संदर्भ का 33 वां अंक मिला। अब संदर्भ वक्त पर मिल जाती है। पत्रिका में 'बंगाल में इस्लाम' लेख पढ़ा। संदर्भ पत्रिका एक शैक्षिक विज्ञान पत्रिका है, न कि समाज विज्ञान या राजनीति या अर्थशास्त्र की पत्रिका। इसमें आप विज्ञान के ही लेख छापा करें। बंगाल में इस्लाम नामक लेख इस पत्रिका के विषय से हटकर है।
‘पानी की कठोरता' लेख ऐसा था जैसे रसायन शास्त्र का कोई अध्याय। जबकि संदर्भ पत्रिका में ऐसे लेख आते हैं जिससे हमारी विषय की समझ बनती है, जानकारी प्राप्त होती है।
‘तोबा ये मतवाली चाल' पढ़कर हमें सांपों के बारे में काफी जानकारी मिली।

मोईउद्दीन बुरहानी
शुजालपुर, म. प्र.

संदर्भ का 33वां अंक पढ़ा। हमेशा की तरह जानकारी का खज़ाना। सांपों की चाल के बारे में पहली बार जान पाया। इस्लाम के प्रसार के कारणों की तथ्य परक जानकारी मिली, हालांकि सामान्य धारणा यही है कि इस्लाम का प्रसार ताकत/आतंक के कारण ही हुआ।
‘शुल्व सूत्र' से संबंधित जानकारी रोचक थी। प्राचीन मापों जैसे बित्ता, अंगुल, पुरुस आदि का गांवों में आज भी यदा-कदा प्रयोग होता है - अक्सर कहा जाता है - कुएं में दो पुल्स पानी है।
पृथ्वीराज चौहान के संबंध में तो दो पंक्तियां काफी मशहूर हैं:
चार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चुकौ चौहान॥
गुब्बारे के आगे या पीछे जाने का प्रमाण काफी जटिल तरीके से दिया गया है। मैं समझता हूं भार की तुलना अंतरिक्ष यान से की जा सकती है। अंतरिक्ष यान बहुत तेज़ गति से चलते हैं परंतु इसके अंदर भी वस्तुएं अपने स्थान पर बनी रहती हैं, या यान के अंदर के किसी कारण/बल से प्रभावित होती हैं। चूंकि भार पर लगने वाले बाह्य बल या हवा का दबाव/झोंका गुब्बारे पर कोई असर नहीं डाल सकता, अतः गुब्बारा अपने स्थान पर ही बना रहेगा।
पाई के मान के संबंध में बहुत कुछ पढ़ने को मिला पर लेख में एक जगह गणितीय गणना में श्रुटि है। संभवतः यह मुद्रण की त्रुटि होगी। पृष्ठ 43 पर अंतर्वृत की त्रिज्या निकालने के लिए जिस सूत्र का प्रयोग किया है वह निम्न है।
( r1 )2 + (1/2)2  = (1)2  
r12  = 1-1/4
r12 = 3/4
r1 = 3/2
यहां 3/2 होना चाहिए।
इसके आगे की गणना इस तरह होनी चाहिए थीः

नोट : प्रस्तुत आर्टिक्ल मे त्रुटियाँ होने की संभवना व्यक्त करते हुये खेद है
 
नोट : आर्टिक्ल मे त्रुटियों के लिए खेद है।

2πr1  < c
2π(√3  /2)< 6
π×√3 < 6
π < √3x √3x 2/√3
π < 2√3 = 3.464
अत: 3<π< 3.464
संदर्भ की उपयोगिता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता, इसकी एक-एक पंक्ति महत्वपूर्ण है। और हां, समय पर संदर्भ प्रकाशित करने के लिए बधाई।।

दिलीप झा
आरंग, रायपुर, म. प्र.

33 वां अंक बिना प्रतीक्षा कराए ही अगस्त के पहले ही सप्ताह में मिल गया। मुखपृष्ठ और पिछले आवरण पर दिए हुए चित्र को देखते ही मन में कौतुहल जाग पड़ा कि यह सर्प और ये टेढ़ी आकृतियां क्या प्रकट करना चाहती हैं? सूची वाले पृष्ठ पर आपने जो एक जानवर का चित्र (पूंछ में कुछ घास या तिनके दबाए हुए) दिया वह बहुत ही रोचक और जिज्ञासा पैदा करने वाला लगा। कृपया इसके बारे में आगामी किसी अंक में विस्तृत जानकारी दीजिए।

मुझे आपसे एक शिकायत भी है कि आप पाठकों की शिकायतों का कोई स्पष्टीकरण नहीं देते। शुभदा जोशी का लेख 'बच्चे और जंग' सामयिक और
बाल मनोविज्ञान पर उनकी पकड़ प्रकट करने वाला था। ‘पानी की कठोरता' वाला लेख ज्ञानवर्द्धक लगा लेकिन लेखक को इसे और अधिक विस्तृत करके और कई हिस्सों में बांट कर पानी के खारेपन से संबंधित जिज्ञासाओं का हल प्रस्तुत करना चाहिए - जैसे ज़मीन में पानी कहीं खारा तो कहीं मीठा क्यों होता है? खारे पानी में साबुन क्यों फटता है और फटने के बाद जो दही जैसे चिथड़े से बनते हैं। क्या उनमें साबुन और पानी के लवणीय पदार्थ दोनों होते हैं? इत्यादि।

जुई दधीच को मैं हार्दिक धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने पाई का इतिहास और उसके मान 22/7 को सिद्ध कर मेरे गणितीय ज्ञान को एक नया आयाम दिया है। मुकेश इंगले का सर्प गति पर आधारित लेख जीव के प्राकृतिक संतुलन की एक मनोहर झांकी प्रस्तुत करता है। पिछले अंक में 'जरा सिर खुजलाइए' में गुब्बारे के आगे आने की बात तो मैंने भी सोच ली थी लेकिन मुझे विज्ञान की भाषा में इसका जवाब देना नहीं आया।

'बंगाल में इस्लाम का फैलना' लेख छापकर आपने धर्म, भूगोल और इतिहास के रिश्तों की आधारभूमि पर एक स्वस्थ बहस शुरू करने का प्रयास किया है जो सराहनीय है। रिचर्ड ईटन द्वारा बंगाल में इस्लाम के विस्तार के संबंध में प्रचलित धारणाओं के विपरीत जो निष्कर्ष निकाले हैं उन्हें पढ़कर ताज्जुब होता है कि भारत के स्वयं के इतिहासकार आज तक प्रायः
 
पूर्व स्थापित धारणाओं के आधार पर ही इस्लाम के विस्तार को क्यों सिद्ध करते रहे, क्यों उन्होंने भौगोलिक तथ्यों को नजरअंदाज किया।

रमेश कुमार जांगिड़
भद्रा, हनुमानगढ़, राजस्थान

33 वां अंक बहुत ही रोचक व जानकारियों से युक्त होने के कारण बहुत ज्यादा पसंद आया जिसमें जुई दधीच का लेख ‘परिधि का त्रिज्या से संबंध और मुकेश इंगले का लेख 'तौबा! ये मतवाली चाल' विशेष तौर पर रोचक लगे। आपसे विनती है कि आने वाले अंकों में प्रारंभिक रसायन (अणु, संकेत, सूत्र, संयोग क्षमता) आदि विस्तार से समझाए।

अभिषेक
हरदा, म.प्र.
मुकेश इंगले द्वारा लिखित लेख 'तौबा ये मतवाली चाल' पड़ा, बहुत अच्छा लगा।
बच्चों के साथ बातचीत ‘बच्चे और जंग', 'पानी की कठोरता' बहुत ही रोचक लगे।

अजय नेमा
शाजापुर, म.प्र.
सवालीराम से पूछे हैं सवाल
मैं संदर्भ पत्रिका का वार्षिक सदस्य हूं व कक्षा ग्यारहवीं का छात्र हूं। आपकी पत्रिका द्वारा मेरे कई सवाल सुलझ जाते हैं। कृपया मेरे निम्न सवालों का जवाब पत्रिका के माध्यम से दें।
1. चंद्रमा पर वायुमण्डल क्यों नहीं है?
2. ठण्डे सूप की अपेक्षा गर्म सूप क्यों स्वादिष्ट लगता है?
3. पृथ्वी पर उत्पन्न प्रथम जीव को क्या कहा गया?
4. किस ग्रह में नए जीवन की खोज की गई है?
ये सारे प्रश्न ग्यारहवीं के कुछ छात्रों द्वारा पूछे गए हैं।

दीपक कुमार सोंधिया
बिरसिंहपुर, जिला उमरिया, म. प्र.

यदि आपके पास इन चारों में से किसी भी सवाल का जवाब हो हमें लिख भेजिए। इन्हें संदर्भ के
आगामी अंक में प्रकाशित किया जाएगा।

- संपादक मंडल