भाग: 1 [Hindi PDFs: Part 1, 99 kB]
प्लूटो ग्रह पर स्थित अंतरिक्ष केन्द्र पर शरलॉक और वॉटसन दूरगामी अंतरिक्ष केन्द्रों को सांद्र ईंधन बांटने के लिए ज़िम्मेदार थे। सांद्र ईंधन की गोलियां लगभग मटर के दाने जितनी होती हैं, सब एकदम एक जैसी, और सब ठीक एक ग्राम वज़न की। सांद्र-ईंधन की ये गोलियां तारों के बीच आवागमन के लिए इस्तेमाल होने वाले अंतरिक्ष यानों का अति आवश्यक ईंधन हैं।
सांद्र ईंधन की ये गोलियां डिब्बियों में आती हैं। प्रत्येक डिब्बी में ठीक 100 गोलियां होती हैं और आमतौर पर ऐसी 6 डिब्बियां एक साथ भेजी जाती हैं। प्लूटो ग्रह पर स्थापित अंतरिक्ष केन्द्र पर एक अत्यंत संवेदनशील स्प्रिंगतुला है जो एक मिलीग्राम से कम वज़न भी तोल सकती है।
एक दिन अचानक हांगकांग में इन सांद्र ईंधन गोलियों का उत्पादन करने वाली कम्पनी से संदेश आया, “तत्काल ध्यान दें किसी एक डिब्बी में भरी सभी गोलियां त्रुटिपूर्ण हैं। उस डिब्बी की प्रत्येक गोली का वज़न एक मिलीग्राम ज़्यादा है। इस डिब्बी को ढूंढकर उसकी सब गोलियां तुरन्त नष्ट कर दो।”
यह संदेश पढ़ते ही वॉटसन ने कहा, “इसका अर्थ है कि हमें हर डिब्बी में से 1-1 गोली निकालकर उसे तोलना होगा, यानी 6 बार तोलना पड़ेगा।”
“मेरे प्रिय वॉटसन, बिल्कुल नहीं,” शरलॉक ने कहा, “केवल एक बार तोलने से हमारा काम चल जाएगा।”
- यह आसान हल क्या होगा?