सेल पत्रिका में प्रकाशित एक शोध पत्र में एक पौधे और कीट के बीच जीन हस्तांतरण का मामला रिपोर्ट हुआ है। मामला यह है कि एक सफेद मक्खी (व्हाइटफ्लाई, बेमिसिया टेबेकी) जिन पौधों से पोषण लेती है, उनमें से एक पौधे से एक जीन सफेद मक्खी में स्थानांतरित हुआ है। यह जीन (BtPMa1) कीट को फिनॉलिक ग्लायकोसाइड समूह के रसायनों से सुरक्षा प्रदान करता है। कई पौधे कीटों के हमले से स्वयं की रक्षा के लिए ये रसायन बनाते हैं। यह जीन मिल जाने के बाद यह मक्खी इस पौधे को बगैर किसी नुकसान के खा सकती है।
अलग-अलग प्रजातियों के बीच आपस में लैंगिक प्रजनन के बिना जीन्स का लेन-देन क्षैतिज जीन स्थानांतरण कहलाता है। क्षैतिज जीन स्थानांतरण पूर्व में एक-कोशिकीय जीवों, तथा कवक व गुबरैलों जैसे कुछ बहुकोशिकीय जीवों में भी देखा गया था। यह कई तरीकों से हो सकता है। एक तो आनुवंशिक सामग्री किसी वायरस के माध्यम से एक से दूसरे जीव में स्थानांतरित हो सकती है, वहीं कुछ जीव पर्यावरण में मुक्त पड़े डीएनए भी ग्रहण कर सकते हैं।
सफेद मक्खियां पौधों में बीमारियां फैलाती हैं और फसलों को तबाह भी कर डालती हैं। इसलिए चाइनीज़ एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज़ के यूजुन झैंग और उनके साथी यह समझना चाह रहे थे कि पौधों द्वारा अपने बचाव में स्रावित रसायनों से सफेद मक्खियां कैसे बच निकलती हैं।
यह जानने के लिए शोधकर्ता सफेद मक्खी के जीनोम में उस जीन की तलाश कर रहे थे जो उसे पौधों द्वारा छोड़े गए कीटनाशक के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। सफेद मक्खियों के जीनोम की तुलना उन्होंने उन अन्य कीटों के जीनोम से की जो इन पौधों के विषाक्त रसायनों को झेल नहीं पाते थे और मर जाते थे। उन्हें BtPMa1 नामक जीन मिला जो इसी कीट में है और एक ऐसा प्रोटीन बनाता है जो फिनॉलिक ग्लायकोसाइड को बेअसर कर देता है।
इसके बाद, शोधकर्ताओं ने नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलॉजी इंफॉर्मेशन डैटाबेस का उपयोग कर इस जीन के विकास के बारे में पता किया। उन्हें किसी भी अन्य कीट में यह जीन या इसके समान कोई अन्य जीन नहीं मिला। इसका मतलब है कि सफेद मक्खी में यह जीन कहीं और से आया था।
आखिरकार, उन्हें एक ऐसा जीन मिल गया। लेकिन वह जीन किसी कीट में न होकर पौधे में था। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साढ़े तीन करोड़ वर्ष पहले किसी वायरस ने पौधे में उस जीन का भक्षण कर लिया होगा और किसी सफेद मक्खी ने उस वायरस-संक्रमित पौधे को खा लिया होगा। वायरस ने वह जीन सफेद मक्खी के जीनोम में स्थानांतरित कर दिया होगा, जहां से वह सफेद मक्खी की पूरी आबादी में आ गया होगा। यह दर्शाता है कि अन्य जीवों से स्थानांतरित हुए जीन किसी जीव को बेहतर तरीके से जीवित रहने में मदद कर सकते हैं।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने सफेद मक्खियों में BtPMa1 जीन को निष्क्रिय करने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने विषैले टमाटर के पौधों को जेनेटिक रूप से संशोधित कर ऐसी व्यवस्था की कि वे एक ऐसा आरएनए बनाने लगें जो BtPMa1 को निष्क्रिय कर देता है। जब सफेद मक्खियों ने टमाटर के इन पौधों को खाया तो जीन के काम न कर पाने के कारण वे मारी गर्इं। उक्त जीन से रहित एक अन्य कीट को जब ये पौधे खिलाए गए तो उनकी मृत्यु दर अपरिवर्तित रही। इससे लगता है कि ऐसे पौधे विकसित किए जा सकते हैं जो सफेद मक्खियों के लिए हानिकारक हों लेकिन अन्य प्रजातियों को नुकसान न पहुंचाएं। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - September 2021
- कोविड-19: विभिन्न देशों के स्कूल सम्बंधी अनुभव
- डेल्टा संस्करण और महामारी का नया दौर
- सुपर-एंटीबॉडी से भविष्य की महामारियों पर नियंत्रण
- जीवित मलेरिया परजीवी से निर्मित टीके की सफलता
- दिमाग को सतर्क और सक्रिय रखें
- शोथ आधारित आयु-घड़ी
- हबल दूरबीन लौट आई है!
- मुंह के कैंसर का बढ़ता संकट
- अमेरिका में चार बांधों को हटाने का अभियान
- अपने उपकरण की मरम्मत का अधिकार
- टेक्नॉलॉजी का सहस्राब्दी पुरस्कार
- कोयला बिजली संयंत्रों की समय-पूर्व सेवानिवृत्ति
- श्रवण यंत्रों की बैटरियां और अक्षय ऊर्जा का भविष्य
- शिपिंग नियम: हवा तो स्वच्छ लेकिन जल प्रदूषण
- चंद्रमा के डगमगाने से बाढ़ों की संभावना
- पौधे और कीट के बीच जीन का स्थानांतरण
- मादा नेवलों में विचित्र प्रसव-तालमेल
- फलियों को सख्त खोल कैसे मिला
- प्राचीन मानव और आधुनिक मानव साथ-साथ रहे थे
- मोटापे से बचाने वाला दुर्लभ उत्परिवर्तन
- मल जीवाश्म में गुबरैले की नई प्रजाति
- ठंडक देने वाले ‘दर्पण’ वस्त्र