नरेन्द्र कर्मा

ज़्यादातर विद्यालयों में विज्ञान विषय में परिभाषाओं एवं तथ्यों आदि को याद रखने पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है। मुझे लगता है कि विज्ञान शिक्षण में बच्चों को कक्षाओं में प्रयोग करने के अवसर मिलने चाहिए। विज्ञान के प्रयोग एवं अवलोकन से बच्चे अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को बड़ी रुचि से देखते हैं और समझने की कोशिश करते हैं। और ऐसा करते हुए वे अपने आप विज्ञान विषय से जुड़ जाते हैं।

एक मोमबत्ती के क्या अवलोकन हो सकते हैं? मोमबत्ती को जलाकर छोड़ दिया जाए और सरसरी तौर पर देखें तो वह जल रही है, कुछ रोशनी दे रही है, बस। मगर जब इसे करके देखा तो समझ में आया कि कैसे एक मामूली-सी प्रतीत होने वाली गतिविधि हमारे बीच चर्चा व खोजबीन के नए रास्ते खोल सकती है।
पिछले दिनों मैंने अपने स्कूल की  छठवीं, सातवीं और आठवीं कक्षा के बच्चों को मोमबत्ती के अवलोकन करवाए। यह गतिविधि इसलिए चुनी क्योंकि जब मैंने स्वयं इसे पहली बार किया तो मुझे भी यह चुनौतीपूर्ण व मज़ेदार लगी थी। दरअसल मोमबत्ती के अवलोकन का कार्य अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन, खरगोन में शिक्षकों के लिए आयोजित एक बैठक में किया था। अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन के टीचर्स लर्निंग सेंटर में हम शिक्षक हर हफ्ते अपने खाली समय में मिलते हैं और कुछ-न-कुछ शैक्षिक विमर्श करते हैं। यहाँ अक्सर ऐसी चर्चाएँ आयोजित की जाती हैं जो हमारी शैक्षिक समझ को विस्तार दें ताकि हम बच्चों के सीखने-सिखाने व विषयगत समझ को और विकसित कर सकें। साथ ही यहाँ पर कुछ गतिविधियाँ भी करवाई जाती हैं।
मैंने यह गतिविधि पहली बार वहीं  की थी। जब मुझे पता चला कि मोमबत्ती पर एक बैठक का आयोजन किया जा रहा है तो लगा कि मोमबत्ती पर एक बैठक! आखिर इसमें ऐसा क्या खास हो सकता है? मगर जब किया तो लगा कि वाकई अवलोकन के मामले में यह एक दिलचस्प गतिविधि है। इतना ही नहीं, मैंने उसी समय इस गतिविधि को बच्चों के साथ करने का मन भी बना लिया।

रोज़ाना की ही तरह मैं उस दिन भी स्कूल की तरफ अपने कदम बढ़ाए जा रहा था। मैदान में बच्चे मौज-मस्ती कर रहे थे। मेरे हाथ में एक रंग-बिरंगा पैकेट देखकर बच्चे मेरी तरफ लपके और पूछने लगे, “सर इसमें क्या है?” मैंने कहा, “मोमबत्ती।” वे पूछने लगे, “क्या करोगे इस मोमबत्ती का?” मैंने कहा, “हम मिलकर इससे कुछ प्रयोग करेंगे।” वे आश्चर्य जताकर चले गए और आपस मेंे बातें करने लगे कि मोमबत्ती का भला क्या प्रयोग होगा। बच्चे पानी पीने के बहाने आते और ऑफिस में रखी हुई मोमबत्ती पर नज़रें घुमाकर कक्षा में चले जाते। मेरे स्कूल में ‘अवलोकन बाल सभा’ का आयोजन होता है। इसमें तरह-तरह के रचनात्मक कार्य किए जाते हैं, जैसे रंगोली बनाना, बच्चों द्वारा अखबार बनाना, चित्रकारी करना, आर्ट एण्ड क्राफ्ट, विभिन्न विषयों पर बोलना, दिए हुए शब्दों से कहानी बनाना, कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज़ पर प्रश्नोत्तरी करना, पुस्तकालय में बच्चोंे द्वारा पढ़ी गई पुस्तक में से कोई बात जो बच्चों को अच्छी लगी हो उसे प्रस्तुत करने के मौके देना, कुछ ऐसी घटना जो हाल ही में उनके घर पर या गाँव में घटी हो उसे सबके सामने बताना आदि, आदि।

ऐसा ही कुछ आज बालसभा में मोमबत्ती के साथ करवाने का तय किया था। मैंने मोमबत्ती के अवलोकन के लिए बच्चों के समूह बनाए। एक समूह में 3-4 बच्चोंे को शामिल किया। समूह ऐसे बनाए जिससे हर समूह में 6, 7 और 8, तीनों कक्षाओं के बच्चे हों। फिर मैंने उन्हें मोमबत्ती दी और उसे जलाने के लिए कहा। तत्पश्चात उनसे कहा कि वे देखें कि क्या हो रहा है। इस दौरान कक्षा के दरवाज़े-खिड़की बन्द कर दिए। बच्चे अपने-अपने समूह में जलती मोमबत्ती का अवलोकन कर रहे थे। शु डिग्री में बच्चों को भी यही लग रहा था कि मोमबत्ती जल रही है, बस! थोड़ा और ज़ोर देने पर बच्चे अब बारीकी से इसे एक परिघटना के रूप में देखने लगे।
वैसे तो बच्चों ने मोमबत्ती को जलते हुए न जाने कितनी दफे देखा होगा, मगर जलते हुए, बारीकी से उसका अवलोकन नहीं किया था। कोई घुटनों के बल बैठकर इसे देख रहा था तो कोई मोमबत्ती के नीचे झुककर। कोई मोमबत्ती को छू रहा था, कोई उसे फूँक मार रहा था, कोई उस पर पिघला मोम डाल रहा था, कोई उसे बुझाने की कोशिश कर रहा था, कोई उसे ऊपर से देख रहा था, कोई उसे नीचे से देख रहा था। वे हँसी-मज़ाक के साथ मोमबत्ती का अवलोकन कर रहे थे। बच्चे थोड़ी देर बाद एकाग्र हो गए, मोमबत्ती की लौ मेंे उन्हें कुछ रंग दिखाई दे रहे थे। उन्होंने लौ में रंगों की पहचान नीले, काले, पीले रंग के रूप में की। फिर उन्होंने रंगो की स्थिति देखी कि कौन-सा रंग कहाँ बन रहा है। उन्होंने मोमबत्ती की लौ के हिलने-डुलने को देखा, उसके आकार के बारे में बातें कीं। उन्होंने देखा कि मोमबत्ती की लौ को हवा लगती है तो वह हिलती है और वापस अपने आकार में आ जाती है। उन्होंने बताया कि इस लौ का निश्चित आकार है।

एक बच्चे ने उस लौ को हिलाने के चक्कर में फूँक मारी तो मोमबत्ती बुझ गई और देखा कि जैसे ही लौ बुझती है तो मोमबत्ती के धागे में से धुआँ निकलने लग जाता है। कुछ बच्चे इसका कारण जानने की कोशिश कर रहे थे। मैंने देखा कि वे बच्चे मोमबत्ती की लौ और मोम के बीच के हिस्से के बारे में बात कर रहे थे क्योंकि वह कुछ अजीब-सा हो रहा था। वे बातें कर रहे थे कि मोम और लौ के बीच कुछ पानी के कटोरे जैसी आकृति बन रही है। उन्होंने देखा कि मोम तो पिघलकर कम हो रही है किन्तु उस कटोरे जैसी आकृति में भरा तरल उतना ही है जितना पहले था। मोमबत्ती का धागा भी जलने पर छोटा हो रहा था। उन्होंने उस कटोरे जैसी आकृति में अलग से मोम भी डालकर देखी और बताया कि मोम पिघल कर द्रव स्वरूप में बदल रही है और वह कटोरे जैसी आकृति में इकट्ठा हो रही है और धागा उस तरल को पी रहा है। धागा जलकर छोटा और उसके अन्तिम छोर पर जलकर लाल हो रहा है। इस अवलोकन की प्रक्रिया के दौरान मैंने यह भी पाया कि जो बच्चे ठीक से पढ़-लिख नहीं पाते, वे भी अपने अवलोकन बोलकर नोट करवा रहे थे या खुद लिखने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने जाना कि पढ़ने-लिखने में कमज़ोर बच्चों को भी विज्ञान के प्रयोग करने के अवसर दिए जाएँ तो वे भी सीखने का प्रयास करते हैं। पूर्व माध्यमिक स्तर से ही विज्ञान के प्रयोग करवाने से वे पुस्तकों को समझने लगते हैं और उनमें पढ़ने की रुचि जागृत होती है। सभी समूहों ने मोमबत्ती के 20-25 अवलोकन लिखे और उन पर चर्चा की।

बच्चों के अवलोकन यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ:
* मोमबत्ती के जलने की परछाई बनती है।
* मोमबत्ती जलती है तो लौ नीचे के भाग में नीली दिखती है।
* मोमबत्ती जलती है तो पिघलती है।
* मोमबत्ती में एक धागा है।
* मोमबत्ती जलती है तो लौ के बीच का भाग काला दिखाई देता है।
* मोमबत्ती जलती है तो पिघलने पर मोम की बूँदें नीचे गिरती हैं।
* मोमबत्ती जलती है तो कमरे में प्रकाश कर देती है।
* मोमबत्ती की लौ लम्बी होती है।
* मोमबत्ती को जलाने के लिए ऊपर एक धागा निकला होता है।
* मोमबत्ती जलती है तो ऊपर का भाग पीला दिखाई देता है।
* मोमबत्ती की लौ का निश्चित आकार होता है।
* मोमबत्ती जलती है तो उसमें से धुआँ नहीं निकलता है।
* मोमबत्ती जलती है तो लौ के नीचे थोड़ा भाग पानी जैसा दिखाई देता है और कटोरे जैसी आकृति बन जाती है।
* मोमबत्ती के पिघलने पर मोम अधिक ताप पर जल्दी पिघल जाती है और कम ताप पर जल्दी जम जाती है।
* मोमबत्ती जब बड़ी रहती है तो उसका धागा बड़ा रहता है और जलने पर छोटा एवं काला दिखाई देता है।
* मोमबत्ती जब जलती है तो उसके अन्दर का धागा किनारे पर लाल हो जाता है।
* मोमबत्ती को फूँक मारते हैं तो वह बुझ जाती है और बुझने पर धुआँ निकलता है।
* मोमबत्ती जब जलती है तो उसके धागे में मोम खिंचा चला जाता है।
* मोमबत्ती जब जलती है तो उसके बगल में जो प्रकाश रहता है वो ऊपर की ओर जाकर खत्म हो जाता है।
* मोमबत्ती को बुझा देते हैं तो उसके धागे में लाल प्रकाश दिखाई देता है।
* मोमबत्ती जब जलती है तो लहराती है।
* मोमबत्ती जलते-जलते छोटी होती है।
* हमें अँधेरे में उजाला दिखाई देता है।
* मोमबत्ती पर मोम डालते हैं तो वह फिर से जलने लगती है।

मैं कोशिश करता हूँ कि विज्ञान के प्रयोगों को कक्षा में करवाऊँ। विज्ञान के प्रयोग करवाने से बच्चों में तार्किक क्षमता और वैज्ञानिक सोच विकसित होती है। उनके दिमाग में आसपास  की घटनाओं को लेकर सवाल उपजने लगते हैं।


नरेन्द्र कर्मा: शासकीय माध्यमिक विद्यालय, मोठापुरा, ज़िला खरगोन में पढ़ाते हैं। विज्ञान शिक्षण के तहत बच्चों के साथ मॉडल बनाकर विज्ञान की अवधारणाओं को समझाने में प्रयासरत। पक्षी दर्शन में दिलचस्पी रखते हैं।

सभी फोटो: नरेन्द्र कर्मा।