सवालीराम 

सवाल: माचिस की डिब्बियों से बने फोन में आवाज़ धागे के द्वारा कैसे एक डिब्बी से दूसरी डिब्बी तक पहुंचती है? 
जवाबः जरा गौर कीजिए कि स्कूल की घंटी की आवाज़ हम कैसे सुनते हैं? 
स्कूल के घंटे को बजाइए और हल्के हाथों से इसे छू कर देखिए? क्या महसूस हुआ - हल्की सी झन्नाहट या कहें कि कंपन, है न। तो घंटे द्वारा पैदा कंपन आसपास की हवा को भी कंपित कर देते हैं। यह कंपित हवा जब कानों में पहुंचती है तो उसके पर्दे को कंपित कर देती है। तब कहीं हमें घंटे की ध्वनि सुनाई देती है। यहां हवा ने ध्वनि के कंपन हमारे कानों तक पहुंचने में माध्यम का काम किया।

जब माचिस की डिबिया का टेलिफोन बनाते हैं तब हमारी आवाज़ के कारण पैदा हुए कंपन (हवा के माध्यम से) डिबिया के तल को कंपित कर देते हैं। इससे साथ जुड़े धागे में भी यह कंपन पैदा हो जाते हैं; जो दूसरे सिरे पर पहुंचकर दूसरी डिबिया के तल को कंपित कर देते हैं। इससे हवा कंपित होती है और वो हवा हमारे के पर्दे को कंपित करती हैं जिससे  हमें आवाज़ सुनाई पड़ती है। 

इस तरह यहां ध्वनि के कंपन एक माचिस की डिबिया से दूसरी माचिस की डिबिया तक धागे के माध्यम से पहुंचते हैं।

अब यदि धागे को बीच से पकड़ लिया तो हमने कंपनों को आगे बढ़ने से रोक दिया। इसलिए ऐसी स्थिति में हमें आवाज़ सुनाई नहीं देती। बिल्कुल उसी तरह कि अगर हम बजते हुए घंटे को पकड़ लें तो उसकी आवाज बंद हो जाती है, क्योंकि यहां भी आपने कंपन को रोक दिया। 

उमेश चौहान, विज्ञान शिक्षक 
टिमरनी, जिला होशंगाबाद, म. प्र. 

तरंग दो प्रकार की होती हैं - एक जो रस्सी में पैदा होती हैं, जिसे अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं। और दूसरी जो स्प्रिंग में पैदा होती हैं - जिन्हें हम अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं। ध्वनि तरंग दूसरी प्रकार की तरंग है।

स्प्रिंग के एक सिरे को दीवार से बांधकर तथा दूसरे सिरे को हाथ से पकड़कर आगे पीछे करने पर स्प्रिंग में लंबाई के अनुदिश कंपन होने लगते हैं और उसमें अनुदैर्ध्य कंपन संचरित होने लगते हैं।

अगर हम गौर से देखें तो स्प्रिंग के चक्कर कंपन के समय कुछ स्थानों पर पास-पास और कुछ स्थानों पर दूर दूर होंगे। जिन स्थानों पर चक्कर पास पास हैं इन्हें ‘संपीडन' और दूर-दूर वाले स्थानों को ‘विरलन' की दशा में कहा जाता है। 

अभय कृष्ण गुप्ता, शिक्षक
नोहार, राजस्थान 

गोल चुंबक में ध्रुव हैं या नहीं 

मुझसे एक बार मेरे एक बड़े भैया ने पूछा, "गोल चुंबक में कितने ध्रुव होते हैं?'' मैंने कहा, "दो'' उन्होंने कहा कि गलत, गोल चुंबक में ध्रुव होते ही नहीं हैं। मैंने कहा, "हर चुंबक में दो ही ध्रुव होते हैं, तो भला रिंग मैग्नेट शून्य ध्रुव वाला कहां से हो गया?'' तो उन्होंने मुझे इस प्रकार समझायाः

“एक छड़ चुंबक को बीच से मोड़कर घोड़े की नाल का रूप दे दो। अभी उसके दो ही ध्रुव हैं। जब तुम उन दोनों ध्रुवों को जोड़ दोगे तब एक गोल चुंबक बन जाएगा और दोनों ध्रुव गायब हो जाएंगे।''

मैं उनकी बात से सहमत नहीं हूं। कई शिक्षकों से पूछने पर, कई किताबें टटोलने पर भी मुझे स्पष्ट उत्तर नहीं मिला। मैंने सोचा कि क्यों न यह सवाल सवालीराम जी को भेजें। उम्मीद है आप मेरे प्रश्न का उत्तर ढूंढने में जरूर सहायक होंगे। 

मनप्रीत सिंह
ललितपुर। 

है न समस्या दिलचस्प। शायद आपने भी कभी सोचा हो इस मसले के बारे में या फिर कुछ प्रयोग करके देखे हों। अगर आपके पास इस सवाल के किसी भी पहलू से जुड़ी कोई जानकारी हो, कोई विचार हों तो हमें लिख भेजिए इस पते पर - संदर्भ, द्वारा एकलव्य कोठी बाज़ार, होशंगाबाद - 461 001.