संदर्भ के पिछले अंक में अरविंद गुप्ते के इसी लेख के जरिए चन्द्रमा से संबंधित कुछ सवाल पूछे गए थे। हमारा आकलन था कि चूंकि चांद आकाश में एक प्रभावशाली पिंड है और लोगों की जिंदगी से इतना जुड़ा हुआ है, इन प्रश्नों के बारे में काफी लोग लिखेंगे। परन्तु ऐसा नहीं हुआ। इसलिए एक और प्रयास कर रहे हैं, फिर से वही प्रश्न दोहरा कर -- यह मानते हुए कि अंत की तरफ होने की वजह से शायद पिछली बार इस लेख पर आपकी नज़र ही न पड़ी हो।
सही जवाब देने वालों को टेलिस्कोप निर्माण कार्यशाला में भाग लेने का निमंत्रण होगा - उनकी समस्त व्यवस्था ‘संदर्भ' द्वारा की जाएगी। अन्य रुचिकर वे तकरीबन सही जवाबों के लिए आकाश दर्शन से संबधित पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाएंगी। आपके सही जवाब हमें 1 जनवरी तक मिल जाने चाहिए।
सवालः
1. अमावस्या के दिन चंद्रमा बिलकुल दिखाई नहीं देता है। वह कहां चला जाता है?
2. चित्र-1 में एक गलती है। बताइए चित्रकार ने क्या गलती की है। |
चित्र-2 में क्या गलती है? |
4. चित्र-3 एक पाठ्यपुस्तक से लिया गया है। इसमें कई त्रुटियां हैं। इन त्रुटियों को पहचानिए।
5. भू-मध्य रेखा पर कभी-कभी चंद्रमा की कला ऐसी दिखाई पड़ती है जैसी चित्र- 4 में दिखाई गई है।
-- यह भारत में कैसी दिखाई देती है? क्यों?
-- ध्रुवों पर यह कैसी दिखाई देगी? क्यों?
अरविंद गुप्ते: एकलव्य के होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम से संबद्ध; इंदौर में रहते हैं। पूर्व में वे प्राणीशास्त्र के प्राध्यापक रह चुके हैं।