यह एक रोचक तथ्य है कि चांद का एक ही हिस्सा हमेशा पृथ्वी की ओर रहता है। दूसरे वाले हिस्से पर आज तक कोई अंतरिक्ष यान नहीं उतरा है। इसे हम सिर्फ चांद की परिक्रमा करते उपग्रहों के ज़रिए ही देख पाए हैं मगर अब चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) का यान चांग-4 चांद के उस हिस्से पर उतर चुका है।
7 दिसंबर को प्रक्षेपित चांग-4 यान के साथ-साथ एक और यान छोड़ा गया था जो चांद की परिक्रमा करता रहेगा। पृथ्वी से चांग-4 का संपर्क इसी परिक्रमा करते यान के ज़रिए होगा क्योंकि चांद का वह हिस्सा कभी पृथ्वी से मुखातिब नहीं होता। वास्तव में चांग-4 को चांद की धरती पर अवतरण स्वचालित ढंग से करना पड़ा था क्योंकि वहां उसे निर्देशित करने के लिए पृथ्वी से संदेश भेजना असंभव था। बहरहाल, चांग-4 ने 3 जनवरी के दिन चांद के एक विशाल गड्ढे में सफलतापूर्वक लैंडिंग किया। इस गड्ढे का नाम साउथ पोल-ऐटकिन घाटी है।
यह गड्ढा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि चांद के निर्माण के शुरुआती वर्षों में यहां एक विशाल उल्का टकराई थी। संभावना यह है कि उस टक्कर के कारण चांद की गहराई में से कुछ चट्टानें सतह पर उभर आई होंगी। चांग-4 इन चट्टानों का अध्ययन कर सकेगा जिसकी मदद से चांद के अतीत का खुलासा करने में मदद मिलेगी।
इस मिशन का एक उद्देश्य भविष्य की चांद-यात्राओं के लिए धरातल तैयार करना भी है। शोधकर्ताओं की योजना है कि चांद की दूरस्थ सतह पर रेडियो दूरबीन स्थापित की जाए। इसका फाय़दा यह होगा कि उस दूरबीन को पृथ्वी से उत्पन्न होने वाले रेडियो तरंग प्रदूषण का सामना नहीं करना पड़ेगा।
चांग-4 पर एक जैव-मंडल भी सवार है। इसमें आलू के बीज, पत्ता गोभी सरीखा एक पौधा और रेशम के कीड़े की इल्लियां शामिल हैं। शोधकर्ता यह देखना चाहते हैं कि क्या ये जीव चांद पर एक सीलबंद डिब्बे में जीवित रह पाएंगे। (स्रोत फीचर्स)