लिजलिजा केंचुआ, हाथ लगाओ तो लगता है कि फिसल जाएगा। शायद ही कोई हो जो उसकी चाल पर फिदा न हुआ हो।पहले शरीर के एक हिस्से को सिकोड़ेगा फिर इसे खींचकर लंबा कर देगा और इसी के साथ बढ़ गया आगे वह कुछ सेंटीमीटर।
लेकिन क्या संभव है बिना किसी जगह पकड़ बनाए, यूं ही अपने आप को जब चाहे सिकोड़ लेना और जब चाहे फैला लेना?
अगले पृष्ठ पर फैले चित्रों को ज़रा गौर से देखिए। ऊपर वाले चित्र में केंचुए के शरीर में आंकड़े जैसी (हुकनुमा ) रचनाएं दिखाई दे रही हैं। जिन्हें ‘सीटी (Setae )' कहते हैं। इन्हें कड़े बाल की तरह मान सकते हैं। हां, इन्हें नंगी आंखों से केंचुए के शरीर पर देखना संभव नहीं है। इस चित्र को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से लिया गया है।
यह तो मालूम ही होगा कि केंचुए का शरीर कई हिस्सों में बंटा होता है। यह हुकनुमा रचनाएं हर हिस्से में होती हैं। साथ ही प्रत्येक हिस्से में लंबी और गोलाकार मांसपेशियां होती हैं। इस तरह केंचुए के लिए संभव है कि एक ही समय पर शरीर के एक हिस्से को सिकोड़ पाए और दूसरे को खींच पाए।
जिन हिस्सों को वह सिकोड़ता है उन हिस्सों पर मौजूद हुक सतह पर पकड़ बना लेते हैं। और जिन हिस्सों को वह खींचता है वहां के हुक ज़मीन से छूट जाते हैं। इस तरह एक जगह आधार बना कर आगे बढ़ता जाता है हमारा केंचुआ। और हां जनाब, यह दोनों तरह से चल सकता है - आगे से भी और पीछे से भी।