मार्टिन गार्डनर
पुष्पक का कप्तान जावेद भारी भरकम अंतरिक्ष यान को चतुराई के साथ टाइटन के एकदम करीब ले गया। यह शनि के इस विशालकाय उपग्रह की, मनुष्य द्वारा की गई पहली अंतरिक्ष यात्रा थी - यह उपग्रह जो शुक्र से बड़ा और लगभग मंगल के आकार का चंद्रमा है।
“वाह, क्या खूब!” जावेद का कार्यकारी अफसर खुशी से चिल्लाया। “देखो!”
टाइटन के भंवरदार गैसीय वातावरण के पार चमकीली हरी रेखाओं से बनी हुई एक ज्यामितीय आकृति साफ देखी जा सकती थी। यह एक वृत्त में अंकित सम-त्रिभुज (Equilateral triangle) था और यह वृत्त उससे भी बड़े एक अन्य सम-त्रिभुज के अंदर बना हुआ था।
“यह...यह टाइटेनिक यानी अद्भुत व विशाल है!” कप्तान ज़ोर से चीखा। “तुम क्या सोचते हो, इसका क्या मतलब होगा?”
“हो सकता है यह एक धार्मिक प्रतीक हो,” अफसर ने कहा। “या यह दूसरे ग्रह के वासियों को जताने का एक तरीका हो सकता है कि इन सुर्ख बादलों के नीचे कोई विकसित सभ्यता फल-फूल रही है।”
खाने के दौरान यह रहस्यमय प्रतीक पुष्पक यान के सदस्यों के बीच स्वाभाविक ही, उत्तेजित बातचीत का विषय था। किसी ने यान के सबसे बड़े गणितज्ञ यशपाल से इन दोनों त्रिभुजों के बीच के क्षेत्रफल का अनुपात ज्ञात करने को कहा।
“यह मुश्किल नहीं होना चाहिए,” यशपाल ने रूमाल पर आकृति बनाते हुए कहा। “हम वृत्त की त्रिज्या को 1 मान लेते हैं और फिर इसी तरह का एक समकोणीय त्रिभुज बनाते हैं। अब हम पाइथागोरस प्रमेय को लागू कर सकते हैं, और...”
“और,” यशपाल की दस साल की प्रतिभाशाली बेटी दूर्बा ने कहा, जो मुस्कुराते हुए यह सब देख रही थी, “आप पाते हैं कि बड़ा त्रिभुज छोटे त्रिभुज से ठीक चार गुना बड़ा है।”
“हो सकता है,” यशपाल ने जल्दी से एक वर्ग-समीकरण (Quadratic Equation) लिखते हुए कहा। पांच मिनिट बाद उसने अपनी बेटी की तरफ आश्चर्य से देखा। “तुम एकदम सही हो! लेकिन तुमने इसे इतनी जल्दी कैसे हल कर लिया?”
“आसान-सी बात है,” दूर्बा ने कहा। “मैंने देखा कि...”
दूर्बा ने वह कौन-सा अद्भुत तरीका अपनाया जिससे उसने क्षण भर में इस समस्या का हल निकाल लिया?