मार्टिन गार्डनर
इक्कीसवीं सदी का पहला दशक खत्म होते-होते डॉ. झुनझुनवाला आनुवांशिक इंजीनियरिंग के ज़रिए एक ऐसा एक कोशीय समुद्री जीवाणु बनाने में सफल हो गए थे जो आकार में छल्लेनुमा था। इन छल्लेनुमा जीवाणुओं की सतह पर कलिकाएं बनती हैं जिसके ज़रिए ये प्रजनन करते हैं। ये कलिकाएं तेज़ी से बढ़ती हुई छल्लेनुमा रचनाओं का रूप लेती हैं और फिर मातृ जीवाणु से अलग होकर स्वतंत्र रूप से तैरने लगती हैं।
आमतौर पर एक वयस्क छल्लेनुमा जीवाणु अपनी माता से नहीं जुड़ा होता, परन्तु कभी-कभी नया जीवाणु इस तरह से वृद्धि करता है कि वह सदैव के लिए अपनी माता और भ्राता के साथ फंस जाता है। अक्सर तीन ऐसे जीवाणु साथ में दिखाए चित्र की तरह आपस में फंस जाते हैं, जिसमें कि कोई भी दो जीवाणु आपस में जुड़े हुए नहीं हैं, परन्तु फिर भी तीनों आपस में बंधे हुए हैं। अगर तीनों में से किसी भी एक को कोई शिकारी खा जाए, तो अन्य दो भी एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे।
डॉ. झुनझुनवाला के एक सहायक महीनों से इन जीवाणुओं का बारीकी से अध्ययन कर रहे थे ताकि वे पता कर पाएं कि कितने अलग-अलग तरीकों से वे आपस में जुड़े होते हैं।
एक सुबह उन्होंने अचानक आश्चर्य से कहा, “यह तो गज़ब है! लगभग पचास जीवाणु आपस में एक गोल माला के रूप में जुड़े हुए हैं। उनमें से एक भी इसमें से अलग नहीं हो सकता। परन्तु अगर इनमें से किसी भी एक को कोई शिकारी खा जाए तो तुरन्त सबके सब एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं।”
डॉ. झुनझुनवाला को विश्वास नहीं हुआ जब तक कि उन्होंने खुद नहीं देख लिया।
क्या आप सोच सकते हैं कि ये छल्लेनुमा जीवाणु आपस में कैसे जुड़े होंगे?