मार्टिन गार्डनर
भाग: 1
जब पुष्पक अन्तरिक्षयान अपने मिशन शनि के उपग्रह टाइटन से लौटा, तो वो सबसे पहले मरम्मत आदि के लिए चाँद पर उतर गया था। दो हफ्ते बाद वो चन्द्रमा से पृथ्वी के रास्ते पर था।
यशपाल, जिन्होंने पुष्पक के कम्प्यूटर विज्ञान दल का नेतृत्व किया था, की बारह साल की बेटी दूर्बा ने जब कम्प्यूटर के छोटे-से कक्ष में प्रवेश किया तब यशपाल यान के कम्प्यूटर के साथ खेल में मशगूल थे। “अभी मेरा ध्यान एक विचित्र-सी चीज़ पर गया,” दूर्बा ने कहा। “पहले मैंने सामने वाली खिड़की से पृथ्वी को देखा। फिर मैं यान के पीछे तरफ गई और चन्द्रमा को देखा। वे दोनों बिलकुल समान आकार के दिख रहे थे!”
कर्नल यशपाल मुस्कुराए, “तुम्हें शायद अन्दाज़ा होगा कि हमारे पूरे रास्ते में महज़ एक ऐसी जगह है जहाँ ऐसा दिखता है, और चार्ट में उस जगह का पता लगाना ज्यामिति का एक अच्छा-खासा अभ्यास है। इस समस्या को आसान बनाने के लिए समस्त राशियों को राऊण्ड-ऑफ कर देते हैं यानी उनका सन्निकटन कर देते हैं। मान लो कि चन्द्रमा के केन्द्र से पृथ्वी के केन्द्र तक की दूरी 2,40,000 मील है; पृथ्वी का व्यास 8,000 मील है; और चन्द्रमा का व्यास 2,000 मील है। क्या तुम हिसाब लगा पाओगी कि इस वक्त चन्द्रमा के केन्द्र से हम कितनी दूरी पर हैं?”
दूर्बा को, जिसे रेखागणित के सवाल बहुत प्रिय थे, इसे हल करने में कोई समस्या नहीं आई।