वृद्ध हो चुके खून का काफी नाटकीय प्रभाव होता है और यदि युवाओं को ऐसा खून दिया जाए तो उनमें बुढ़ाने के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। मगर इस समस्या से निपटने के तरीके भी खोजे गए हैं और इन तरीकों को खोजते-खोजते वैज्ञानिकों ने वृद्धावस्था की समस्याओं का संभावित समाधान भी पा लिया है।
सबसे पहले खून के ऐसे असर का पता चूहों पर किए गए कुछ प्रयोगों से चला था। उस प्रयोग में जवान चूहों और बूढ़े चूहों के रक्त प्रवाह को आपस में जोड़ दिया गया था। देखा गया था कि युवा चूहों में बुढ़ाने के लक्षण प्रकट होने लगते हैं जबकि बूढ़े चूहों की सेहत में सुधार होता है।
इसके बाद कुछ युवा मनुष्यों का खून बूढ़े चूहों को देने पर पता चला कि ऐसे चूहों में वृद्धावस्था के लक्षण कम हो जाते हैं। जैसे उनकी याददाश्त बेहतर हो जाती है और उनकी मांसपेशियां ज़्यादा काम कर पाती हैं। मगर यह भी पता चला था कि बूढ़ों का खून युवाओं को दिया जाए, तो उनमें अंगों की क्षति होने लगती है और मस्तिष्क में वृद्धावस्था के लक्षण दिखने लगते हैं।
इन प्रयोगों से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि युवा खून सेहतकारी होता है जबकि बूढ़े खून में ऐसा कुछ होता है जो क्षतिकारक है। अब स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय की हनादी युसूफ ने एक प्रोटीन की पहचान की है जो संभवत: बूढ़े खून में ज़्यादा मात्रा में पाया जाता है और क्षतिकारक है। युसूफ ने पाया कि खून में एक प्रोटीन ज्क्ॠग् की मात्रा उम्र के साथ बढ़ती है। 65 वर्ष से ऊपर के लोगों में इसकी मात्रा 25 वर्षीय लोगों के मुकाबले 30 प्रतिशत तक ज़्यादा होती है। अब वे इस प्रोटीन का असर परखना चाहती थी।
जब उन्होंने 60 से ऊपर के लोगों के खून का एक घटक (प्लाज़्मा) 3 माह उम्र के चूहों को दिया तो उनके मस्तिष्क में वृद्धावस्था के लक्षण दिखने लगे। 3 माह उम्र के चूहे मनुष्य की उम्र के हिसाब से 20 वर्ष के होते हैं। मगर जब प्लाज़्मा के साथ एक ऐसा पदार्थ भी दिया गया जो ज्क्ॠग् के असर को बाधित करता है तो युवा चूहों में हानिकारक असर नज़र नहीं आए।
युसूफ ने सोसायटी फॉर न्यूरोसाइन्स की वार्षिक बैठक में बताया कि जब उम्र बढ़ती है तो तंत्रिकाओं की क्षति होती है और मस्तिष्क में सूजन भी ज़्यादा होने लगती है। यदि हम इसकी क्रियाविधि को समझ लें तो शायद हम इस असर को रोक सकेंगे और पलट सकेंगे।
इस अनुसंधान के आधार पर कुछ टीमों ने युवा लोगों के खून का प्लाज़्मा बुज़ुर्ग लोगों को देना शु डिग्री भी कर दिया है ताकि यह देख सकें कि क्या यह उनकी सेहत में सुधार लेता है। मगर युसूफ का मत है कि प्लाज़्मा की बजाय यदि उनके द्वारा तैयार किया गया पदार्थ उम्रदराज़ खून के असर को रोकने में कारगर है तो बेहतर होगा। वे उपरोक्त पदार्थ को पेटेंट कराने का इरादा रखती हैं। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - March 2017
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