विजय शंकर वर्मा
आइए अपनी बात सबसे सरल परिकल्पना से शुरू करते हैं जिसमें पृथ्वी का भूमध्यरेखीय तल (Equatorial Plane), पृथ्वी की कक्षा (जिसमें पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है) तथा चंद्रमा का पृथ्वी के गिर्द कक्षीय तल तीनों एक ही तल में हैं।
ऐसी स्थिति में सूर्य पूरे साल भर भूमध्य रेखा पर बिल्कुल सीधा ऊपर होगा और मौसम की जिस विविधता से हम परिचित हैं वो बिलकुल भी नहीं रहेगी। ऐसे में भूमध्य रेखा के किसी भी बिन्दु से चांद और सूर्य एक सीधी कक्षा में पूरब से पश्चिम की ओर जाते दिखेंगे। और चांद की कोर (Crescent) के दोनों किनारे के बिन्दुओं (नोक) को मिलाने पर जो सीधी रेखा मिलेगी - यानी चंद्रमा का अक्ष - वो हमेशा पृथ्वी के घूर्णन अक्ष (Axis of rotation) के समानान्तर रहेगी। इसीलिए चंद्रोदय और चंद्रास्त के समय अगर हम भूमध्य रेखा के किसी बिन्दु से देखें तो यह अक्ष बिल्कुल सीधा दिखेगा यानी कि क्षितिज के समानांतर चांद नाव की तरह लेटा हुआ दिखेगा। (चित्र-1a)
और अगर हम उत्तरी ध्रुव से देखें तो चंद्रमा और सूर्य क्षितिज रेखा के साथ चलते दिखेंगे और वहां से हर समय हमें केवल उनका ऊपरी आधा हिस्सा ही दिखेगा। साथ ही चंद्रमा का अक्ष हमेशा खड़ी स्थिति में रहेगा। (चित्र-1b) इसी तरह पृथ्वी के किसी अन्य हिस्से से देखें जहां का अक्षांश θ है तो यहां चंद्रोदय और चंद्रास्त के समय चंद्रमा का अक्ष क्षितिज से थीटा θ कोण बनाएगा (चित्र-1c)।
लेकिन हकीकत में हमारी स्थिति इस कल्पना से भिन्न है। हमारी पृथ्वी का भूमध्यरेखीय तल अपनी घूर्णन कक्षा के सापेक्ष 23.5° झुका हुआ है; इतना ही नहीं बल्कि चंद्रमा की कक्षा भी 5o झुकी हुई है। इस पूरी स्थिति का कुल परिणाम यह होता है कि साल भर में सिर्फ दो बार ही ऐसी स्थितियां बनती हैं जबकि सूर्य और चांद भूमध्य रेखा के बिलकुल ऊपर होते हैं। और भूमध्यरेखा से देखने पर सूर्य और चंद्रमा के कक्ष भी एक लंबवत तल में नहीं होते। इसलिए चंद्रोदय और चंद्रास्त के समय भूमध्य रेखा के किसी बिन्दु से देखें तो चंद्रमा का अक्ष सदैव क्षितिज के समानांतर नहीं होता, परन्तु 28.5° तक झुका हो सकता है (चित्र-2a)। इसी तरह उत्तरी ध्रुव से चंद्रमा का अक्ष एकदम खड़ा या लंबवत न दिखकर इतना ही यानी 28.5o तक झुका दिख सकता है (चित्र-2b)। और अगर θ अक्षांश से देखा जाए, तो चंद्रोदय अथवा चंद्रास्त के वक्त चांद का अक्ष ( θ+ 28.5o) या ( θ- 28.5°) के कोण तक झुका हो सकता है (चित्र-2c)।