकाओं में तबदील हो गईं और इनकी संख्या में भी वृद्धि हुई। इन कोशिकाओं को ऐसे चूहों के रक्त संचार में डाला गया जिनकी सारी रक्त कोशिकाएं विकिरण के द्वारा खत्म की जा चुकी थीं। स्टेम कोशिकाएं विभिन्न किस्म की रक्त कोशिकाओं में विकसित हुई, और कुछ ही दिनों में चूहों का रक्त पूरी तरह बहाल हो गया। ये चूहे प्रयोगशाला में पूरे डेढ़ साल तक जीवित रहे।
इनमें से कौन-सी तकनीक उपयोगी साबित होगी यह तो वक्त ही बताएगा किंतु दोनों ही यह आश्वासन देती हैं कि रक्त की गड़बड़ियों से पीड़ित व्यक्तियों को राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें उपयुक्त दानदाता का इन्तज़ार नहीं करना पड़ेगा। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - July 2017
- भारत में पहली जीएम खाद्य फसल सुरक्षित घोषित
- आत्म रक्षा करने वाला धान
- बारुदी सुरंग का सुराग देंगे कछुआ रोबोट
- मानव सदृश जीव का लगभग पूरा कंकाल मिला
- 3.5 अरब वर्ष पुराना जीवाश्म और जीवन की उत्पत्ति
- मनुष्य कितना तापमान झेल सकते हैं
- कितने रूप हैं मरीचिकाओं के?
- त्वचा कोशिका से रक्त कोशिका बनाई गई
- हमारी नाक उतनी भी बुरी नहीं है
- लगातार नींद न मिले तो दिमाग खाली हो जाता है
- विशाल पक्षीनुमा डायनासौर के अंडे मिले
- पिरामिडों का रहस्य खोजने की नई तकनीक
- संगीत मस्तिष्क को तंदुरुस्त रखता है
- संगीत अगर प्यार का पोषक है, तो बजाते जाओ
- रक्त शिराओं के रास्ते इलाज
- खून का लेन-देन और मैचिंग
- कोमा - दिमागी हलचलों से अब इलाज संभव
- सौ वर्ष पुरानी कैंसर की गठानें खोलेंगी कई राज़
- ओरांगुटान 9 साल तक स्तनपान कराती हैं
- भांग से बूढ़े चूहों की संज्ञान क्षमता बढ़ती है
- बासमती चावल की पहचान की नई तकनीक
- हाइड्रोजन का भंडारण होगा अब आसान
- जेनेटिक इंजीनियरिंग कल्पना से ज़्यादा विचित्र है
- अंतरिक्ष में भी धूल उड़ती है!
- देश के विकास में नवाचारों का योगदान
- पारदर्शी मेंढक का दिल बाहर से ही दिखता है