मनुष्यों में अनुभवों, जानकारियों और आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता होती है। हाल के एक अध्ययन में सामने आया है कि न्यूज़ीलैंड में पाए जाने वाले किआ तोते भी ऐसा कर सकते हैं। वानरों के अलावा किसी अन्य प्रजाति में पहली बार इस तरह का संज्ञान देखा गया है।
जैतूनी भूरे रंग के ये तोते अपनी हरकतों के लिए बदनाम हैं। अतीत में ये चोंच का छुरी की तरह उपयोग कर भेड़ों की चमड़ी को भेदते हुए उनकी रीढ़ की हड्डी के इर्द-गिर्द जमा वसा तक पहुंच जाते थे। आजकल ये खाने के सामान के लिए लोगों के पिट्ठू बैग को चीर देते हैं, और कार के वाइपर निकाल देते हैं।
यह देखने के लिए कि क्या किआ तोतों की शैतानी के साथ बुद्धिमत्ता जुड़ी है, युनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड की मनोविज्ञानी एमालिया बास्टोस और उनके साथियों ने न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च के पास स्थित अभयारण्य के छह किआ तोतों का अध्ययन किया। पहले तो शोधकर्ताओं ने तोतों को यह सिखाया कि काले रंग का टोकन चुनने पर हमेशा स्वादिष्ट भोजन मिलता है जबकि नारंगी टोकन से कभी भोजन नहीं मिलता। फिर उनके सामने पारदर्शी मर्तबानों में काले और नारंगी रंग के टोकन रखे गए। जब शोधकर्ताओं ने बंद मुट्ठी में मर्तबान से टोकन निकाले तब किआ तोते ने अधिकतर उन हाथों को चुना जिन्होंने उस मर्तबान से टोकन निकाले थे जिनमें नारंगी टोकन की तुलना में काले टोकन अधिक थे। ऐसा उन्होंने तब भी किया जब मर्तबानों में काले और नारंगी टोकन के बीच अंतर बहुत कम था (63 काले और 57 नारंगी)।
अगले परीक्षण में शोधकर्ताओं ने किआ तोतों के सामने दो पारदर्शी मर्तबान में दोनों रंगों के टोकन बराबर संख्या में रखे। लेकिन मर्तबानों को एक शीट की मदद से ऊपरी व निचले दो हिस्सों में बांटा गया था। हालांकि दोनों मर्तबानों में काले व नारंगी टोकन बराबर संख्या में थे लेकिन एक में ऊपर वाले खंड में ज़्यादा काले टोकन थे। शोधकर्ता मात्र ऊपर वाले खंड में हाथ डाल सकता था। इस स्थिति में किआ ने उन हाथों को चुना जिन्होंने उस मर्तबान से टोकन निकाले जिसके ऊपरी हिस्से में काले टोकन अधिक थे। इसके बाद किए गए अंतिम परीक्षण में भी किआ तोते ने उस शोधकर्ता के हाथ से टोकन लेना ज़्यादा पसंद किया जिसने काले टोकन अधिक बार निकाले थे।
इन परीक्षणों के आधार पर नेचर कम्युनिकेशन पत्रिका में शोधकर्ताओं का कहना है कि किआ तोतों में आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाने की क्षमता होती है। इससे लगता है कि मनुष्यों की तरह किआ में भी कई किस्म की सूचनाओं को एकीकृत करने की बौद्धिक क्षमता होती है। गौरतलब है कि पक्षियों और मनुष्यों के साझे पूर्वज लगभग 31 करोड़ वर्ष पूर्व थे, और दोनों की मस्तिष्क की संरचना भी काफी अलग है। एक मत यह रहा है कि इस तरह की बुद्धि के लिए भाषा की ज़रूरत होती है।
अलबत्ता, हार्वड युनिवर्सिटी की तोता संज्ञान विशेषज्ञ आइरीन पेपरबर्ग को लगता है कि किआ ने सहज ज्ञान का प्रदर्शन किया है ना कि सांख्यिकीय समझ का। लेकिन उन्हें यह भी लगता है यदि किआ में सांख्यिकीय अनुमान लगाने की क्षमता होती है तो इस तरह की क्षमता से लैस जानवर भोजन की मात्रा की उपलब्धता और प्रजनन-साथियों की संख्या का अंदाज़ा लगा पाएंगे जो फायदेमंद होगा। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - May 2020
- व्योम मित्र: एक मानव-रोबोट
- तोतों में मनुष्यों के समान अंदाज़ लगाने की क्षमता
- सत्रहवीं शताब्दी की पहेली भंवरे की मदद से सुलझी
- कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई की प्रगति
- कोविड-19 मरीज़ की देखभाल
- कोरोना वायरस किसी सतह पर कितनी देर रहता है?
- कोरोनावायरस पर जीत की तैयारी
- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में टेक्नॉलॉजी बना हथियार
- कोरोना संक्रमितों की सेवा में अब रोबोट
- चेहरा छुए बिना रहना इतना कठिन क्यों है?
- कोरोना वायरस के खिलाफ दवाइयों के जारी परीक्षण
- गर्भ में कोरोनावायरस से संक्रमण की आशंका
- कोरोना वायरस किसी प्रयोगशाला से नहीं निकला है
- कोरोना वायरस के स्रोत पर गहराता रहस्य
- चिड़िया घर में बाघिन कोरोना संक्रमित
- लंबे जीवन का रहस्य
- बुढ़ापे की जड़ में एक एंज़ाइम
- क्या तनाव से बाल सफेद हो जाते हैं?
- कृत्रिम बुद्धि से एंटीबायोटिक की खोज
- अस्पतालों में कला और स्वास्थ्य
- कोशिकाओं की खुदकुशी – एपोप्टोसिस
- मिर्गी के दौरे में जूता सुंघाना कहां तक सही?
- जीभ के बैक्टीरिया - अपना पास-पड़ोस खुद चुनते हैं
- पृथ्वी के नीचे मिला नया सूक्ष्मजीव संसार
- हवा में से बिजली पैदा करते बैक्टीरिया
- मधुमक्खियां साथियों का अंतिम संस्कार करती हैं
- हिमालय क्षेत्र के हाईवे निर्माण में सावधानी ज़रूरी
- प्राचीन एम्बर में सुरक्षित मिला तिलचट्टा
- एम्बर में सुरक्षित मिला डायनासौर का सिर