इतालो काल्विनो

 कहानी

जोवान्निनो  और  सेरेनेल्ला  रेल की पटरियों के साथ-साथ टहल रहे थे। नीचे गम्भीर, स्वच्छ नीला परत-दर-परत लहरों से भरा समुद्र था; ऊपर सफेद बादलों की रेखाओं से हल्का-सा भरा हुआ आकाश था। पटरियाँ चमचमा रही थीं और बुरी तरह तप रही थीं। पटरियों के साथ-साथ चलना मज़ेदार था, वहाँ खेलने के लिए बहुत सारे खेल थे - वह एक पटरी पर सन्तुलन बनाए हुए उसका हाथ थामे रहता और वह दूसरी पटरी के साथ-साथ चलती रहती, या फिर दोनों बीच की गिट्टियों से अपने पैरों को बचाते हुए पटरियों के बीच के लकड़ी के एक लट्ठे से दूसरे लट्ठे पर उछलते जाते। जोवान्निनो और सेरेनेल्ला केंकड़ों की तलाश में निकले थे, और अब उनने सुरंग तक जाकर रेल की पटरियों की पड़ताल करने का निश्चय कर लिया था। उसको सेरेनेल्ला के साथ खेलना अच्छा लगता था, और वह उस तरह का व्यवहार नहीं करती थी जैसा तमाम दूसरी छोटी लड़कियाँ किया करती थीं, जो हमेशा डरी रहती थीं या हर मज़ाक पर रोना शू डिग्री कर देती थीं। जब भी जोवान्निनो कहता, “चलो, वहाँ चलते हैं,” या “आओ, ये करते हैं,” तो वह एक शब्द भी मुँह से निकाले बिना उसके पीछे चल पड़ती थी।

पिंज! वे दोनों चौंक पड़े और ऊपर की तरफ देखने लगे। टेलीफोन का एक तार खम्भे के ऊपरी सिरे से अचानक टूट गया था। ऐसा लगा जैसे किसी फौलादी सारस ने झटके-से अपनी चोंच बन्द की हो। वे अपनी नाक ऊपर उठाए ताकते रहे। उस घटना को न देख पाना कितने अफसोस की बात थी! अब यह दोबारा कभी नहीं होगा।
“कोई ट्रेन आ रही है,” जोवान्निनो ने कहा।
सेरेनेल्ला पटरी से नहीं हिली। “कहाँ से?” उसने पूछा।

जोवान्निनो ने जानकार भाव से चारों ओर देखा। उसने सुरंग के उस काले सुराख की तरफ इशारा किया जो पल भर के लिए साफ दिखता तो अगले ही पल पथरीले रास्ते से उठती तपिश की अदृश्य धुन्ध की वजह से धुन्धला जाता था।
“वहाँ से,” उसने कहा। उनको पहले ही सुरंग के अँधेरे से आती एक घरघराहट सुनाई देती लग रही थी, और लग रहा था कि सहसा आग और धुआँ उगलती ट्रेन नमूदार हो उठेगी, जिसके पहिए आगे बढ़ते हुए बेरहमी के साथ पटरियों को निगलते जा रहे होंगे।

“हम कहाँ जाएँगे, जोवान्निनो?”
नीचे समुद्र की ओर घने अभेद्य बिच्छू पौधौं से घिरे हुए बड़े स्याह एलो के पौधे थे, वहीं ऊपर पहाड़ी की तरफ घनी पत्तियों वाली लेकिन फूलों से रहित एक मावदार बाड़ थी। ट्रेन का अभी भी कोई निशान नहीं था; शायद वह इंजिन से अलग होकर भागी आ रही थी, और अचानक उन पर छलांग लगा देने वाली थी। लेकिन जोवान्निनो को अब बाड़ के अन्दर घुसने की एक राह दिख गई थी। “यहाँ से,” उसने पुकारा।

उस घुमावदार बाड़ के नीचे की फेन्स एक पुरानी मुड़ी हुई पटरी थी। एक स्थान पर आकर वह कागज़ के पन्ने के एक कोने की तरह ज़मीन की ओर मुड़ी हुई थी। जोवान्निनो उस छेद में सरक चुका था और उसका आधा हिस्सा अन्दर गायब हो चुका था।
“अपना हाथ बढ़ाओ, जोवान्निनो।”
उनने अपने आपको ज़मीन पर बिछे फूलों के बीच घुटनों और हाथों पर टिके हुए एक बगीचे के कोने में पाया, उनके बाल सूखी पत्तियों और सेवार से भरे हुए थे। हर चीज़ खामोश थी; एक पत्ती भी नहीं हिल रही थी।

“आओ,” जोवान्निनो ने कहा, और जवाब में सेरेनेल्ला ने सिर हिलाया।
ऊँचे, पुराने, चमड़े के रंग के यूकेलिप्टस के दरख्त केकरीले रास्ते के दोनों ओर फैले हुए थे। जोवान्निनो और सेरेनेल्ला पंजों के बल रास्ते पर चलने लगे, वे पूरी सावधानी बरत रहे थे कि उनके चलने से कंकड़ों के चरमराने की आवाज़ न हो। अभी बगीचे के मालिक आ टपके तो?

सब कुछ बहुत खूबसूरत था : सँकरे मोड़  और  यूकेलिप्टस  की  लम्बी, छल्लेदार पत्तियाँ और आकाश के टुकड़े; लेकिन पूरे वक्त यह चिन्ता सता रही थी कि ये उनका बगीचा नहीं था, और किसी भी पल उनको वहाँ से खदेड़ दिया जा सकता था। लेकिन कहीं कोई आहट सुनाई नहीं देती थी। रास्ते के मोड़ पर उगी आर्ब्यूटस की झाड़ियों से चहचहाती हुई गौरइयों का एक झुण्ड उड़ा। इसके बाद फिर खामोशी छा गई। कहीं वह कोई तज दिया गया बगीचा तो नहीं था?
लेकिन अन्त में ऊँचे दरख्तों की छाया समाप्त हो गई, और उनने खुद को खुले आसमान के तले पाया जहाँ सामने पेटूनियास और कॉन्वोल्वुलस की स्वच्छ कतारों से लदी फूलों की क्यारियाँ, और रास्ते तथा रेलिंग और बॉक्स ट्री की कतारें थीं। और बगीचे के आखिरी सिरे पर खिड़कियों के चमचमाते पल्लों और पीले तथा नारंगी परदों से युक्त एक बड़ा बँगला था।

और वह पूरी तरह से वीरान था। दोनों बच्चे बजरी पर सावधानी-से पैर रखते हुए आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढे: मुमकिन है अचानक खिड़कियाँ धड़ाक से खुल जाएँ, और गुस्से से भरी महिलाएँ और भद्र पुरुष छज्जों पर प्रकट होकर बड़े-बड़े कुत्तों को रास्तों पर छोड़ दें। अब उनको एक गड्ढे के करीब एक पहिए वाली ठेला गाड़ी खड़ी दिखाई दी। जोवान्निनो ने उसके हत्थे थामे और उसको अपने सामने की तरफ धकेलना शु डिग्री कर दिया: वह हर मोड़ पर किसी सीटी की तरह चीं-चीं की आवाज़ कर रही थी। सेरेनेल्ला उसमें सवार हो गई और वे धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ने लगे। वह गाड़ी पर  सवार  थी  जिसे  जोवान्निनो क्यारियों और फव्वारों की बगल से धकेलता चल रहा था।

जब-तब सेरेनेल्ला किसी फूल की तरफ इशारा करती और धीमी आवाज़ में कहती: “वो,” और जोवान्निनो गाड़ी को नीचे रखता, उस फूल को तोड़ता, और उसके हाथ में दे देता। जल्दी ही उसके पास फूलों का एक सुन्दर गुच्छा तैयार हो गया।
अन्तत: बजरी का रास्ता खत्म हुआ और वे ईंटों तथा सीमेंट से बनी एक खुली जगह में पहुँच गए। और इस खुली जगह के बीचों-बीच एक बड़ा खाली आयताकार था: एक स्विमिंग पूल। वे आहिस्ता-आहिस्ता चलते हुए उसके किनारे तक पहुँचे: वह नीली टाइलों से घिरा हुआ था और स्वच्छ पानी से ऊपर तक भरा हुआ  था।  इसमें  नहाना  कितना आनन्ददाई होगा!

“क्या हम एक डुबकी लगाएँ?” जोवान्निनो ने सेरेनेल्ला से पूछा। यह खयाल खासा खतरनाक होता अगर उसने इसकी बजाय यह कहा होता कि “हम अन्दर चलें!” लेकिन पानी बहुत  स्वच्छ  और  नीला  था,  और सेरेनेल्ला कभी डरती नहीं थी। वह गाड़ी से कूद पड़ी और अपने फूलों का गुच्छा उसमें रख दिया। वे पहले से ही नहाने के कपड़े पहने हुए थे, क्योंकि कुछ ही देर पहले वे कंकड़ों की तलाश में निकले थे। जोवान्निनो अन्दर कूद गया; डाइविंग बोर्ड पर से नहीं, क्योंकि उस छपाके से बहुत ज़्यादा आवाज़ होने की सम्भावना थी, बल्कि वह पूल के किनारे से कूदा। अपनी आँखों को पूरा खुला रखते हुए वह नीचे, और नीचे गिरता गया, जहाँ से उसको टाइल्स का नीला रंग और गोल्डफिश जैसे अपने गुलाबी हाथ दिखाई दे रहे थे; ये समुद्र के अन्दर जैसा दृश्य नहीं था, जो आकारहीन हरी-काली छायाओं से भरा होता है। उसके ऊपर एक गुलाबी आकृति प्रकट हुई: सेरेनेल्ला! उसने सेरेनेल्ला का हाथ थाम लिया और वे किंचित चिन्तित मन से तैरते हुए सतह पर आ गए। नहीं, वहाँ उनको कोई नहीं देख रहा था। लेकिन ये अनुभव उतना सुहावना नहीं था जितना कि उनका खयाल था कि होगा; उनके मन में लगातार यह बेचैन एहसास बना हुआ था कि उनको इनमें से किसी चीज़ का हक नहीं है, और किसी भी पल उनको वहाँ से खदेड़ दिया जा सकता है।

वे फुर्ती-से पानी से बाहर निकले, और स्विमिंग पूल के बाजू में उनको टेबिल-टेनिस की एक मेज़ दिखाई दी। जोवान्निनो ने तुरन्त बल्ला उठाया और गेंद पर मारा,  और  दूसरी  तरफ सेरेनेल्ला ने तुरन्त ही शॉट को वापस किया। और इस तरह, उनने खेलना जारी रखा, हालाँकि इस डर से कि कहीं बँगले का कोई व्यक्ति उनकी आवाज़ न सुन ले, वे गेंद पर हल्के-हल्के बल्ला चला रहे थे। लेकिन तभी जोवान्निनो ने ऊपर उछलते एक शॉट को रोकने की कोशिश में गेंद को हवा में तैरा दिया और वह एक मण्डप से लटकते घण्टे से जा टकराई। एक लम्बी, भुतही-सी झंकार हुई। दोनों बच्चे रनंगक्यलस के एक झुरमुट के पीछे दुबक गए। और तत्काल ही सफेद कोट पहने, बड़ी-बड़ी तश्तरियाँ थामें दो नौकर प्रकट हुए; उनने नारंगी-पीली धारियों वाली एक छतरी के तले रखी एक गोल मेज़ पर वे तश्तरियाँ रख दीं, और वे वहाँ से चले गए।

जोवान्निनो   और   सेरेनेल्ला आहिस्ता-आहिस्ता चलते हुए मेज़ के पास पहुँचे। वहाँ चाय, दूध और स्पाँज केक रखे हुए थे। उनको सिर्फ वहाँ जाकर  बैठने  और  खुद  ही परोसने की ज़रूरत थी। उनने दो कपों में चाय उंडेली और केक के दो टुकड़े काटे। लेकिन वे किसी वजह से सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे, और कुर्सी की कगार पर बैठे अपने घुटने हिला रहे थे। और वे वाकई चाय और केक का आनन्द नहीं ले पा रहे थे, क्योंकि किसी भी चीज़ में कोई स्वाद प्रतीत नहीं होता था। बगीचे की हर चीज़ वैसी ही थी : वो सुन्दर तो थी लेकिन उसका ठीक से आनन्द लेना असम्भव था, क्योंकि यह चिन्ताजनक एहसास अन्दर बना हुआ था कि उनकी किस्मत ही विचित्र ढंग से उनको वहाँ ले आई थी, और यह खौफ कि जल्दी ही उनको अपनी सफाई पेश करनी होगी।
बहुत खामोशी के साथ वे दबे  पाँव  बँगले  पर  पहुँचे। वेनीशियाई परदों की झिरी के बीच से उनको एक खूबसूरत धुँधला-सा कमरा दिखाई दिया, जिसकी दीवारों पर जमा की गई तितलियाँ लटक रही थीं। और कमरे में एक कुम्हलाया हुआ-सा छोटा बच्चा था। भाग्यशाली बच्चा, निश्चय ही वह इस बँगले और बगीचे का मालिक होगा। वह एक लम्बी कुर्सी पर तना हुआ लेटा था और चित्रों से भरी एक बड़ी पुस्तक के पन्ने पलट रहा था। उसके बड़े-बड़े सफेद हाथ थे और उसने पायजामे पहन रखे थे जिनके बटन गर्दन तक बन्द थे, हालाँकि वह गर्मी का मौसम था।

अब जबकि ये दोनों बच्चे लगातार झिर्रियों से झाँक रहे थे, उनके दिल की तेज़ धड़कनें धीरे-धीरे शान्त होती जा रही थीं। आखिर वहाँ बैठा और पन्ने पलटता और अपने चारों ओर देखता वह छोटा रईस लड़का उन लोगों से कहीं ज़्यादा बेचैन और चिन्तित लग रहा था। और फिर वह उठा और दबे पाँव चारों ओर घूमा, मानो उसे डर हो कि किसी भी पल वहाँ कोई आकर उसे बाहर कर देगा, मानो उसे लग रहा हो कि वह पुस्तक, वह लम्बी कुर्सी और दीवार में मढ़ी हुई वे तितलियाँ, वह बगीचा और खेल और चाय की तश्तरियाँ, वह स्विमिंग पूल और पगडण्डियाँ, उसके लिए किसी बहुत बड़ी चूक के चलते सौंप दिए गए थे, मानो वह उन सब चीज़ों का लुत्फ उठाने में असमर्थ हो और उस चूक की कड़ुआहट को अपनी खुद की गलती की तरह महसूस कर रहा हो।

वह कुम्हलाया हुआ लड़का सहमे कदमों से उस धुँधले कमरे में घूम रहा था, और अपनी सफेद अँगुलियों से तितलियों से भरे दराज़ों की किनारों को छू रहा था; तभी वह रुका और सुनने लगा। जोवान्निनो और सेरेनेल्ला के दिल की जो धड़कनें शान्त हो गई थीं, वे अब पहले से भी ज़्यादा तेज़ हो गईं। यह शायद उस सम्मोहन का भय था जो बहुत पहले कभी हुए किसी प्राचीन अन्याय की तरह इस बँगले और बगीचे पर और इन तमाम मनोहारी आरामदेह चीज़ों पर छाया हुआ था।

बादलों ने धूप को धुँधला दिया। जोवान्निनो और सेरेनेल्ला दबे पाँव बहुत शान्त ढंग से वहाँ से हट गए। वे तेज़-तेज़ चलते हुए लेकिन ज़रा भी दौड़े बिना वापस उन्हीं पगडण्डियों से होकर गए, जिनसे आए थे। और वे एक बार फिर घुटनों और हाथों के बल बाड़ के रास्ते बाहर निकल गए। एलो के पौधों के बीच उनको एक पगडण्डी दिखाई दी जो नीचे, पथरीले समुद्र-तट की ओर जाती थी, जिसके किनारों पर समुद्री शैवालों की कतारें थीं। फिर उनने एक नया और अद्भुत खेल ईजाद किया; शैवाल-लड़ाई। वे दोपहर के बाद तक मुट्ठी भर-भरकर एक-दूसरे के चेहरे पर शैवाल फेंकते रहे। और इस दौरान सेरेनेल्ला एक बार भी नहीं रोई।


इतालो काल्विनो (1923-1985): इतालवी पत्रकार और लघुकथा लेखक व उपन्यासकार। इनके श्रेष्ठतम कामों में अवर एंसिस्टर्स (ट्रायलॉजी), कॉस्मीकॉमिक्स (लघुकथाओं का संकलन) और इंविज़िबल सिटीज़ एवं इफ ऑन अ विन्टर्स नाइट अ ट्रेवेलर (उपन्यास) शामिल हैं। 

अँग्रेज़ी से अनुवाद: मदन सोनी: आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय वरिष्ठ हिन्दी लेखक व अनुवादक। इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं। इन्होंने उम्बर्तो एको के उपन्यास द नेम ऑफ दि रोज़, डैन ब्राउन के उपन्यास दि द विंची कोड और युवाल नोह हरारी की किताब सेपियन्स: अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड समेत अनेक पुस्तकों के अनुवाद किए हैं।

सभी चित्र: भारती तिहोंगर: जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से फाइन आर्ट्स में स्नातक। स्कूल ऑफ कल्चर एंड क्रिएटिव एक्सप्रेशंस, अम्बेडकर यूनिवर्सिटी से विज़ुअल आर्ट्स में स्नातकोत्तर। स्वतंत्र रूप से चित्रकारी करती हैं।