सवालीराम
सवालः छुईमुई के पौधे को छूने पर उसकी पत्तियां क्यों सिकुड़ जाती हैं ? दूसरे पौधे ऐसा क्यों नहीं करते ?
जवाबः वैसे तो सभी लोग जानते होंगे कि छुईमुई के पौधे की पत्तियों को बेहद हौले से भी छुआ जाए तो पत्तियां सिमट जाती हैं। मुझे तो अब भी याद है बचपन में स्कूल जाते हुए रास्ते में एक जगह काफी छुईमुई उगी हुई थी और हम बच्चे छुईमुई की झाड़ियों को हिला-हिलाकर उसकी सारी पत्तियों को सिमटा देते थे, तब ही स्कूल की ओर कदम बढ़ाते थे। उस समय मैंने ध्यान नहीं दिया कि इस पौधे में पत्तियां तो सिमटती ही थीं लेकिन डंठल भी नीचे की ओर झुक जाते थे। कुछ समय बाद ये डंठल और पत्तियां दोबारा अपनी पूर्वावस्था में आ जाते हैं।
इस शर्मीले गुण की वजह से ही शायद लोग इन्हें छुईमुई, लाजवंती आदि नामों से पुकारते हैं। वनस्पति विज्ञानी इसे माइमोसा (Mimosa) नाम से जानते हैं।
छूने पर छुईमुई के पत्ते सिमट क्यों जाते हैं इसकी खोजबीन करने के साथ-साथ हमने यह जांचने की कोशिश की कि आखिर किस-किस तरह की संवेदनाओं का असर पड़ता है इस पौधे की पत्तियों पर। शुरुआत इसी से करते हैं।
आओ जांचें असर इनका
छुईमुई की पत्तियों को बंद करने के लिए जरूरी नहीं है कि पौधे को जोर से झकझोरा जाए। इन पत्तियों पर कोई कीड़ा-मकोड़ा चल रहा हो तो अक्सर इतना धक्का ही पत्तियों को बंद करने के लिए पर्याप्त होता है।
अगर हवा थोड़ी तेजी से बह रही हो तब भी ये पत्तियां बन्द हो जाती हैं। इसी तरह आप इन पत्तियों पर धीरे से, तेज़ी से फूक मारकर यह अनुमान लगाने की कोशिश कर सकते हैं कि कितनी ज़ोर से फेंकने पर पत्तियां सिमटती हैं या डंठल भी नीचे की ओर झुक जाता है। फेंकने के लिए आप खाली रीफिल या स्ट्रॉ पाइप भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
फिर हम माचिस की जलती तीली को छुईमुई के पत्रकों (छोटी-छोटी पत्तियों) के पास लेकर गए। जलती तीली जैसे ही सिरे वाले पत्रकों के पास ले गए, एक के बाद एक सारे पत्रक और फिर पूरी पत्ती बंद होकर लटक जाती है। आप गर्म की हुई लाल सुर्ख तार या कील को पत्ती के पास लाकर देखिए क्या होता है?
यदि आपके घर के आसपास छुईमुई का पौधा हो तो उसे रात में जाकर देखिए। इसके पत्रक तो ऊपर की ओर बन्द होकर आपस में चिपक जाते हैं। किन्तु डंठल सीधे तने हुए रहते हैं। इन डंठलों को रात में छुआ जाए तो वे नीचे झुक जाते हैं।
छुईमुई के पत्रकों को झटके से छूने पर न सिर्फ सब पत्रक ऊपर की ओर मुड़कर बंद हो गए, बल्कि उपडंठल पास-पास आ गए और तने से लगे हुए मुख्य डंठल नीचे की ओर झुक गए। परन्तु इस सब के बीच में एक अपवाद भी है - जरा पहचानिए कि वह क्या है?
आवाज़ का असर देखने के लिए आप पौधे के पास चिल्लाकर, ढोलक आदि बजाकर या किसी बर्तन को पीटकर देख सकते हैं।
हमने स्पीकर की मदद से तेज़ आवाज़ पैदा की और पाया कि इससे भी पत्तियां बंद हो रही थीं। हालांकि इससे पत्तियों पर उतना असर नहीं हुआ जितना माचिस की जलती तीली पास ले जाने पर हुआ था, क्योंकि तेज़ आवाज़ करने पर केवल पत्रक बंद हुए, डंठलं बिल्कुल भी नहीं झुके। वैसे तरह-तरह की आवाजें पैदा करके आप यह भी जांचने की कोशिश कर सकते हैं कि किस तरीके से पत्तियां ज्यादा प्रभावित हो रही हैं।
इसके बाद हमने घरेलू बिजली के प्रभाव को जांचने के लिए प्लग के माध्यम से स्विचबोर्ड से दो तार खींच लिए और उनसे छुईमुई के पौधे के विभिन्न हिस्सों को छुआ। यदि आप टेस्टर की मदद से इन दोनों तारों में से फेज़ और न्यूट्रल की पहचान कर सकते हैं तो पाएंगे कि न्यूट्रल तार को पत्रकों से छुलाने पर ज्यादा असर नहीं होता है, सिर्फ जिस जगह के पत्रकों को छुआ जाता है वही बंद होते हैं। जबकि फेज़ के छूते ही जिन पत्रकों को छुआ जाता है उनके साथ-साथ अन्य पत्तियां भी बंद हो जाती हैं और जिन पत्तियों को छुआ था उनके डंठल भी झुक जाते हैं।
हमने धूप भरी एक दोपहरी में लैंस की मदद से छुईमुई के पौधे के विभिन्न भाग पर प्रकाश केन्द्रित किया। जब पत्रकों पर प्रकाश केन्द्रित किया तो कुछ ही देर में, क्रम में एक के पीछे एक, सारे पत्रक धीरे-धीरे बंद होते गए और फिर डंठल भी नीचे की ओर झुक गए। परन्तु जब हमने मुग्य डंठल और उपडंठल की गठानों पर लेंस से प्रकाश केन्द्रित किया तो खास कुछ नहीं हुआ। आप यह परखने की कोशिश कर सकते हैं कि यह प्रभाव प्रकाश की वजह से है या गर्मी के कारण। इसी तरह आप भी छुईमुई के पौधे पर अन्य कारकों का प्रभाव जांचने की कोशिश कर सकते हैं। इतने प्रयोग करने के बाद हमें यह बात समझ में आई कि हर चीज़ छुईमुई पर एक-सा प्रभाव नहीं डालती - कुछ घटनाएं इसे अत्यंत उत्प्रेरित करती हैं तो कुछ बहुत कम। कुछ में एक खास मीमा के बाद ही असर दिखता है।
छुईमुई की पत्तीः इस चित्र में छुईमुई की कि पुरी पनी दिखाई गई है। तने में में मुख्य डंठल निकलना है, जिसके आगे धार उराठल हैं जिन पर पत्रक यानी उपपत्तियां लगी हुई हैं।
अभी तक हमने यह जांचने का प्रयास किया कि छुईमुई का पौधा किमकिस वजह से सिमट जाता है। अब देखते हैं कि इस सिमटने में कोई खाम क्रम भी है क्या? इस बात पर भी गौर करते हैं कि ये पत्रक, उपडंठल, मुख्य डंठल आदि कहीं से भी मुड़ जाते हैं या फिर कुछ जगह-विशेष से ही ऐसा करते हैं।
सिमटने का क्रम कैसा?
क्या आपने कभी गौर किया है कि छुईमुई की पत्तियां किस तरह से सिमटती हैं। सबसे पहले वो छोटी-छोटी उपपत्तियां या पत्रक (leaflet) जिन्हें छुआ जाता है, ऊपर की ओर उठकर अंदर की ओर बंद हो जाते हैं, और इसके बाद उसके पीछे की उपपत्तियां या पत्रक एक लहर की भांति बंद होने लगते हैं। दोनों ओर के पत्रक ऊपर की तरफ मुड़कर आपस में ऐसे सट जाते हैं कि लगता है कि एक ही पत्रक खड़ा है।
इतना हो चुकने के बाद वे चारों उपडंठल जिन पर ये उपपत्तियां या पत्रक लगे हैं एक-दूसरे के पास आ जाते हैं और अंत में मुख्य डंठल तने के जोड़ के पास से नीचे की तरफ मुड़ जाता है।
आमतौर पर सिमटने में यही क्रम दिखाई देता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर बार इसी क्रम का दोहराव हो। पौधे के अलग-अलग हिस्से छूने पर सिमटने का क्रम कुछ फर्क होती है। जैसे कि सिर्फ एक पत्रक के जोड़ को नुकीली-सी चीज़ या तिनके से हल्के से छू दंर तो सिर्फ वही पत्रक अन्दर की तरफ मुड़ जाता है। उस उपडंठल पर लगे हुए सब पत्रक तो दूर की बात उस पत्रक की जोड़ीदार पत्रक तक उसके साथ नहीं मुड़ती। इसी तरह से अगर पैनी नोक या कांटे से तने और डंठल के जोड़ को छुआ जाए तो पूरी पत्ती बन्द नहीं होती बल्कि उस जोड़ पर से यह डंठल नीचे की ओर झुक या मुड़ जाता है, जबकि उसके पत्रक खुले के खुले रहते हैं।
यह मुड़ना उस जोड़ पर से न होकर जोड़ के थोड़ा आगे से होता है। यदि आप गौर से देखेंगे तो समझ में आएगा कि हर मोड़ वाली जगह थोड़ी फूली हुई सी दिखाई देती है मानों यहां एक गठान हो।
यह गठाननुमा रचना हालांकि डंठल से मोटी और उभरी हुई होती है मगर फिर भी इसे गठान कहना ठीक न होगा क्योंकि यह गठान जैसी कठोर नहीं है बल्कि एक कब्जे की भांति काम कर रही है। यानी यह एक लचीला भाग है जो हिलने-डुलने के लिए व्यवस्था प्रदान करता है। आगे हम इस संरचना के बारे में थोड़ा विस्तार से जानेंगे क्योंकि इसमें ही छुईमुई के सिमटने का राज़ छुपा है।
कुछ और प्रयोग और अवलोकन
जैसा कि हमने पहले देखा कि छुईमुई की पत्तियों को छुआ जाए तो पत्तियां तो सिमटती ही हैं लेकिन डंठल भी नीचे की ओर झुक जाता है। अब हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि हकीकत में डंठल और तने के जोड पर पाई जाने वाली फूली संरचना का उठती-गिरती पत्तियों के साथ कोई संबंध है भी कि नहीं। यह जांचने के लिए हमने एक ही पौधे की चार पत्तियों का चुनाव किया। इन चारों में से एक पत्ती में डंठल व तने के जोड़ की फूली रचना को ब्लेड की मदद से ऊपर की ओर से खरोंचा, एक को नीचे से, एक को दाहिनी ओर से और एक को बाईं ओर से।
प्रयोग करते वक्त ध्यान रखना है कि इन जोड़ों के अंदर से होकर गुजरने वाली वाहिनियों को चोट न पहुंचे। यानी कि हल्के से ऊपर से आधा मिलीमीटर जितना ही खरोंचना है।
खुरचने की प्रक्रिया के दौरान जैसे ही हम पत्तियों को हाथ लगाते हैं, वे बंद हो जाती हैं और उनके डंठल भी नीचें की तरफ झुक जाते हैं। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाए तो दूसरी कुछ पत्तियों को भी छूकर झुका दो। (सोचिए हमने ऐसा क्यों किया?)
जिन पत्तियों के डंठलों को हमने नहीं खुरचा था वे पत्तियां तो कुछ समय बाद पहले की तरह खिल उठी।
जिस डंठल की फूली रचना को नीचे की ओर से खरोंचा गया था, वह डंठल नीचे झुका ही रह गया। यह अन्य सामान्य पत्तियों के मुकाबले ज्यादा झुका हुआ था। परन्तु इस झुके हुए डंठल के उपडंठलों पर लगे पत्रक जरूर बिना खुरची पत्तियों की तरह वापस खुल गए।
जिस डंठल की फूली रचना को ऊपर की ओर से खरोंचा गया था वह ऊपर को तो उठ गया परन्तु दुबारा फिर नीचे नहीं झुका चाहे कितनी बार उसे छुआ। छूने पर उसकी सिर्फ पत्तियां ही हर बार बंद हो जाती थीं मगर वह डंठल नीचे नहीं झुका तो नहीं झुका।
जिन डंठलों की फूली रचना को दाहिनी या बाईं ओर से खरोंचा गया था, वे ऊपर तो उठ गए परन्तु उस तरफ को थोड़े झुके हुए मिले जिस ओर से उन्हें खरोंचा गया था।
छुईमुई में इस संवेदनशीलता की प्रक्रिया समझने से पहले आइए एक और अवलोकन पर ध्यान दें कि फूले हुए हिस्से और मुड़ने की दिशा में कोई संबंध दिखता है क्या? पत्रक जहां उपडंठल से जुड़े हैं, हेंडलेंस से देखने पर खुली अवस्था में वहां जोड़ पर ऊपरी हिस्सा ज्यादा फूला मिलता है। जैसे ही हम पत्रक़ को छूते हैं, छोटी-छोटी पत्तियां ऊपर की ओर चिपक जाती हैं। पत्तियां बंद होने पर जोड़ के नीचे का हिस्सा ज्यादा फूला दिखाई देता है।
आपने गौर किया होगा कि जबकि छूने पर पत्रक ऊपर की ओर बंद होते हैं, डंठल नीचे की तरफ झुक जाते हैं। छूने से पहले इनमें जोड का नीचे वाला हिस्सा फूला दिखता है, और छूने के बाद झुक जाने पर जोड़ का ऊपर वाला हिस्सा फूला मिलता है - यानी पत्रकों से ठीक विपरीत। यानी छुईमुई के पौधे में छूने पर जिस तरफ गति होती है, सामान्य अवस्था में ये संरचनाएं उसके दूसरी या उल्टी तरफ ज्यादा फूली होती हैं।
पानी का कमाल
दरअसल फुली जगह की कोशिकाओं की भित्ती काफी लचीली होती है और इनमें काफी तन्यता पाई जाती है। इसलिए यह आसानी से फैल यो सिकुड़ सकती है। अगर इन कोशिकाओं में पानी भर जाए तो ये फुल जाती हैं और पानी कोशिकाओं से बाहर निकल जाए तो ये सिकुड़ जाती हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि छुईमुई में खुलने-बंद होने, हिलने-डुलने का यह कमाल इस फूले भाग की कोशिकाओं में भरे पानी के ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर आने-जाने की वजह से ही है।
दरअसल पत्रकों को छूने पर पत्रकों और उपडंठल के जोड़ की फूली रचनाओं का पानी नीचे की कोशिकाओं में चला जाता है और नीचे की कोशिकाएं फूल जाती हैं। तब दोनों तरफ पत्रकों पर बाहर की तरफ से दबाव पड़ता है और ये पत्रक ऊपर अन्दर की तरफ मुड़ जाते हैं। इस तरह पत्रक एक के बाद एक सिमटते जाते हैं।
मुख्य डंठल में ठीक इसका उल्टा होता है। सामान्य अवस्था में उनमें जोड़ का नीचे वाला भाग फूला होता है जो डंठल को टेको भी देता है। मगर इनकी फुली रचनाओं को कुछ ‘खास' संकेत मिलते ही नीचे के ज्यादा फूले भाग की कोशिकाओं में पानी ऊपर की कोशिकाओं में पहुंच जाता है; जिससे वह भाग फूल जाता है। नीचे का टेका खत्म होने और ऊपर से दबाव बनने के कारण ये डंठल नीचे की ओर झुक जाते हैं।
गहरे पानी पैठ
कोशिकाओं में पानी अंदर-बाहर जाने की यह सारी क्रिया ऑस्मोसिस यानी परासरण के द्वारा होती है। इसमें कम सांद्रता वाले विलियन से पानी के अणु कोशिका झिल्ली (अर्धपारगम्य झिल्ली) को पार करके अधिक सान्द्र विलियन की तरफ जाते हैं। विलियन की सान्द्रता कोशिका के भीतर ज्यादा हो या कोशिका के बाहर अन्तरकोशिकीय अवकाश में भरे द्रव में हो, पानी के अणु अधिक सांद्रता वाले विलियन की ओर ही जाते हैं। आमतौर पर कोशिका के भीतर या अंतरकोशिकीय तरल की सान्द्रता को बढ़ाने में कैल्शियम, पोटेशियम, क्लोराइड, हाइड्रोजन आदि आयनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
यहां छुईमुई की पत्ती को करीब से दिखाने की कोशिश की गई है ताकि डंठल के पास के रोएं दिखाई दे सकें। दरअसल ये रोएं ही छुईमुई की पत्तियों और डंठल को समेटने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये रोएं ही इस संदेश को आगे बढ़ाते हैं कि अब डंठल की कोशिकाओं में आयनों की सांद्रता को बढ़ाना है या उन्हें सामान्य अवस्था में लाना है।
अगर किसी वजह से कोशिका के अन्दर के द्रव में आयनिक सान्द्रता बढ़ गई हो तो आसपास (अन्तरकोशिकीय स्थान) का पानी कोशिका झिल्ली को पार करके अन्दर चला जाएगा। अगर कोशिका के बाहर आयनिक सान्द्रता बढ़ जाए तो अन्दर का पानी बाहर आ जाएगा।
इस तरह कोशिका के भीतर पानी की मात्रा बढ़ने से जो दाब उत्पन्न होता है उसे आनता दाब (टर्गर प्रेशर) कहते हैं। इस दाब को पौधे की विभिन्न कोशिकीय क्रियाओं में एक बल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जैसे पत्तियों के स्टोमेटा यानी श्वसन रंध्रों को खोलना या बंद करना।
कोशिका झिल्ली (प्लाज्मा मेंब्रेन) तथा कोशिका की रिक्तिकाओं में इस तरह के पदार्थ पाए जाते हैं जो ‘खास संकेत मिलने पर आयनों में विभक्त हो जाते हैं और कोशिका के भीतर आयनों का सान्द्रण बढ़ाते हैं। यहां आयनों की मात्रा में अचानक वृद्धि होने की वजह से पानी तेज़ी से अंदर आता है, और कोशिका को फुला देता है।
अगर सामान्य रूप से पानी कोशिकाओं में परासरण की वजह से आवाजाही कर रहा हो तो छुईमुई में पर्ण-आधार और डंठल-आधार की कोशिकाएं इतनी तेजी से नहीं फूल सकती कि पत्रक फौरन बंद हो जाएं। इन कोशिकाओं में पानी का तीव्र प्रवाह संभव बनाने के लिए कोशिका झिल्ली में विशेष प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं जिन्हें एक्वापोरिन्स कहते हैं। परासरण के दौरान ये प्रोटीन कोशिका के बाहर के पानी को तेजी से अंदर पहुंचा सकते हैं या अंदर के पानी को बाहर धकेल सकते हैं।
आयनों एवं पानी के कुछ प्रवाह तो कोशिकाओं के बीच चलते ही रहते हैं। लेकिन काफी मात्रा में पानी के प्रवाह को बनाने के लिए आयन सांद्रता में भी काफी बदलाव जरूरी होता है। इसके लिए शुरू में पहुंचे आयन कोशिका में अन्य आयनों के बुलावे के लिए द्वितीयक संदेश पैदा करते हैं जिससे आयनों की सान्द्रता तेज़ी से बढ़ती है। साथ ही, कोशिका झिल्ली में मौजूद एक्वापोरीन प्रोटीन सक्रिय हो जाते हैं, जिससे पानी एक प्रवाह के रूप में अन्दर आ सके।
आप सोच रहे होंगे कि छुईमुई की पत्तियों-डंठल की कोशिकाओं को यह संदेश किस तरह मिलता होगा कि अब आयनों की सांद्रता को बढ़ाना है या सामान्य अवस्था में लाना है? यदि आप छुईमुई की गठानेनुमा फूली रचनाओं को गौर से देखेंगे तो इन फूली रचनाओं पर कुछ रोएं दिखाई देंगे।
दरअसल यही रोएं और इनके आसपास की सतह की कोशिकाएं और पत्रक ही संवेदना ग्रहण करते हैं। संदेश ग्राही कोशाओं की भित्ति काफी संवेदनशील होती है। जैसे ही कोई वस्तु इनसे छू जाती है या रगड़ खाती है तो ये रोएं फूली हुई रचनाओं में जिन कोशिकाओं में धंसे होते हैं उनमें तनाव पैदा करते हैं। इसकी वजह से इन कोशाओं की झिल्ली पर अत्यंत सूक्ष्म (-70 से 80 माइक्रो वोल्ट) विद्युत विभव उत्पन्न होता है। दरअसल यह विद्युतीय आवेग कोशिका झिल्ली के दोनों ओर आयनिक सान्द्रता में क्रमिक घट-बढ़ से होता है और यह उत्तेजित जगह से फूली जगह की कोशाओं तक दो तरह से पहुंचता है: -
- जायलम-फ्लोएम यानी पानी और पोषण वाहिनियों के माध्यम से।
- कोशी से कोशा द्वारा होकर विद्युत रासायनिक संकेत के रूप में।
यही उत्तेजना (एक्शन पोटेंशियल) इन कोशाओं में आयन चैनल्स की सक्रियता को बढ़ाता है जिससे आयनों का आगमन तेज हो सके। इन कोशिकाओं में आयनों की सांद्रता बढ़ने से पानी इनमें दौड़ा चला जाता है।
अगर इन कोशिकाओं में पानी भरता ही चला जाए तो ये फूलकर कुप्पा होकर फूट क्यों नहीं जाती? दरअसल इनमें एक फीडबैक व्यवस्था होती है जिससे तय होता है कि उनमें कितना पानी अंदर जाना है या बाहर निकलना है।
इसके लिए फूलने वाली कोशाओं में एक तरह के आयनिक चैनल होते हैं जो खिंचाव के प्रति संवेदनशील होते हैं, जब इस कोशा झिल्ली का खिंचाव अपने चरम पर होता है तो इस झिल्ली में उपस्थित स्ट्रेच-सेंसिटिव आयन चैनल्स एक तरह का कार्य विभव (एक्शन पोटेंशियल) उत्पन्न करते हैं। और यह विभव इन फूली रचनाओं में से अधिकता में प्रवेश किए आयनों और पानी को बाहर निकालने के संकेत को आगे बढ़ाता है; जिससे ये आयन कोशिकाओं से बाहर निकलते हैं तथा आयनों की सान्द्रता कम होने पर पानी भी अनुसरण करते हुए बाहर निकल जाता है।
ठीक इसी समय दूसरी तरफ की सिकुड़ी कोशाओं को संकेत मिलते हैं जिससे इनमें आयनों का प्रवाह अपनी सामान्य गति से जारी हो जाता है। और पानी इन कोशाओं में पहुंचकर इन्हें फूला देता है। इस प्रक्रिया से थोड़ी देर बाद पानी का वितरण पहले जैसा हो जाता है और ये पत्तियां व डंठल अपनी शुरुआती अवस्था में लौट आते हैं।
अब हम सवाल के दूसरे हिस्से पर आते हैं। छुईमुई जैसी ही संवेदनशीलता कुछ अन्य पौधों में भी पाई जाती है। जैसे इमली व बबूल की पत्तियां शाम होते ही सिमट जाती हैं। लेकिन इमलीबबूल की पत्तियों को दिन में हिलाहिलाकर भी आप नहीं सिमटा सकते। अन्य पौधों की बात करें तो कीटभक्षी वीनस फ्लाइ ट्रेप, सनड्यू, पिचर प्लांट आदि का ख्याल आता है। ये सभी पौधे अपनी भोजन की कुछ ज़रूरतें कीटों का शिकार कर पूरी करते हैं। वीनस फ्लाई ट्रेप की पत्तियां भी स्पर्श के प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं। जैसे ही कोई कीट इसकी पत्तियों की भीतरी सतह को छूता है, पत्ती तुरंत हरकत में आती है और फौरन सिमट कर बंद हो जाती है। साथ ही कीट इसमें बंद हो जाता है। पत्ती कीट को पचाने के बाद फिर अगले शिकार के लिए खुल जाती है।
वीनस फ्लाई ट्रेप की पत्तियां तो भोजन को जुटाने के लिए खुलती-बंद होती हैं लेकिन छुईमुई के पौधे में पत्तियों के खुलने-बंद होने की वजह समझ में नहीं आती। इससे छुईमुई के पौधे को कोई फायदा होता है क्या? क्या यह चरने वाले जानवरों से बचाव का एक तरीका है या इस व्यवहार के पीछे कुछ और वजह है? या फिर कोई वजह है ही नहीं?
फिलहाल हमारे पास इस ‘क्यों? का कोई ठोस जवाब नहीं है। यदि संदर्भ के पाठकों के पास इसका जवाब हो तो हमें लिख भेजें। हमें आपके पत्रों का इंतज़ार रहेगा।
सवालीराम के इस जवाब को जावेद सिद्दीकि ने तैयार किया है।
जावेद सिद्दीकिः एकलव्य के होशंगाबाद केन्द्र पर विज्ञान समूह के साथ काम करते हैं।
सवालीरम के इस सवाल पर मई-जून 2005 में क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल में एकलव्य द्वारा आयोजित किए गए शिक्षक प्रशिक्षण शिविर के दौरान भी शिक्षकों के एक समूह ने स्त्रोतदल के साथ मिलकर प्रोजेक्ट के रूप में काम किया था।
ज़रा सिर खुजलाइए
सवालों के जवाब
चूंकि संदर्भ का यह अंक आपके हाथों में काफी विलंब से आ रहा है इस लिए पिछली बार के सवाल दोहराते हुए जवाब दे रहे हैं।
1. किसी गांव में 800 महिलाएं रहती हैं। इनमें से 3% महिलाएं एक कान में वाली पहनती हैं। शेप 97% में से आधी महिलाएं अपने दोनों कानों में वाली पहनती हैं और शेष आधी महिलाएं किसी भी कान में वाली नहीं पहनतीं। तो उस गांव में कुल मिलाकर हर महिला के लिए कितनी बालियां उपलब्ध हैं?
जबाब: हरेक महिला के लिए एक-एक बाली।
2. एक आवक-जावक बाबू के पास चार ख़त हैं जिन्हें पोस्ट किया जाना है। उसके पास इन चार खतों के पते लिखे लिफाफे भी हैं। काम की जल्दी में उसने पता देखे बिना ख़तों को एक-एक लिफाफे में रख दिया। अब वो परेशान है कि पता नहीं किस लिफाफे में किसका खत रखा गया हो! इस बात की कितनी संभावना है कि कम-से-कम तीन खत तो सही लिफाफों में होंगे ही?
जवाबः पहला खत सही लिफाफे में हो इसकी संभावना एक में से चार यानी 1/4 है। इसी तरह दूसरे खत के सही लिफाफे में होने की संभावना 1/3 और तीसरे की 1/2 है। यदि तीन खत सही लिफाफों में हैं तो चौथा सही लिफाफे में ही होगा। इसलिए चारों खत सही लिफाफों में हैं इसकी संभावना 1/4 x 1/3 x 1/2 = 1/24 होगी।
3. कॉफी का एक शौकीन किसी कॉफी हाउस में गया। अभी उसने चीनी मिलाई ही थी कि कॉफी में मक्खी गिर गई। शौकीन ने वेटर से कॉफी बदलकर लाने के लिए कहा। थोड़ी देर में वेटर दोबारा कॉफी लेकर आया। शौकीन ने गहरी सांस लेते हुए हल्का-सा घूट पिया और वेटर से बोला, “तुम मक्खी वाली कॉफी ही लेकर आए हो!'' कॉफी के शौकीन को वेटर की बदमाशी कैसे पता चली होगी?
जवाबः उसे सज्जन ने मक्खी गिरने के पहले कॉफी में चीनी मिलाई थी। और दोबारा लाई कॉफी की पहली चुस्की बगैर चीनी मिलाए पीकर देखी थी।
4. बाज़ार में तोते बेचने वाला चिल्ला रहा था, “इस तोते के सामने बोलोगे, तोता जो सुनेगा उसे दोहराएगा। यह मेरा दावा है।'' तोते वाले की बातें सुनकर एक आदमी ने तोते को खरीद लिया। घर पर वह तोते के सामने कुछ बोलने लगा। तोते ने कुछ भी नहीं दोहराया। उस आदमी ने बार-बार कोशिश की कि तोता कुछ बोले, लेकिन नतीजा सिफर रहा। क्या तोते बेचने वाले का दावी गलत था?
जवाब: तोता बहरा था। जब कुछ सुना ही नहीं तो क्या दोहराएगा!
सही जवाब देने वाले पाठकों में: रमेश जांगिड़, भिरानी, राजस्थान; श्रीधर, इंदौर म.प्र.।