पिछले अंक में कुंती परते, होशंगाबाद, ने सवालीराम से जो सवाल पूछा था उसका जवाब यहां दिया जा रहा है।
सवालः सर्दी-जुकाम क्यों हो जाता है?
जबाबः सर्दी-जुकाम हो जाए तो एकदम मुसीबत ही आ टूटती है। एक के बाद एक छींकों का सिलसिला, नाक का बहना, बुखार, सिरदर्द.... और सब कुछ उल्टा-पुल्टा। और-तो-और सर्दी का यह जुल्म होता है एक छोटी-सी नाक पर।
हमारे शरीर में नाक अनेक महत्वपूर्ण काम करती है। नाक के अंदर कई भाग होते हैं, इन्हीं में से एक होती है म्यूकस (श्लेष्मीय) झिल्ली। झिल्ली में कई रोंएदार रचनाएं होती हैं जिनकी वजह से हम सुंघ सकते हैं। नाक के सभी हिस्सों और श्वसन मार्ग को सूखेपन और संक्रमण से बचाने के लिए उससे एक तरल द्रब का स्राव होता रहता है।
जुकाम की स्थिति में इसी झिल्ली में सूजन आ जाती है और नाक के द्रव की मात्रा भी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से सर्दी के दौरान हमारी सूंघने की क्षमता कम हो जाती है।

जुकाम होने का कारण 
अब जरा जुकाम होने के कारणों पर विचार करते हैं। जुकाम होने का सबसे सामान्य कारण विषाणु (वायरस) होते हैं। जुकाम के लिए जिम्मेदार लगभग 40 प्रकार के वायरस ज्ञात हैं। इनमें से कई वायरस तो एक स्वस्थ मनुष्य में भी पाए जाते हैं।
कई प्रयोगों द्वारा ये सिद्ध किया जा चुका है कि थकान, तंत्रिका तंत्र में तनाव, मानसिक चिंता आदि की स्थिति में जुकाम होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह जानकर आपको हैरत होगी कि तापमान में गिरावट की वजह से जुकाम नहीं होता। यदि कम तापमान की वजह से जुकाम हो रहा होता तो ध्रुवीय प्रदेशों में रहने वाले लोगों की नाक हमेशा बहती रहती। वैसे जुकाम होना किसी विशेष परिस्थिति से एलर्जी प्रदर्शित करने का भी एक लक्षण है। जैसे किसी-किसी को धूल, विशेष फूलों के परागकण, नमी आदि से एलर्जी होती है जिसकी वजह से जुकाम हो जाता है।

जुकाम का फैलाव
अगर जुकाम बायरस की वजह से हो तो आमतौर पर किसी एक व्यक्ति को जुकाम होने पर उसके संपर्क में आने वाले कुछ लोगों को जुकाम हो सकता है। हमारे घरों में तो अक्सर ऐसा होता है कि किसी एक को जुकाम हुआ तो वह छींकता जाता है, नाक पोंछता जाता है। एक-दो दिन में घर में और किसी को जुकाम हो जाता है। छींकने, खांसने, बोलने से छोटी-छोटी बूंदों के जरिए वायरस एक स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंच कर उसे भी जुकाम की गिरफ्त में ले लेते हैं। वैसे सर्दी-जुकाम से ग्रस्त व्यक्ति की इस्तेमाल की हुई चीजों से भी जुकाम के फैलाव का डर बना रहता है।
होता ऐसा है कि हमें अचानक ही जुकाम शुरू हो जाता है - गले में खराश, नाक बहना, छींकें, सिरदर्द, हल्का-सा बुखार और बेचैनी-सी लगने लगती है। जुकाम के साथ-साथ यदि तेज़ बुखार (100 डिग्री फैरनहीट से ज्यादा) या कान, छाती, फेफड़े में दर्द हो तो ये गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना ही बेहतर होता है।

इलाज
वास्तव में सर्दी-जुकाम के लिए कोई भी उपयोगी इलाज नहीं होता। नाक में डालने वाली दवाइयां या इनहेलर केवल नाककान के रास्ते में आ रहीं रुकावट को दूर कर सकते हैं।
एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक) दवाइयां लेने से कोई फायदा नहीं है क्योंकि ये जीवाणुओं (बैक्टीरिया) को खत्म करती हैं, जबकि जुकाम बायरस से होता है। इसलिए बार-बार जुकाम में एंटीबायोटिक लेने से हमारे शरीर को उसकी आदत बन सकती है, और जब जरूरत पड़ने पर बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए इन्हें लिया जाएगा तब ये दवाइयां कुछ काम नहीं करेंगी। विटामिन-सी से भरपूर चीजें लेकर सर्दी को कम किया जा सकता है लेकिन इस का प्रभाव हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है।
जुकाम के लिए सबसे अच्छा उपाय भरपूर आराम करना है। इस दौरान खाने में तरल पदार्थ पीने से भी फायदा होता है। एक बात गौर तलब है कि डॉक्टर जुकाम का इलाज या उसकी अवधि को कतई कम नहीं कर सकता। जुकाम हुआ है तो वह चार-पांच दिन तक रहेगा ही। हां, डॉक्टर अन्य बीमारियों के आक्रमण से बचने में हमारी मदद ज़रूर कर सकता है।