जब हम पृथ्वी के सबसे करीबी ग्रह की बात करते हैं तो हमारा जवाब शुक्र ग्रह होता है। लेकिन इसका सही जवाब है बुध। इसमें कोई शक नहीं कि शुक्र अपनी कक्षा में परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के सबसे करीब आ जाता है लेकिन फिज़िक्स टुडे पत्रिका की एक टिप्पणी के अनुसार, बुध सबसे लंबे समय तक पृथ्वी के सबसे नज़दीक रहता है।
अलाबामा विश्वविद्यालय के पीएच.डी. छात्र टॉम स्टॉकमैन, अमेरिकी सेना के इंजीनियरिंग शोध संस्थान के गैब्रियल मनरो और नासा के सैमुअल गॉर्डनर के अनुसार कुछ लापरवाही, अस्पष्टता या समूह के विचारों से प्रभावित होकर विज्ञान संचारकों ने ग्रहों के बीच की औसत दूरी के बारे में एक त्रुटिपूर्ण धारणा के आधार पर यह प्रसारित कर दिया कि शुक्र हमारा सबसे नज़दीकी ग्रह है। दो ग्रहों के बीच की दूरी की गणना करते समय आम तौर पर सूर्य से उन दो ग्रहों की औसत दूरियों को घटाया जाता है। दिक्कत यहीं है। इस तरीके से दो ग्रहों के बीच की दूरी की गणना उसी स्थिति में की जाती है जब वे एक दूसरे के सबसे करीब होते हैं। लेकिन शुक्र और पृथ्वी कभी-कभी सूर्य से विपरीत दिशाओं में होते हैं क्योंकि दोनों ग्रह अलग-अलग गति से चलते हैं। इस स्थिति में उनकी दूरी औसत दूरी से बहुत अधिक होती है।
इस टिप्पणी में शोधकर्ताओं ने ग्रहों के बीच की दूरी मापने के लिए एक नई गणितीय तकनीक तैयार की है जिसे पॉइंट-सर्किल मेथड कहते हैं। इस विधि में प्रत्येक ग्रह की कक्षा पर कुछ बिंदुओं के बीच की दूरी का औसत पता की जाती है। इसका फायदा यह होता है कि विभिन्न समयों पर दूरी का भी ध्यान रखा जाता है।
इस विधि से गणना करने पर बुध अधिकतर समय पृथ्वी के सबसे करीब पाया गया। इतना ही नहीं बुध ग्रह, शनि एवं नेप्च्यून और अन्य सभी ग्रहों के भी सबसे निकटतम ग्रह था। शोधकर्ताओं ने पिछले 10,000 सालों के लिए हर 24 घंटे में ग्रहों की कक्षाओं में स्थिति के आधार पर गणना की है।
हालांकि सभी लोग ‘निकटतम’ ग्रह की इस नई परिभाषा से सहमत नहीं हैं। यह ‘निकटतम’ को परिभाषित करने का एक दिलचस्प तरीका ज़रूर है, मगर कई लोगों का कहना है कि इसमें दम नहीं है। (स्रोत फीचर्स)