डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन


आप शायद सोचते होंगे कि जब आपका फोन टैप किया जाता है तब आपकी बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है। मगर सेंट डिएगो स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों के समूह ने एक अलग ही मकसद से फोन टैप किया - फोन पर हुई बातचीत को सुना नहीं बल्कि फोन के अगले और पिछले हिस्से पर से पोंछन एकत्रित की। फोन की सतह पर अत्यल्प मात्रा में चिपके रसायन एकत्रित किए गए। इनका विश्लेषण करने पर आपके द्वारा इस्तेमाल किए गए लोशन, त्वचा क्रीम और अन्य व्यक्तिगत जीवनशैली रसायनों का पता चला। फोन से प्राप्त नमूनों में काफी रासायनिक विविधता दिखाई दी। फोन के पिछले हिस्से से लिए गए नमूने बताते हैं कि आपके हाथ में क्या था और अगला हिस्सा बताता है कि आपके चेहरे पर क्या था।

आप कहेंगे कि जो मात्रा उन्होंने इकट्ठा की है वह माइक्रोग्राम या उससे भी कम होगी और बहुत ही जटिल मिश्रण रहा होगा। कैसे उन्होंने इसमें से प्रत्येक का विश्लेषण कर पहचाना होगा? उन्होंने बताया है कि तीन तरीकों का इस्तेमाल करके यह अब संभव है। सबसे पहली प्रक्रिया थी तरल क्रोमेटोग्राफी। इसमें यौगिकों के विलयन को ठोस कणों से भरे एक कॉलम में से बहने दिया जाता है और वह धीरे-धीरे बाहर निकलता है। अलग-अलग यौगिक अपनी संरचना और आकार तथा कॉलम में भरे पदार्थ के साथ अपने आकर्षण के आधार पर अलग-अलग समय पर बाहर निकलते हैं।
यह प्रक्रिया अब इतनी उन्नत हो चुकी है कि नमूने में उपस्थित पदार्थों की सूक्ष्म मात्राओं को भी अलग-अलग घटकों में विभाजित किया जा सकता है। (डॉ. मार्टिन और डॉ. सिंज को क्रोमेटोग्राफी की प्रक्रिया विकसित करने के लिए 1952 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।) कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय समूह के प्रोफेसर पीटर डोरेस्टियन ने इस तरह की अति-कार्यक्षम तरल क्रोमेटोग्राफी के इस्तेमाल से इस फोन से प्राप्त नमूने से दर्जनों घटकों को अलग-अलग किया।

अगला कदम अणुओं को पहचानना है। इसके लिए वे मॉस स्पेक्ट्रोमेट्री की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इससे यौगिकों के अणु भार पता चलते हैं। सिद्धांत है कि पहले अणु को आयनीकृत किया जाए और फिर ज्ञात शक्ति वाले विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र में इन्हें त्वरण दिया जाए। जिस वेग से कोई अणु डिटेक्टर तक पहुंचता है वह उसके अणु भार पर निर्भर करता है। (डॉ. एस्टन को 1912 में मॉस स्पेक्ट्रोमेट्री की विधि इजाद करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था, और फैन एवं तानाका को सन 2002 में इसी विधि को आगे ले जाने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।) इस प्रक्रिया में अणु छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। पहले से इस तरह के छोटे-छोटे हज़ारों अणुओं की सूचना लाइब्रेरी के रूप में इकट्ठा करके संग्रहित रखी जाती है। इस सूचना का उपयोग करके तुलना के आधार पर प्रत्येक अणु की संरचना, आकार और आकृति का अनुमान लगाया जाता है। इस प्रकार इन दो विधियों के संयोजन से आणविक संरचना विवरण तैयार किया जाता है और इस प्रकार मिश्रण में से प्रत्येक यौगिक को पहचाना जाता है।

फोन से नमूनों को इकट्ठा करने के बाद उसमें से आणविक सामाग्री को पहचान कर उनका विश्लेषण किया, इसके बाद यही प्रक्रिया फोन इस्तेमाल करने वाले प्रत्येक वालंटियर के साथ की और पाया कि दो परिणाम एक जैसे हैं। बात को पक्की करने के लिए उन्होंने यह प्रयोग 39 वालंटियरों के साथ किया और पाया कि परिणाम दोहराने योग्य हैं। एक दिलचस्प बात यह पता चली कि ये रसायन फोन की सतह पर महीनों तक चिपके रहते हैं।
तीसरी विधि थी बायोइंफार्मेटिक्स, जिसकी मदद से बड़ी संख्या में प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया गया ताकि यह पता चल सके की यौगिकों का नेटवर्किंग किस तरह का है। यह विधि भी पिछले पांच दशकों में काफी विकसित हुई है और यह हमें अणुओं के चयापचय की पहचान और विश्लेषण की अनुमति देती है।
कई रसायन तो फोन और हाथों की पोंछन में एक समान थे मगर कुछ रसायन सिर्फ हाथों (जैसे भोजन के रूप में प्रयुक्त काली मिर्च का पाइपरिन), या दवा अणु (हिस्टेमीन-रोधी, आइबुप्रोफेन वगैरह) पर मिले। अर्थात खोजकर्ता के लिए व्यक्ति का पूरा नक्शा जानना ज़रूरी होगा केवल उसके फोन पर क्या है यही काफी नहीं है।

इस तरह के रासायनिक चिंहों की व्याख्या करके खोजकर्ता फोन के उपयोगकर्ता की जीवन शैली या उसके भोजन या दवाइयों के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। इस जानकारी का इस्तेमाल स्वतंत्र रूप से भी किया जा सकता है या डीएनए प्रोफाइल का सहायक भी बन सकता है। शोधकर्ताओं का मत है कि इस तरह के डैटाबेस का उपयोग अपराध वैज्ञानिक जांच या आंतकवादियों का पता लगाने के लिए ही नहीं, विष वैज्ञानिक अध्ययनों (पर्यावरण प्रदूषक के जोखिम की निगरानी में) और चिकित्सा (रोगी के विशेष चयापचय, दवा के प्रति प्रतिक्रिया, यहां तक कि सुई के प्रति प्रतिक्रिया) में हो सकता है। तो सेल्फी सिर्फ आपके खूबसूरत चेहरे का नहीं बल्कि आपके चेहरे से भी ज़्यादा बातों का खुलासा कर सकती है। (स्रोत फीचर्स)