ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े बनाना तो आसान है लेकिन झुलसाती गर्मी में शरीर को ठंडा रखने वाले कपड़े बनाना मुश्किल है। और अब, वैज्ञानिकों ने ऐसा कपड़ा तैयार किया है जो दिखने में साधारण कपड़े जैसा लगता है लेकिन यह शरीर का तापमान लगभग पांच डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकता है।
वैसे तो हम गर्मी से राहत पाने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनते हैं ताकि ऊष्मा कम अवशोषित हो। इसके अलावा ऐसा कपड़ा भी तैयार किया जा चुका है जो पराबैंगनी विकिरण और निकट-अवरक्त विकिरण को भी परावर्तित कर देता है। निकट-अवरक्त विकिरण का अवशोषण किसी वस्तु को गर्म कर देता है और उसका उत्सर्जन होने पर धीरे-धीरे वस्तु ठंडी हो जाती है। लेकिन शीतलन की इस प्रक्रिया में वातावरण बाधक बन जाता है: उत्सर्जित होने के बाद निकट-अवरक्त विकिरण को अक्सर आसपास मौजूद पानी के अणु सोख लेते हैं और नतीजतन वातावरण को गर्म कर देते हैं।
शीतलन को तेज़ करने के लिए शोधकर्ताओं ने निकट-अवरक्त विकिरण की जगह मध्यम-अवरक्त विकिरण का रुख किया। मध्यम-अवरक्त विकिरण की तरंग लंबाई अधिक होती है, और मध्यम-अवरक्त विकिरण आसपास की हवा में अवशोषित होने की बजाय सीधे अंतरिक्ष में बिखर जाता है। लिहाज़ा, वस्तु व उसका परिवेश दोनों ठंडे रहते हैं। पिछले एक दशक से इस तकनीक की मदद से छतें, प्लास्टिक फिल्म, लकड़ी और अति-सफेद पेंट्स बनाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि मानव शरीर प्राकृतिक तौर पर मध्यम-अवरक्त विकिरण का उत्सर्जन करता है। 2017 में, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ऐसा कपड़ा तैयार किया था जो मानव शरीर से उत्सर्जित इस मध्यम-अवरक्त विकिरण को अवशोषित करने की बजाय उसे अपने में से गुज़रने देता है, जिससे इस कपड़े को पहनने वाले के शरीर का तापमान लगभग तीन डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। लेकिन यह कपड़ा बहुत पतला - लगभग 45 माइक्रोमीटर या हल्के लिनेन के कपड़े की एक-तिहाई मोटाई का - होने पर ही काम कर सकता था। और इतना पतला होने पर संभवत: यह टिकाऊ न रहता।
टिकाऊ कपड़ा बनाने के लिए झेजियांग विश्वविद्यालय और हुआज़ोंग विज्ञान एवं टेक्नॉलॉजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मध्यम-अवरक्त विकिरण वाला ऐसा कपड़ा बनाया जो मानव शरीर से उत्सर्जित ऊष्मा को अपने में से गुज़रने देने की बजाय पहले रासायनिक बंधनों की मदद से उसे अवशोषित करे और फिर मध्यम-अवरक्त विकिरण के रूप में उत्सर्जित कर दे। 550 माइक्रोमीटर मोटाई का यह कपड़ा पॉलीलैक्टिक एसिड और सिंथेटिक फाइबर से बना है जिसमें टाइटेनियम डाईऑक्साइड के नैनोपार्टिकल्स छितरे हुए हैं। यह कपड़ा पराबैंगनी, दृश्य प्रकाश और अवरक्त प्रकाश को परावर्तित भी करता है जो पहनने वाले को और भी ठंडा रखता है। यह कपड़ा दिखने में तो आम शर्ट जैसा है लेकिन वास्तव में यह एक दर्पण है।
इस कपड़े की कारगरता जानने के लिए शोधकर्ताओं ने एक चुस्त फिटिंग वाली बनियान बनाई जिसके आधे हिस्से को दर्पण वाले कपड़े से और बाकी आधे हिस्से को उतनी ही मोटाई के सामान्य सूती कपड़े से बनाया गया था। इस तरह तैयार बनियान को एक व्यक्ति को पहनाकर एक घंटे के लिए धूप में बैठाया गया। साइंस पत्रिका में प्रकाशित नतीजों के अनुसार सामान्य सूती कपड़े की तुलना में दर्पण वाले कपड़े के नीचे की त्वचा का तापमान लगभग पांच डिग्री सेल्सियस कम था। अवरक्त कैमरे से देखने पर यह अंतर एकदम स्पष्ट था, और वह व्यक्ति भी तापमान का यह अंतर महसूस कर पा रहा था।
वैसे, मध्यम-अवरक्त उत्सर्जन तकनीक अब तक धूप में रखी स्थिर सतहों पर ही उपयोग की गई है। इसलिए यह देखना होगा कि खड़े या चलते-फिरते व्यक्ति के मामले में यह कपड़ा शरीर को कितना ठंडा रख पाता है। ढीले-ढाले साधारण फिटिंग वाले वस्त्रों पर भी जांच करनी होगी क्योंकि ठंडक पैदा करने वाले तत्वों की क्रिया तो इस बात पर निर्भर है कि वे त्वचा से कितने सटे हुए हैं।
बहरहाल यह काम विकिरण शीतलन के क्षेत्र में तेज़ी से हो रही प्रगति दर्शाता है। इस तरह के कपड़े सूती कपड़ों जैसे ही महसूस होंगे, जो उपयोगकर्ता के लिए महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के कपड़े निर्माण लागत में केवल 10 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी करेंगे, इसलिए इन तक सबकी पहुंच संभव है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - September 2021
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