स्टुअर्ट क्लार्क
विश्व प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री
स्टीफन हॉकिंग का निधन 76 वर्ष की आयु में हुआ। स्टीफन के बच्चों - ल्यूसी, रॉबर्ट और टिम - ने एक वक्तव्य में कहा: हम बहुत दुखी हैं कि आज हमारे पिता का निधन हो गया है। वे एक महान वैज्ञानिक और असाधारण इन्सान थे जिनका कार्य और विरासत कई वर्षों तक जीवित रहेगी। उनके साहस और धैर्य के साथ-साथ उनकी प्रतिभा व विनोदप्रियता ने दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने एक बार कहा था, “इस दुनिया में कुछ न होता यदि यह उन लोगों का घर न होती जिन्हें आप प्यार करते हैं।” हमें सदा उनकी कमी खलेगी।
हमारे ज़माने के मशहूर सैद्धान्तिक भौतिक शास्त्री स्टीफन हॉकिंग का 14 मार्च, 2018 को निधन हो गया और श्रद्धांजलियों का ताँता लग गया।
हमारे ज़माने के सबसे जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग एक आइकॉन की हैसियत रखते थे। 1988 में प्रकाशित उनकी युगान्तर-कारी पुस्तक ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम की एक करोड़ से ज़्यादा प्रतियाँ बिक चुकी हैं और इसका अनुवाद 35 से ज़्यादा भाषाओं में किया जा चुका है। वे टीवी शो स्टार ट्रेक: दी नेक्स्ट जनरेशन, दी सिम्पसन्स और दी बिग बैंग थियरी में नज़र आए थे। उनका प्रारम्भिक जीवन 2014 की एक फिल्म दी थियरी ऑफ एवरीथिंग का विषय था। इसमें हॉकिंग की भूमिका एडी रेडमेन ने निभाई थी जिसके लिए उन्हें ऑस्कर पुरस्कार मिला था। टाइम ट्रेवल से लेकर एलियन्स, मध्य पूर्व की राजनीति और शरारती रोबोट्स तक लगभग हर विषय में प्रामाणिक सलाह के लिए उनसे सम्पर्क किया जाता था। वे अत्यन्त मनमोहक विनोदप्रियता तथा दुस्साहसी रवैये के धनी थे। ऐसे आकर्षक मानवीय गुणों के साथ उनके सुपरमानव मस्तिष्क ने मिलकर उन्हें निहायत बिक्री-योग्य बना दिया था।
किन्तु उनका सांस्कृतिक रुतबा - जो उनकी विकलांगता तथा मीडिया द्वारा इसे लेकर निर्मित आँधी के चलते और भी बढ़ गया था - अक्सर उनकी वैज्ञानिक विरासत पर हावी हो जाता था। यह उस व्यक्ति के लिए शर्म की बात है जिसने ऐसी चीज़ों की खोज की है जो शायद थियरी ऑफ एवरीथिंग (सर्व-ग्राही सिद्धान्त) के लिए प्रमुख सुराग साबित होंगी। इसके अलावा उन्होंने समय-स्थान को लेकर हमारी समझ को आगे बढ़ाया, पिछले चार दशकों में भौतिकी की दिशा तय करने में मदद की और उनकी सूझबूझ आज भी मूलभूत भौतिकी में प्रगति को दिशा दे रही है।
शुरुआत महाविस्फोट से
हॉकिंग का शोध कैरियर निराशा से शु डिग्री हुआ था। 1962 में जब वे अपनी पीएच.डी. शु डिग्री करने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय पहुँचे, तो उन्हें बताया गया कि उनके मनपसन्द सुपरवाइज़र फ्रेड हॉयल के पास एक और छात्र के लिए जगह नहीं थी। उस ज़माने के सबसे मशहूर ब्रिटिश खगोल-भौतिक शास्त्री हॉयल महत्वाकांक्षी छात्रों के लिए आकर्षण का केन्द्र थे। हॉकिंग को जगह नहीं मिली। उनकी बजाय हॉकिंग को भौतिक शास्त्री डेनिस सियामा के साथ काम करना पड़ा जिनके बारे में वे कुछ नहीं जानते थे। उसी वर्ष पता चला था कि हॉकिंग एमायोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरोसिस से पीड़ित हैं। यह एक क्षतिकारक मोटर-तंत्रिका रोग है जो अपनी मांसपेशियों को स्वैच्छिक रूप से हिलाने-डुलाने की व्यक्ति की क्षमता को तेज़ी-से कम करता है। उन्हें बताया गया कि उनके पास दो साल का जीवन शेष है।
भले ही हॉकिंग का शरीर कमज़ोर पड़ गया हो, लेकिन उनकी बुद्धि उतनी ही कुशाग्र बनी रही। पीएच.डी. करते दो साल के अन्दर उन्हें चलने-फिरने और बोलने में दिक्कत होने लगी थी किन्तु यह स्पष्ट हो गया था कि उनकी बीमारी डॉक्टरों के अनुमान की अपेक्षा कहीं अधिक धीमी गति से बढ़ रही है। इसी बीच जेन वाइल्ड के साथ विवाह ने उनमें भौतिकी में कुछ वास्तविक प्रगति करने की इच्छा को फिर से जीवित कर दिया। जेन वाइल्ड के साथ उनके तीन बच्चे हुए - रॉबर्ट, ल्यूसी और टिम।
सियामा के साथ काम करने के अपने फायदे थे। हॉयल की प्रसिद्धि का मतलब यह होता था कि वे अक्सर विभाग में नहीं पाए जाते थे। दूसरी ओर, सियामा आसपास ही होते थे और हमेशा बातचीत को उत्सुक होते थे। उन चर्चाओं ने हॉकिंग को स्वयं अपनी वैज्ञानिक दृष्टि के साथ काम करने की स्फूर्ति प्रदान की। हॉयल बिग बैंग (महाविस्फोट) सिद्धान्त के घोर विरोधी थे (दरअसल ‘बिग बैंग’ नाम उन्होंने मखौल बनाने के उद्देश्य से दिया था)। इसके विपरीत, सियामा ने हॉकिंग को खुशी-खुशी समय की शुरुआत की खोजबीन करने दी।
समय का बाण
हॉकिंग रॉजर पेनरोज़ के कार्य का अध्ययन कर रहे थे। पेनरोज़ ने सिद्ध किया था कि यदि आइंस्टाइन का सामान्य सापेक्षता का सिद्धान्त सही है तो प्रत्येक ब्लैक होल के केन्द्र में एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहाँ समय और स्थान स्वयं ही ध्वस्त हो जाएँगे - इसे उन्होंने सिंगुलेरिटी कहा था। हॉकिंग को समझ में आ गया कि यदि समय का बाण पलट जाए, तो यह तर्क पूरे ब्रह्माण्ड पर भी लागू होगा। सियामा के प्रोत्साहन के दम पर हॉकिंग ने इस प्रक्रिया का गणितीय विश्लेषण किया और यह सिद्ध करने में सफल रहे कि सामान्य सापेक्षता के मुताबिक ब्रह्माण्ड की शुरुआत एक सिंगुलेरिटी के रूप में हुई थी। अलबत्ता, हॉकिंग इस बात से वाकिफ थे कि इस मामले में आइंस्टाइन की बात अन्तिम नहीं थी। सामान्य सापेक्षता बड़े (स्थूल) पैमाने पर स्थान व काल का विवरण प्रस्तुत करता है किन्तु उसमें गणनाओं में क्वांटम यांत्रिकी को शामिल नहीं किया गया है, जो (क्वांटम यांत्रिकी) अत्यन्त सूक्ष्म स्तर पर पदार्थ के विचित्र व्यवहार का विवरण देती है। यानी किसी अज्ञात थियरी ऑफ एवरीथिंग की दरकार है जो इन दोनों को एकीकृत करे। हॉकिंग के दृष्टिकोण से ब्रह्माण्ड की शुरुआत में सिंगुलेरिटी की उपस्थिति स्थान व काल के ध्वस्त होने का संकेत नहीं है। उनके अनुसार, यह इस बात का संकेत है कि हमें क्वांटम गुरुत्वाकर्षण की ज़रूरत है।
खुशकिस्मती से, पेनरोज़ की सिंगुलेरिटी और बिग बैंग के समय की सिंगुलेरिटी के बीच जो कड़ी हॉकिंग ने प्रतिपादित की थी, वही क्वांटम गुरुत्वाकर्षण के ऐसे सिद्धान्त की खोज का सुराग बन गई। यदि भौतिक शास्त्री ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को समझना चाहें, तो हॉकिंग ने यह दर्शा दिया था कि कहाँ नज़र दौडाएँ: ब्लैक होल पर।
1970 के दशक की शुरुआत का दौर ब्लैक होल खोजबीन के लिए परिपक्व था। यह सही है कि कार्ल श्वार्ज़चाइल्ड ने 1915 में ही भाँप लिया था कि सामान्य सापेक्षता के समीकरणों में ऐसे पिण्ड झांक रहे हैं किन्तु सिद्धान्तविदों को लगता था कि ये महज़ गणितीय अनियमितताएँ हैं। वे यह मानने को तैयार नहीं थे कि ऐसी चीज़ों का वास्तव में अस्तित्व हो सकता है।
डरावनी ही सही, मगर ब्लैक होल्स की करतूत काफी सीधी-सी है: ब्लैक होल्स का गुरुत्व क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि कुछ भी उनकी पकड़ से छूट नहीं सकता, प्रकाश भी नहीं। कोई भी चीज़ ब्लैक होल में गिर जाए तो वह हमेशा के लिए बाहरी दुनिया के लिए गुम हो जाएगी। लेकिन यह बात ऊष्मागतिकी के दिल में छुरा भौंकने जैसी है।
ऊष्मागतिकीय खतरा
ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम प्रकृति के सबसे सु-स्थापित नियमों में से है। यह नियम कहता है कि किसी भी निकाय में एंट्रॉपी, यानी अस्त-व्यस्तता का स्तर, सदैव बढ़ती है। यह दूसरा नियम इस बात की व्याख्या करता है कि क्यों बर्फ का टुकड़ा पिघलकर एक पोखर का रूप ले लेता है किन्तु पानी का डबरा कभी आपो-आप बर्फ का टुकड़ा नहीं बनता। समस्त पदार्थ में एंट्रॉपी होती है, तो जब पदार्थ ब्लैक होल में गिरेगा तो क्या होगा? क्या पदार्थ के साथ-साथ एंट्रॉपी भी गुम हो जाएगी? यदि ऐसा है, तो ब्रह्माण्ड की कुल एंट्रॉपी कम हो जाएगी और ब्लैक होल ऊष्मागतिकी के दूसरे नियम का उल्लंघन करेंगे।
हॉकिंग को लगता था कि यह ठीक ही है। वे हर उस अवधारणा को तिलांजलि देने को तैयार थे जो ज़्यादा गहरे सत्य के मार्ग में रोड़ा हो। और यदि इसका मतलब दूसरा नियम है, तो होने दो।
बेकेंस्टाइन और नई ज़मीन
अलबत्ता, हॉकिंग को सवा सेर मिल ही गया - 1972 में फ्रांसीसी स्की रिसॉर्ट ला हूचेस में भौतिकी के एक समर स्कूल में। पिं्रसटन विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र जेकब बेकेंस्टाइन का विचार था कि ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम ब्लैक होल्स पर भी लागू होना चाहिए। बेकेंस्टाइन एंट्रॉपी का अध्ययन कर रह थे और वे हॉकिंग की एक पहले की समझ के दम पर इस समस्या के सम्भव समाधान तक पहुँच चुके थे।
ब्लैक होल की सिंगुलेरिटी एक सरहद के अन्दर छिपी होती है, जिसे इवेंट होराइज़न कहते हैं। इवेंट होराइज़न को पार करने वाली कोई भी चीज़ कभी बाहर नहीं लौट सकती। हॉकिंग के काम ने दर्शाया था कि ब्लैक होल के इवेंट होराइज़न का क्षेत्रफल समय के साथ कभी कम नहीं होता। और तो और, जब पदार्थ ब्लैक होल में गिरता है तो उसके इवेंट होराइज़न के क्षेत्रफल में वृद्धि होती है।
बेकेंस्टाइन समझ गए कि यह एंट्रॉपी समस्या की कुंजी है। हर बार जब पदार्थ ब्लैक होल में गिरता है, तो लगता है कि उसकी एंट्रॉपी गुम हो गई है मगर साथ ही उसका इवेंट होराइज़न बढ़ जाता है। तो, बेकेंस्टाइन ने दूसरे नियम को सुरक्षित रखने के मकसद से सुझाया कि शायद इवेंट होराइज़न का क्षेत्रफल ही एंट्रॉपी का मान हो।
हॉकिंग को फौरन यह बात नापसन्द गुज़री और उन्हें इस बात पर गुस्सा आया कि स्वयं उनके कार्य का इस्तेमाल एक इतनी गलत अवधारणा के समर्थन में किया गया है। एंट्रॉपी के साथ ऊष्मा आती है, और ब्लैक होल ऊष्मा का विकिरण तो नहीं कर सकता - उसके गुरुत्वाकर्षण से कोई चीज़ छूट नहीं सकती। व्याख्यानों के बीच के अन्तराल में हॉकिंग ने वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के अपने सहकर्मियों ब्रैंडन कार्टर (जिन्होंने सियामा के अधीन अध्ययन किया था) और जेम्स बार्डीन को साथ लेकर बेकेंस्टाइन को पकड़ा।
असहमति ने बेकेंस्टाइन को चिन्तित कर दिया। बेकेंस्टाइन ने बताया, “ये तीन वरिष्ठ लोग थे। मैंने तो अभी-अभी पीएच.डी. पूरी की थी। मुझे चिन्ता सताने लगी कि शायद मैं बेवकूफ हूँ और ये लोग सत्य जानते हैं।” कैम्ब्रिज लौटकर हॉकिंग बेकेंस्टाइन को गलत साबित करने में जुट गए। गलत साबित करना तो दूर, उन्होंने एंट्रॉपी और ब्लैक होल के इवेंट होराइज़न के सटीक गणितीय सम्बन्ध की खोज कर डाली। बेकेंस्टाइन के विचार को ध्वस्त करने की बजाय हॉकिंग ने उसकी पुष्टि कर दी। यह हॉकिंग की सबसे बड़ी खोज थी।
हॉकिंग विकिरण
हॉकिंग ने अब इस विचार को अपनाया कि ब्लैक होल के मामले में ऊष्मागतिकी कुछ भूमिका अदा करती है। उन्होंने तर्क दिया कि एंट्रॉपी का एक तापमान होता है - और जिस चीज़ में तापमान होगा वह विकिरित करेगी।
हॉकिंग समझ गए कि उनकी मूल गलती यह थी कि उन्होंने सिर्फ सापेक्षता पर ध्यान दिया था जिसके अनुसार कुछ भी - कोई कण, कोई ऊष्मा - ब्लैक होल के चंगुल से निकल नहीं सकता। मगर जैसे ही क्वांटम यांत्रिकी का पदार्पण होता है, तस्वीर बदल जाती है। क्वांटम यांत्रिकी के अनुसार, कण और प्रति-कण (पार्टिकल और एंटी-पार्टिकल) की क्षणभंगुर जोड़ियाँ नितान्त खाली स्थान में लगातार प्रकट होती रहती हैं। ये प्रकट होती हैं मगर पलक झपकते ही नष्ट होकर गायब होने के लिए। जब यह क्रिया इवेंट होराइज़न के नज़दीक होती है, तो कण-प्रति-कण जोड़ी टूटकर अलग-अलग हो सकती है - उनमें से एक तो होराइज़न के पीछे चला जाता है जबकि दूसरा पलायन कर जाता है। इस तरह से वे फिर से मिलकर कभी नष्ट नहीं हो सकते। अनाथ पार्टिकल विकिरण के रूप में ब्लैक होल के किनारों से दूर बहते रहते हैं। क्वांटम सृजन की बेतरतीब प्रकृति ऊष्मा की बेतरतीबी का रूप ले लेती है।
कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सैद्धान्तिक भौतिक शास्त्री सीन कैरोल कहते हैं, “मेरा ख्याल है कि अधिकांश भौतिक शास्त्री इस बात से सहमत होंगे कि हॉकिंग का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यही है कि उन्होंने भविष्यवाणि की थी कि ब्लैक होल विकिरण का उत्सर्जन कर सकते हैं। हालाँकि, हमारे पास आज भी हॉकिंग की भविष्यवाणि का कोई प्रायोगिक प्रमाण नहीं है, मगर लगभग सारे विशेषज्ञ मानते हैं कि वे सही थे।”
हॉकिंग की भविष्यवाणि की जाँच करने के लिए प्रयोग बहुत कठिन हैं क्योंकि जितना विशाल ब्लैक होल होता है, उसका तापमान भी उतना ही कम होता है। किसी बड़े ब्लैक होल - जिसका अध्ययन दूरबीन की मदद से सम्भव हो - के विकिरण का तापमान इतना कम होता है कि उसे नापा नहीं जा सकता। जैसा कि हॉकिंग स्वयं कई बार कहा करते थे, इसी वजह से उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं मिल पाया।
बहरहाल, इस भविष्यवाणी ने विज्ञान के इतिहास में उनका स्थान सुनिश्चित कर दिया है और ब्लैक होल के किनारों से निकलने वाले क्वांटम पार्टिकल्स को सदा हॉकिंग पार्टिकल्स के नाम से जाना जाएगा। कुछ लोगों का सुझाव है कि इन्हें बेकेंस्टाइन-हॉकिंग एंट्रॉपी कहना ज़्यादा सही होगा, किन्तु स्वयं बेकेंस्टाइन ने इस सुझाव को खारिज किया है। “यह तो मुझे सही लगता है कि ब्लैक होल की एंट्रॉपी को बेकेंस्टाइन-हॉकिंग एंट्रॉपी कहा जाए। मैंने इसे पहले लिखा था, हॉकिंग ने इस स्थिरांक का संख्यात्मक मान ज्ञात किया था। अर्थात् आज जो सूत्र है, उसकी खोज हमने मिलकर की थी। विकिरण वास्तव में हॉकिंग का काम था। मुझे कोई अन्दाज़ नहीं था कि कोई ब्लैक होल विकिरण कैसे छोड़ सकता है। हॉकिंग ने इस बात को स्पष्टता से सामने रखा। इसलिए इसे हॉकिंग विकिरण ही कहना चाहिए।”
हर चीज़ का सिद्धान्त
हॉकिंग की इच्छा थी कि बेकेंस्टाइन-हॉकिंग एंट्रॉपी समीकरण उनकी कब्र-शिला पर अंकित किया जाए। यह भौतिकी की विभिन्न शाखाओं के बीच ज़बरदस्त समन्वय का द्योतक है - इसमें न्यूटन का स्थिरांक है (जो स्पष्ट रूप से गुरुत्वाकर्षण से सम्बन्धित है), प्लांक स्थिरांक है (जो क्वांटम यांत्रिकी की भूमिका को दर्शाता है), प्रकाश का वेग है (जो आइंस्टाइन की सापेक्षता का मूलमंत्र है) और बोल्ट्ज़मैन स्थिरांक है (जो ऊष्मागतिकी का दूत है)। इन विविध स्थिरांकों की उपस्थिति ‘सब कुछ के सिद्धान्त’ यानी थियरी ऑफ एवरीथिंग का संकेत देती है, जिसमें समूची भौतिकी एकीकृत होगी। इसके अलावा, इससे हॉकिंग की उस शुरुआती अटकल को भी समर्थन मिलता है कि ब्लैक होल को समझना एक ज़्यादा गहरे सिद्धान्त को उजागर करने की कुंजी होगी।
हॉकिंग की खोज ने शायद एंट्रॉपी की समस्या को तो सुलझा दिया था, किन्तु अपने पीछे यह कहीं ज़्यादा कठिन सवाल छोड़ गई है। यदि ब्लैक होल विकिरण उत्सर्जित कर सकते हैं, तो अन्तत: वे वाष्पित होकर गायब हो जाएँगे। तो उस सारी सूचना का क्या होगा, जो उनके अन्दर गिरी थी? क्या वह सूचना भी गायब हो जाएगी? यदि ऐसा है, तो यह क्वांटम यांत्रिकी के केन्द्रीय तत्व का उल्लंघन होगा। दूसरी ओर, यदि यह सूचना ब्लैक होल से पलायन कर जाती है, तो यह आइंस्टाइन के सापेक्षता सिद्धान्त का उल्लंघन होगा। ब्लैक होल विकिरण की खोज के साथ हॉकिंग ने भौतिक शास्त्र के दो परम सिद्धान्तों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया था। ब्लैक सूचना की क्षति के विरोधाभास का जन्म हो चुका था।
हॉकिंग ने अपना रुख एक और नई ज़मीन तोड़ने वाले तथा और भी अधिक विवादास्पद पर्चे में ज़ाहिर किया था। इस पर्चे का शीर्षक था ब्रेकडाउन ऑफ प्रेडिक्टेबिलिटी इन ग्रेविटेशनल कोलेप्स (यानी गुरुत्वीय ध्वंस में अनुमेयता का ध्वस्त होना)। यह पर्चा 1976 में फिज़िकल रिव्यू डी में प्रकाशित हुआ था। उनका तर्क था कि जब ब्लैक होल अपने द्रव्य को विकिरित करता है, तो वह (द्रव्य) अपने साथ सारी सूचना भी लेकर जाता है - यह इस तथ्य के बावजूद है कि क्वांट्म यांत्रिकी स्पष्ट रूप से सूचना के ह्रास की मुमानियत करती है। जल्दी ही अन्य भौतिक शास्त्रियों ने अलग-अलग पक्ष लिए, और एक ऐसी बहस शु डिग्री हुई जो आज भी जारी है। दरअसल, कुछ लोगों का मत है कि सूचना का ह्रास क्वांटम गुरुत्व को समझने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के राफेल बूसो कहते हैं, “हॉकिंग का 1976 का यह तर्क कि ब्लैक होल सूचना गँवाते हैं, एक उच्च उपलब्धि है जो शायद इस विषय के आविष्कार के बाद सैद्धान्तिक भौतिकी की सबसे दूरगामी परिणामों वाली खोज है।”
रियायत
1990 के दशक के उत्तरार्ध तक स्ट्रिंग सिद्धान्त से उभरने वाले परिणामों ने अधिकांश भौतिक शास्त्रियों को आश्वस्त कर दिया था कि सूचना के ह्रास के बारे में हॉकिंग गलत थे। मगर हॉकिंग अपने ज़िद्दी स्वभाव के चलते अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने अपना मन 2004 में जाकर बदला। और जब उन्होंने मन बदला तो काफी ढोल-ढमाके के साथ बदला। वे नाटकीय ढंग से डबलिन में एक सम्मेलन में प्रकट हुए और अपने संशोधित अधुनातन (अप्डेट्ड) मत की घोषणा की: ब्लैक होल सूचना नहीं गँवा सकते।
अलबत्ता, आजकल एक नया विरोधाभास उभरा है जिसने हर चीज़ को सन्देह में डाल दिया है। इसे फायरवॉल विरोधाभास कहते हैं (आगे देखें डॉकिंग का विरोधाभास)। ज़ाहिर है, हॉकिंग द्वारा उठाया गया सवाल क्वांटम गुरुत्व की तलाश के मूल में है। कैरोल कहते हैं, “ब्लैक होल विकिरण ऐसी मुश्किल पहेलियाँ पैदा करता है, जिन्हें समझने की हम जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं।” यह कहना उचित ही होगा कि ‘हॉकिंग विकिरण हमारे पास क्वांटम यांत्रिकी और गुरुत्वाकर्षण के समन्वय के लिए अकेला सबसे बड़ा सुराग है, कह सकते हैं कि यह आज सैद्धान्तिक भौतिक शास्त्र के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती है।’ बूसो कहते हैं कि हॉकिंग की विरासत यह है कि उन्होंने ‘थियरी ऑफ एवरीथिंग की तलाश में मुख्य कठिनाई पर उंगली रख दी।’
अपने शेष जीवन में हॉकिंग ने लगभग असम्भव-सी दिखने वाली रफ्तार से सैद्धान्तिक भौतिक शास्त्र की सरहदों को लगातार आगे बढ़ाना जारी रखा। उन्होंने यह समझने में महत्वपूर्ण कदम उठाए कि क्वांटम यांत्रिकी पूरे ब्रह्माण्ड पर कैसे लागू हो सकती है। इस प्रयास में उन्होंने क्वांटम कॉस्मोलॉजी (क्वांटम ब्रह्माण्ड विज्ञान) के क्षेत्र में पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाई।
उनकी बढ़ती बीमारी ने उन्हें सवालों से जूझने के नए-नए ढंग निकालने को मजबूर किया। परिणाम यह हुआ कि अपने विषय को लेकर उनमें ज़बरदस्त अन्तर्बोध पैदा हुआ। जब धीरे-धीरे लम्बी-लम्बी, पेचीदा समीकरणें लिखने की उनकी क्षमता घटती गई, तो हॉकिंग ने अपने दिमाग में सवाल हल करने के नए व नवाचारी तरीके खोजे, जो अक्सर सवाल की कल्पना ज्यामितीय स्वरूप में करने पर आधारित होते थे। लेकिन आइंस्टाइन के समान ही, हॉकिंग भी वैसी क्रान्तिकारी खोजें नहीं कर पाए जैसी उन्होंने शुरुआत में की थीं। कैरोल कहते हैं, “हॉकिंग ने सबसे प्रभावशाली काम 1970 के दशक में किया था, जब वे युवा थे। किन्तु यह तो उन सामान्य भौतिक शास्त्रियों के लिए भी आम बात है जो किसी तंत्रिका विकार से पीड़ित नहीं हैं।”
सुपरस्टार हॉकिंग
इसी दौरान ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम के प्रकाशन ने हॉकिंग को उछालकर एक सांस्कृतिक स्टार बना दिया और सैद्धान्तिक भौतिकी को एक नया चेहरा प्रदान किया। उन्हें इससे कोई ऐतराज़ न था। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले की एक मानव वैज्ञानिक हेलेन मिएलेट कहती हैं, “कैमरे के सामने हॉकिंग अपने सांस्कृतिक रुतबे का लुत्फ उठाते थे।” मिएलेट 2012 में अपनी पुस्तक हॉकिंग इनकॉर्पोरेटेड के प्रकाशन के साथ विवादों से घिर गई थीं। इस पुस्तक में उन्होंने यह तहकीकात की थी कि हॉकिंग के आसपास के लोग कैसे एक सार्वजनिक छवि बनाने और बनाए रखने में उनकी मदद करते हैं।
इसमें कोई सन्देह नहीं कि इस सार्वजनिक छवि ने उनका जीवन आसान बना दिया था। इसके बगैर उनका जीवन इतना आसान न होता। जैसे-जैसे हॉकिंग की बीमारी बढ़ी, टेक्नोलॉजीविदों ने खुशी-खुशी उन्हें संप्रेषण हेतु नई-नई मशीनें उपलब्ध कराईं। इसने उन्हें वह काम जारी रखने का मौका दिया जिसके लिए उन्हें याद किया जाएगा: उनका विज्ञान।
कैरोल कहते हैं, “आइंस्टाइन के बाद यदि किसी ने गुरुत्वाकर्षण की हमारी समझ को बढ़ाने में सबसे ज़्यादा योगदान दिया है, तो वे स्टीफन हॉकिंग हैं। वे दुनिया के अग्रणि सैद्धान्तिक भौतिक शास्त्री थे, कम-से-कम गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम यांत्रिकी के मिलन बिन्दु पर उनके ज़माने में काम करने वाले वैज्ञानिकों में तो वे सर्वश्रेष्ठ थे। और उन्होंने यह सब एक भयानक बीमारी का सामना करते हुए किया। वे निस्सन्देह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं और इतिहास उन्हें इसी रूप में याद रखेगा।”
हॉकिंग विरोधाभास
2012 में कैलिफोर्निया विश्व-विद्यालय, सांटा बारबरा के चार भौतिक शास्त्री - अहमद अलमेहीरी, डोनाल्ड मैरॉफ, जोसेफ पोलचिंस्की और जेम्स सली (जिन्हें सामूहिक रूप से एएमपीएस के नाम से जाना जाता था) - ने भौतिकी समुदाय को एक ख्याली प्रयोग के परिणामों से चौंका दिया था। जब पार्टिकल और एंटी-पार्टिकल की जोड़ियाँ किसी ब्लैक होल के इवेंट होराइज़न के पास मिलती हैं, तो प्रत्येक जोड़ी के बीच एक जुड़ाव होता है, जिसे एंटेगलमेंट कहते हैं। किन्तु जब इस जोड़ी में से एक ब्लैक होल के अन्दर गिर जाए, और दूसरा हॉकिंग विकिरण के रूप में बाहर छूट जाए, तो क्या होगा?
एक वैचारिक समूह का मत था कि जब ब्लैक होल वाष्पित होता है तो सूचना का संरक्षण होता है, और यह सूचना हॉकिंग विकिरण के उन पार्टिकल्स के बीच सूक्ष्म अन्तरसम्बन्धों में बनी रहती है। किन्तु एएमपीएस का सवाल था, ब्लैक होल के अन्दर और बाहर झाँकने पर क्या दिखेगा? यहाँ एलिस और बॉब का पदार्पण होता है।
बॉब (जो ब्लैक होल के बाहर रह जाता है) के मुताबिक वह पार्टिकल होराइज़न की वजह से अपने एंटी-पार्टिकल जोड़ीदार से बिछड़ गया है। सूचना को संरक्षित करने के लिए ज़रूरी है कि वह हॉकिंग विकिरण के किसी अन्य कण से जोड़ी बनाए यानी उसके साथ एंटेंगल हो जाए। किन्तु एलिस (जो ब्लैक होल के अन्दर जा गिरा है) के नज़रिए से क्या होगा? सामान्य सापेक्षता का कहना है कि किसी मुक्त गिरते प्रेक्षक के लिए गुरुत्वाकर्षण नदारद हो जाता है, तो वह इवेंट होराइज़न को महसूस नहीं करती। एलिस के मुताबिक, सम्बन्धित पार्टिकल अपने एंटी-पार्टिकल जोड़ीदार से एंटेंगल्ड रहता है क्योंकि उन्हें अलग-अलग करने वाला कोई होराइज़न है ही नहीं। तो विरोधाभास का जन्म हो गया।
सवाल है कि सही कौन है? बॉब या एलिस? यदि बॉब सही है, तो होराइज़न पर एलिस का सामना खाली स्थान से नहीं होगा, जैसा कि सामान्य सापेक्षता का दावा है। इसकी बजाय एलिस हॉकिंग विकिरण की एक दीवार - फायरवॉल - में जलकर खाक हो जाएगी। दूसरी ओर, यदि एलिस सही है, तो सूचना गुम हो जाएगी जो क्वांटम यांत्रिकी के बुनियादी उसूल का उल्लंघन होगा।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के राफेल बूसो कहते हैं, “हॉकिंग विरोधाभास के इर्द-गिर्द यह उग्र विवाद दर्शाता है कि उनके काम ने दाँव को कितना ऊँचा कर दिया है: गुरुत्वाकर्षण के क्वांटमीकरण में कौन देगा, और कितना?” इसका जवाब थियरी ऑफ एवरीथिंग में हमारी प्रतीक्षा कर रहा है।
स्टुअर्ट क्लार्क: न्यू साइंटिस्ट पत्रिका के सलाहकार। दि डे विदआउट येस्टर्डे किताब के लेखक हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद: सुशील जोशी: एकलव्य द्वारा संचालित स्रोत फीचर सेवा से जुड़े हैं। विज्ञान शिक्षण व लेखन में गहरी रुचि।